20-03-2018, 05:16 PM | #1 |
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अली बाबा और चालीस चोर
ALIBABA AND FORTY THIEVES
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 20-03-2018 at 05:35 PM. |
20-03-2018, 05:19 PM | #2 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (एक)
फारस के एक शहर में अलीबाबा और कासिम नाम के दो भाई रहते थे . उनके पिता ने मरने से पहले दोनों भाइयो को बराबर सम्पति दे दी लेकिन कासिम ने अलीबाबा से सारी सम्पति हडप ली . कासिम ने एक बढ़िया दूकान और मकान खरीदकर एक विधवा औरत से शादी कर ली . कासिम अपनी सम्पति को ओर बढाता हुआ अमीर हो गया . दुसरी तरफ अलीबाबा पहले ही कासिम द्वारा सम्पति हडपने से गरीब हो गया था . उसने एक गरीब लड़की से शादी कर ली और बुरे दौर से गुजरने लगा . वो लकडिया काटकर उन्हें बेचता था जिससे उसका परिवार चलता था . एक दिन वो लकडिया काटने जंगल में गया तभी उसको उसकी तरफ जोरो से धुल उडती हुई दिखी .उसको दूर से कुछ घोड़े उसकी ओर आते दिखाई दिए . हालांकि वहा पर लुटेरो का खतरा नही था फिर भी अलीबाबा ने खुद को बचाने के लिए एक पेड़ पर छुपकर बैठ गया . वो पेड़ पर ऐसी जगह बैठा जहा उसको कोई नही देख सकता था लेकिन वो सबको देख सकता था . वो पेड़ एक चट्टान के पास थी . तभी एक चट्टान के पास जाकर सारे घोड़े रुक गये . उसने देखा कि सभी घोड़ो पर आदमी हथियार लेकर बैठे थे और वहा पर आकर घोड़ो से उतर गये थे . अलीबाबा ने उन आदमियों को गिना तो वो कुल चालीस थे . वो सभी लुटेरे थे और उन सबके घोड़ो पर चोरी का सामान लदा हुआ था .
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20-03-2018, 05:21 PM | #3 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (एक/2)
तभी उन लुटेरो में से उनका सरदार आगे बढ़ा और चट्टान के पास आकर बोला “खुल जा सिम सिम ” . तभी उस चट्टान में से एक दरवाजा खुला और एक एक करकेसभी लुटेरे अंदर चले गये . उनके अंदर जाने के बाद दरवाजा बंद हो गया . अलीबाबा वहा पेड़ पर बैठा सब देख रहा था और थोड़ी देर बाद वो सभी 40 लुटेरेउस गुफा से बाहर आ गये . सभी के बाहर आ जाने के बाद सरदार ने वापस “बंद होजा सिम सिम ” कहकर गुफा का दरवाजा बंद कर दिया . अब सभी लुटेरे जिस रस्तेसे आये उसी से वापस चले गये . अलीबाबा फिर भी कुछ देर बैठा रहा ताकि शायदकोई गलती से दुबारा लौटकर ना आ जाए . सब कुछ शांत होने के बाद जब उसे यकीनहो गया कि अब कोई वापस नही आ सकता है , वो पेड़ से नीचे उस चट्टान के नजदीकगया . वो चट्टान के पास जाकर सोचने लगा कि मै भी कोशिश करके देखता हु जो वोलुटेरे बोल रहे थे . अलीबाबा बोला “खुल जा सिम सिम ” और उस गुफा का दरवाजाखुल गया . अब वो गुफा के अंदर चला गया और वो गुफा बहुत बड़ी जगह थी . उसकेगुफा के अंदर गुस्ते ही गुफा का द्वार बंद हो गये . उस गुफा के अंदर उपर कीओर दरार से रोशनी के कारण सब कुछ दिखाई दे रहा था . अब वो उस गुफा के अंदरघूमकर देखने लगा और उसे उस गुफा में बहुत सारे हीरे ,जवाहरात , सोना , चांदी और कीमती चोरी के सामान बिखरे हुए थे . ऐसा लग रहा था कि लुटेरो नेकाफी समय तक लुटा हुआ सामान यहा रखा हुआ था . उसने वहा से उतना सोना चांदीऔर जवाहरात उठा लिया जितना वो ले जा सकता था . >>>
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20-03-2018, 05:24 PM | #4 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (एक/3)
अब वो गुफा से बाहर निकल गया और वापस गुफा को उसी मन्त्र से बंद कर दिया . अब वो घर पंहुचा और अपने घर के दरवाजे बंद कर ध्यान से सभी बोरिया रख दी . जब उसकी पत्नी ने इतना सारा सोना और अशर्फिया देखा तो वो सोचने लगी कि उसकेपति ने कही पर चोरी की होगी लेकिन अलीबाबा ने अपनी पत्नी को सारी कहानीबताई . अब अलीबाबा ने अपनी पत्नी को कहा “मै अभी एक गड्डा खोद देता हुजिसमे हम सभी सोने जवाहरात और अशर्फियों को गाड़ देता हु और जब तक तुम मेरेभाई से तराजू लेकर आ जाओ ” . अब अलीबाबा की पत्नी तुरंत कासिम के घर गयी औरकासिम की पत्नी से तराजू माँगा . कासिम की पत्नी बहुत चालाक थी और वो येदेखना चाहती थी कि इतने सालो में इन्होने कभी कुछ नही तोला और आज ऐसा क्यातोल रहे है इसलिए उसने उसने तराजू के नीचे गोंद चिपका दिया ताकि जो भी योतोलेंगे वो इस तराजू के साथ चिपक जाएगा. अब अलीबाबा की पत्नी अपने घर आ गये और उस तराजू को अशर्फियों की बोरी पर रखअशरफिया तौलती गयी . उधर अलीबाबा ने गड्डा खोद दिया था और उन सारीअशर्फियों को उस गड्डे में दफन कर दिया ताकि किसी को पता ना चल सके . अब वोतराजू वापस कासिम की पत्नी को लौटाने गयी लेकिन उसको सोने की अशर्फी केतराजू के नीचे चिपके होने की खबर नही थी . अन उसने तराजू कासिम की पत्नी कोदिया और वापस घर लौट आयी . अब कासिम की पत्नी ने तराजू की नीचे देखा तोउसे एक सोने की अशर्फी मिली . अब वो सोचने लगी कि अलीबाबा के साथ जरुरखजाना लगा होगा जो वो उन अशर्फियों को तोल रहा था . जब कासिम घर आया तोउसकी पत्नी ने उसको सारी बात बताई . >>>
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20-03-2018, 05:26 PM | #5 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (एक/4)
कासिम को इस बात की खबर लगते ही अगले दिन अलीबाबा के घर पहुच गया और कहा “तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो , तुम इतने गरीब हो फिर भी अशरफिया टोल रहे थे ” . अलीबाबा घबरा गया कि उसके भाई को कैसे पता चल गया . कासिम ने उसके भाई को वो अशर्फी दिखाते हुए कहा “तुम्हारे पास ऐसी कितनी अशरफिया है , मेरी पत्नी को जो तुमने तराजू लौटाया था ये उसके नीचे चिपककर आयी थी इसलिए अब जल्दी से मुझे वो खजाना बता दो वरना मै कोतवाल को बुला दूंगा ” . अलीबाबा घबरा गया और अशर्फियों के बारे में अनजान बनने लगा . अब कासिम ने उसको और उसकी पत्नी को जान से मारने की धमकी दी और अलीबाबा को सारा राज बताना पड़ा. अब अगले दिन कासिम अकेला अलीबाबा की बताई हुयी जगह पर 10 खच्चर लेकर गया और उसी गुफा के बाहर आकर बोला “खुल जा सिम सिम ” और गुफा का दरवाजा खुल गया . अब गुफा के अंदर हीरे जवाहरातो और अशर्फियों को देखकर उसकी आँखों पर विश्वास नही हुआ . उसने जितना माल उठा सकता था वो खच्चरों पर लाद दिया . जब वो वापस बाहर जाने के लिए दरवाजे के द्वार पर आया वो “खुल जा सिम सिम ” की जगह पर दूसरा मन्त्र बोलने लग गया और द्वार नही खुला . वो बार बार याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे याद नही आया . अब वो उस गुफा के अंदर फंस गया था ।।
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21-03-2018, 09:24 PM | #6 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (दो/1)
अलीबाबा का भाई कासिम अंदर तो आ गया था लेकिन बाहर जाने के लिए जादुईमन्त्र भूल गया था . उसी दौरान वो सभी डाकू भी आ गये और उन्होंने कासिम कोअंदर देख लिया . उन्होंने कासिम से सारा माल लेकर वापस अपनी जगह पर रख दिया. अब वो अनुमान लगाने लगे कि वो अंदर कैसे आया क्योंकि अंदर आने का मन्त्रतो सिर्फ उन्ही 40 डाकुओ को मालूम था . अब उन्हें अपनी गुफा की सुरक्षा कीचिंता होने लगी थी . अब उन्होंने कासिम को मारकर उसके चार टुकड़े कर दिए औरउन सभी टुकडो को गुफा के दरवाजे पर लटका दिए ताकि उसे देखकर डर के मारेकोई अंदर ना आ सके . ऐसा करके वापस वो लूट के लिए निकल गये . अब कासिम के देर रात नही लौटने पर उसकी पत्नी घबरा गयी और अलीबाबा के घरगयी . उसने कासिम के अभी तक नही लौटने की बात बताई . अलीबाबा ने सोचा भीनही था कि उसका भाई अकेला इतना जल्दी गुफा तक चला जाएगा . अब आधी रात तक परभी नही लौटने पर कासिम की पत्नी को कुछ दुर्घटना की आशंका हुई . सुबह वोवापस अलीबाबा के पास गयी और मदद के लिए कहा . अलीबाबा तुंरत अपनी कुल्हाड़ीसाथ लेकर गुफा तक गया . उस समय सभी डाकू डकैती के लिए निकल चुके थे . अब वोअंदर गया तो उसको कासिम के टुकड़े दरवाजे के पास मिले और वो चकित रह गया . उसने तुरंत उसके शरीर के टुकडो को एक बोरी में भरकर जल्दी से वहा से निकलकरकासिम के घर आ गया . >>>
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21-03-2018, 09:25 PM | #7 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (दो/2)
कासिम के घर का दरवाजा कासिम की बुद्धिमान और चतुर दासी मरजीना ने खोला . उसने मरजीना को कहा “तुम अपने मालिक की मौत और लाश का राज किसी को मत बताना , अब हमें कासिम की लाश को इस तरह दफन करना होगा जैसे उसकी प्राकृतिक मौतहो गयी हो , जल्दी जाकर अपनी मालिकन को बुलाकर लाओ ” . मरजीना अपनी मालकिनको बुलाकर लाई और कासिम की लाश को देखकर उसकी पत्नी जोर जोर से रोने लगीतभी अलीबाबा ने उसे शांत किया और कासिम को दफन करने के लिए योजना बनाने केलिए सोचने लगा . अब मरजीना तुंरत वैद्य के पास गयी और उसको अपने मालिक केलिए औषधि देने को कहा . वो ऐसा इसलिए कर रहे थे ताकि वहा के लोगो को यकीनहो जाए कि कासिम की बीमारी से मौत हुई . अगली सुबह मरजीना मुस्तफा दर्जी के पास गयी और उसे सोने की अशर्फिया देतेहुए कहा “तुम मेरे साथ मेरे घर चलो , मै तुम्हे आँखों पर पट्टी बांधकर लेजाना चाहती हु ” . मुस्तफा हिचकिचाते हुए बोला “ऐसी रात को क्या काम आ गयाजो तुम मुझे चलने को बोल रही हो ” . अब मरजीना ने उसको कुछ ओर सोने कीअशर्फिया देते हुए कहा “डरो मत , तुम्हे मेरे घर चलना है , मेरे मालिक केशरीर के टुकडो को सीना है और काम पूरा होते ही तुम्हे और सोने की अशर्फियादे दूंगी ” . पहले तो मुस्तफा ने घबराते हुए मना कर दिया लेकिन पैसो केलालच में उसने हामी भर दी . >>>
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21-03-2018, 09:27 PM | #8 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (दो/3)
अब मरजीना उसकी आँखों पर पट्टी बांधकर उसको कासिम के घर ले गयी . उसनेकासिम के शरीर को सिया और उसके लिए कफन तैयार कर वापस चला गया . अगले दिनकासिम की बीमारी से मौत की खबर फैला दी और उसको बिना किसी को पता चलते हुएदफन कर दिया . इस तरह किसी को भी कासिम की हत्या का पता नही चला .अब कुछदिनों बाद कासिम की विधवा पत्नी ने दुसरी शादी कर ली और अलीबाबा ने कासिमकी दुकान अपने बड़े बेटे को दे दी . उधर जब डाकू वापस गुफा में आये तो उन्हें कासिम की लाश नही मिली . अब उनकासरदार सोच में पड़ गया क्योंकि कोई ओर भी उनके राज को जान गया था इसलिए उसनेअपने साथीयों को उस आदमी का पता लगाने के लिए बोला . एक डाकू इस काम कोकरने के लिए तैयार हो गया और शहर में घूमते फिरते एक सुबह जल्दी मुस्तफादर्जी की दूकान पर एक दिन यु ही बैठ गया . उसने मुस्तफा दर्जी से पूछा “तुमइतनी जल्दी काम शुरू कर देते हो , अभी तो कोई दुकान नही खुली , मुझे तोविश्वास नही होता है कि तुम्हारे जैसा बुजुर्ग आदमी इतना बढ़िया सिलाई करसकता है ” . अब मुस्तफा दर्जी बोला “लगता है , तुम शहर में नये आये हो , मेरी आँखे बहुत तेज है , तुम विश्वास नही करोगे मैंने एक लाश के टुकडो कोकम रोशनी में सी दिया था ” . अपनी बड़ाई सुनकर उस दर्जी ने गलती से ऐसा बोलदिया . >>>
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21-03-2018, 09:29 PM | #9 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (दो/4)
डाकू ये बात सुनकर खुश हो गया और वो चौकते हुए बोला “एक मरा आदमी , तुमनेएक मरे आदमी को सिया है ” . मुस्तफा ने बात पलटते हुए कहा “नही नही , मैतुम्हे क्यों बताऊ , मैंने तो कुछ नही बोला ” . उस डाकू ने दर्जी को सोनेकी अशर्फिया दिखाई तो लालची दर्जी ने सबी बक दिया . अब उस डाकू ने उस आदमीका घर पूछा जिसके यहा वो शरीर के टुकडो को सीने गया . अब लालची दर्जी ने ओरअशर्फिया पाने के लिए कहा “मेरी तो आँखे बंधी थी ,मैं उसका घर कैसे जानसकता हु ” . उस डाकू ने उसको ओर अशर्फिया दी और घर बताने को बोला . अब उसदर्जी ने कहा “मेरी आंखे बंधी थी लेकिन मैंने कदमो से उसके घर को नाप लियाथा ” . अब दर्जी उस डाकू को मुस्तफा के घर तक लेकर गया और उस डाकू ने उस घरके बाहर एक निशान कर दिया . इस तरह वो डाकू वापस अपने अड्डे में चला गया . कुछ देर बाद जब मरजीना बाहर निकली तो उसने वो निशान अपने घर के बाहर देखाजो सिर्फ उसी के घर पर था दुसरे घरो पर नही था . उसको कुछ शक हुआ कि कोईउसके मालिक को नुकसान पहचाना चाहता है इसलिए उसने वैसा ही निशान सारे घरोपर कर दिया . उधर उस डाकू ने सारी खबर सरदार को बताई और वो डाकू रात कोअपने सरदार को उस जगह पर लेकर गया . अब उस डाकू ने सभी घरो पर निशान देखातो चौंक गया कि उसने तो एक ही घर पर निशान किया था अब उस घर को कैसे पहचाने. बाद में उस डाकू को सरदार ने मार दिया क्योंकि सरदार को लगा कि उसने गलतसुचना दी है . >>>
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21-03-2018, 09:31 PM | #10 |
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Re: अली बाबा और चालीस चोर
अली बाबा और चालीस चोर (दो/5)
अब सरदार मुस्तफा दर्जी के पास गया और उसको जान से मारने की धमकी देकर मुस्तफा का घर बताने को कहा . इस बार सरदार ने उसका घर ध्यान से देख लिया था . अब सरदार ने एक ओर योजना बनाई और उसने 19 खच्चर और 39 बड़े मर्तबान खरीदे जिस्म से के मर्तबान को तेल से भर दिया और बाकी सब को खाली रख दिया . उसने मर्तबान का मुह इतना बड़ा रखा ताकि आदमी उसके अंदर घुस सके . अब वो उन सबके साथ शहर में आया और अलीबाबा के घर पहुच गया . उसने अलीबाबा से कहा “तुम्हारे भाई ने मौत से पहले मुझसे तेल के मर्तबान खरीदे थे जिसकी रकम तो उसने अदा कर दी थी इसलिए मैं उसे लेकर आया हु ” . अलीबाबा ने सारे मर्तबान तबेले में रखने को कहा. ------- भाग दो समाप्त ------
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