06-08-2011, 04:55 AM | #1 |
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दो पंक्ति
भज लो राम नाम मन से तर जाइयेगा आप| मेरे छिपे जख्मो को न कुरेदिये इस कदर , उमड़ेगा सितम जमाने का दर जाइयेगा आप| गर बता दे आपको अपनी आप बीती बात , तो अश्को का समंदर साथ लिए घर जाइयेगा आप| वस्त्र है सचेन्द्र बदन का मत मारिये ठोकर , गर उतर गए तो नंगे नजर आइयेगा आप | |
25-08-2011, 06:38 PM | #2 | |
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Re: दो पंक्ति
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क्योंकि हर एक फ्रेंड जरूरी होता है. |
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08-09-2011, 11:46 PM | #3 |
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Re: दो पंक्ति
बहुत अच्छी रचना है मिश्र जी.
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