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Old 11-07-2013, 03:52 PM   #1
VARSHNEY.009
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Default हिन्दू पंचांग

वेदों में पंचांग (calendar) के अनेकों प्रसंग मिलते हैं जिससे ज्ञात होता है कि हिन्दू पंचांग की उत्पत्ति वैदिक काल में ही हो चुकी थी।
प्रायः सभी हिन्दू पंचांग सूर्य सिद्धान्त में निहित सिद्धान्तों का ही अनुगमन करते हैं।
वैदिक काल के पश्चात् आर्यभट, वाराहमिहिर, भास्कर आदि जैसे ज्योतिष के प्रकाण्ड पण्डितों ने हिन्दू पंचांग को विकसित किया।
हिन्दू पंचाग के पाँच अंग (1) तिथि (2) वसर (3) नक्षत्र (4) योग और (5) करन होते हैं, इसी कारण से इसका नाम पंचांग (पंच+अंग) पड़ा।




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Old 11-07-2013, 03:52 PM   #2
VARSHNEY.009
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Default Re: हिन्दू पंचांग

विक्रम तथा शालिवाहन संवत
विक्रम तथा शालिवाहन संवत सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाले हिन्दू कैलेन्डर हैं।
विक्रम तथा शालिवाहन संवत क्रमशः उत्तर भारत व दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय हैं।
विक्रम तथा शालिवाहन संवत दोनों में ही बारह चंद्रमास होते हैं।
पूर्ण चंद्र वाली रात्रि (पूर्णिमा) के अगले दिन से महीने का आरम्भ होता है।
प्रत्येक चंद्रमास को शुक्लपक्ष एवं कृष्णपक्ष नामक दो पक्षों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक चंद्रमास का आरम्भ कृष्णपक्ष से होता है और अन्त शुक्लपक्ष से।
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Old 11-07-2013, 03:53 PM   #3
VARSHNEY.009
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Default Re: हिन्दू पंचांग

विक्रम तथा शालिवाहन संवत
विक्रम तथा शालिवाहन संवत सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाले हिन्दू कैलेन्डर हैं।
विक्रम तथा शालिवाहन संवत क्रमशः उत्तर भारत व दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय हैं।
विक्रम तथा शालिवाहन संवत दोनों में ही बारह चंद्रमास होते हैं।
पूर्ण चंद्र वाली रात्रि (पूर्णिमा) के अगले दिन से महीने का आरम्भ होता है।
प्रत्येक चंद्रमास को शुक्लपक्ष एवं कृष्णपक्ष नामक दो पक्षों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक चंद्रमास का आरम्भ कृष्णपक्ष से होता है और अन्त शुक्लपक्ष से।
हिन्दू पंचाग के बारह चंद्रमासों के नाम
1. चैत्र
2. वैशाख
3. ज्येष्ठ
4. आषाढ़
5. श्रावण
6. भाद्रपद
7. आश्विन
8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष
10. पौष
11. माघ
12. फाल्गुन
चलते-चलते
त्यौहार के उपलक्ष्य में एक दम्पति ने पण्डित जी को भोजन के लिये निमन्त्रित किया था। पत्नी किचन में गरम गरम पूरियाँ निकाल रही थी और पति डॉयनिंग रूम में पण्डित जी को परस रहा था। पण्डित जी थे कि खाये चले जा रहे थे, खाये चले जा रहे थे।
लगाया गया आटा पूरा चुक गया। पत्नी ने इशारे से पति को बुलाया और बोली, “आटा चुक गया है जी, मैं जल्दी से और आटा गूँथ लेती हूँ, तब तक आप जरा पण्डित जी को बातों में लगा कर उनका हाथ रोकिये।”
पति ने पण्डित जी को बातों में लगाना शुरू किया, “खाना तो अच्छा बना है न पण्डित जी?”
“बहुत सुस्वादु भोजन है यजमान! भगवान तुम्हें सुखी रखे।”
“पूरियाँ कुछ ठंडी हो गई हैं, मैं अभी गरम निकलवा कर लाता हूँ। तब तक आप जरा पानी-वानी पीजिये।”
“पानी तो हम आधा पेट भरने के बाद ही पीते हैं यजमान।”
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Old 11-07-2013, 07:02 PM   #4
aspundir
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Default Re: हिन्दू पंचांग

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Originally Posted by varshney.009 View Post
विक्रम तथा शालिवाहन संवत
विक्रम तथा शालिवाहन संवत सर्वाधिक प्रयोग किये जाने वाले हिन्दू कैलेन्डर हैं।
विक्रम तथा शालिवाहन संवत क्रमशः उत्तर भारत व दक्षिण भारत में अधिक लोकप्रिय हैं।
विक्रम तथा शालिवाहन संवत दोनों में ही बारह चंद्रमास होते हैं।
पूर्ण चंद्र वाली रात्रि (पूर्णिमा) के अगले दिन से महीने का आरम्भ होता है।
प्रत्येक चंद्रमास को शुक्लपक्ष एवं कृष्णपक्ष नामक दो पक्षों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक चंद्रमास का आरम्भ कृष्णपक्ष से होता है और अन्त शुक्लपक्ष से।
गौरतलब है कि मतान्तर से दक्षिण भारत में अमावस्यान्त माह को विशेषतया मान्यता दी जाती है, जबकि उत्तर भारतीय विद्वान पूर्णिमान्त मास के आधार पर कृत्यों का निर्धारण होता है ।
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