19-11-2010, 08:07 PM | #11 | |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
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और अगर लड्का लड्की को छेड्ता है तो कभी कभी लड्कीयो का बहुत नुकसान होता है इसलिये इसके लिये कानुन है धन्यवाद |
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20-11-2010, 11:10 PM | #13 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
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20-11-2010, 11:13 PM | #14 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
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20-11-2010, 11:17 PM | #15 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
भाई लोग सर मत फोर देना |
20-11-2010, 11:23 PM | #16 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
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20-11-2010, 11:24 PM | #17 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
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26-11-2010, 10:23 AM | #18 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
बहुत लजाबाब प्रस्सतुती
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03-12-2010, 05:20 AM | #19 |
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~||गुस्ताखी माफ||~
वाह भाई साहब|
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
04-12-2010, 10:06 PM | #20 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
एक कृषि मेले में यह ठेला मिला जिस मै कंप्यूटर प्रिंटर, बटरी आदि को फिट किया गया था। अब जो मानस रिक्शा पर गाँव की रोड पर चला नहीं उसे समझ नहीं होगी की ऊँचाई के कारण ये पलट सकता है। लेकिन मेरा सोचना कुछ और था। एक लाख रुपये खर्च कर के इस ठेले को आई आई टी कानपूर वाले ने क्यों बनाया। उसने लेप टॉप का नाम नहीं सुना होगा क्या। हिन्दुस्तान में ऑटो मेटिक टूथ ब्रश वाला हाल है...कहते हैं चाँद पर जाने के लिए गुरुत्व आकर्षण के बिना चले वाले कलम के निर्माण में करोड़ों डॉलर फूंक मारे जब की रूसी पेन्सिल ले कर चल निकले। गुरु जी कहते थे मूर्ख हो ठीख है मुंह तो न खोलो। पर कुछ लोग चीख चीख के दुनिया को बताते रहेते है..की न खालिस चोमू, शिकार पुर अलीबाग के बाशिंदे हम ही है। कहतें हैं बदनाम हुआ तो भी नाम हुआ। कई बार ऐसे प्रयोग दिखते हैं मुजे जिनका अर्थ वाव्हारिक दृष्टिकोण से निरर्थक सा दीख पड़ता है , लेकिन मनुष्य खोजी मन, किसीकी सुनता है, ऐसे ही खोज में हुई आकस्मिक खोजों ने बहुत से सही अविशकार भी हुए हैं। अब अपनी खोपडी में जो आया बोला, कल्लन बोले ले जान दो यार ले जाने दो चाहे हाथी पे जाए न गधे पर जाए तो सही..
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