02-03-2014, 08:58 PM | #1 |
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शायरी में मुहावरे
मित्रो आज हम आपको शेरो-शायरी में मुहावरों के प्रयोग के बारे में बताना चाहेंगे. वैसे तो हिंदी-उर्दू गद्य और कविता-शायरी में यदा कदा मुहावरों के दर्शन हो जाते हैं, लेकिन आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि आज से लगभग दो सौ वर्ष पहले अरबी-फ़ारसी-उर्दू और संस्कृत के विद्वान ‘सदाखैर’ मिर्ज़ा जान तपिश देहलवी (जन्म: सन 1755 के आसपास / मृत्यु: सन 1814) ने अपने संघर्षमय तथा क्रांतिकारी जीवन में मुब्तिला होने के बावजूद “हिन्दुस्तानी मुहावरों का एक दुर्लभ कोष” तैयार किया जिसका फ़ारसी में नाम रखा गया – “शम्सुल बयान फ़ी मुस्तलहातिल हिन्दुस्तान”. यहाँ यह बता देना जरुरी है कि ‘सदाखैर’ मिर्ज़ा जान नवाब शम्सुद्दौला (जो मुर्शिदाबाद –ढाका - के नवाब थे) के नाम पर इस कोष का नाम रखा गया है. इनका पत्राचार लखनऊ के अपदस्त नवाब वजीर अली से था जो नवाब आसिफुद्दौला की मृत्यु के बाद सन 1797 में लखनऊ के नवाब बने थे. अतः जब अंग्रेजों द्वारा वज़ीर अली को गिरफ़्तार किया गया तो उनके निकटवर्ती माने नवाब शम्सुद्दौला तथा उनके सहयोगी ‘सदाखैर’ मिर्ज़ा जान को भी गिरफ्तार कर लिया गया. 1806 में वह अंग्रेजों की कैद से रिहा हुये. इस बीच कलकत्ते में अपने प्रवास के दौरान ही मिर्ज़ा जान की मृत्यु सन 1814 में हुयी. अब पुनः उक्त कोष पर लौट के आते हैं. इस किताब की ख़ासियत यह है कि इसमें उर्दू और हिंदी के विद्वान् लेखक-कवि ने तत्कालीन जन-जीवन में प्रचलित मुहावरों का संकलन तथा व्याख्या ही तैयार नहीं की बल्कि हर मुहावरे को समझाने के लिये जाने-माने शायरों के माकूल अश’आर दे कर भी इस मुहावरा कोष को अनोखी गरिमा प्रदान की. यह हिंदी-उर्दू-हिन्दुस्तानी में अपनी तरह का एक अनूठा तथा दुर्लभ कोष है. इस कोष को खोजने तथा हिंदी में प्रकाशित करने का श्रेय ऐतिहासिक महत्व की संस्था “ख़ुदा बख्श ओरियेन्टल पब्लिक लाइब्रेरी, पटना (बिहार)”को जाता है. यहाँ उपरोक्त संकलन से सहायता लेते हुये केवल चुनिन्दा मुहावरे तथा अश’आर ही आपकी सेवा में देने का प्रयास किया गया है. आशा हैयह प्रयास आपको अवश्य पसंद आयेगा.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 26-03-2014 at 07:28 AM. |
02-03-2014, 08:59 PM | #2 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
उधेड़ना-बुनना (1)
किसी व्यक्ति द्वारा एकांत में किसी समस्या या उसके समाधान के बारे में तनावपूर्ण स्थिति में सोच-विचार करना. उदाहरण: कुछ आप ही गिरा के, आप ही कुछ चुनता है कहता है कुछ आप ही, आप ही कुछ सुनता है ऐ ‘दर्द’ देख हमको हमेशा ये दिले-ए-दीवाना क्या कुछ उधेड़ता है, आप ही कुछ बुनता है. (शायर: दर्द) उधेड़-बुन (2) उदाहरण: क्या क्या हिर्सो-हवस की धुन है दिल को किस किस ढब की उधेड़बुन है दिल को तशवीशे मआश मग्ज़े-जां खाती जाती है दुनिया की गरज़ तलाश, धुन है दिल को. (शायर: मिर्ज़ा अली नकी ‘महशर’)
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02-03-2014, 09:21 PM | #3 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
ओस पड़ जानी
यह मुहावरा दो अर्थों में प्रयुक्त होता है: 1. किसी कीमती वस्तु का मूल्य कम हो जाना 2. किसी वस्तु का आकर्षण एकाएक बढ़ जाना उदाहरण (1): बर्गे-गुल पर भी फिर इक ओस सी पड़ जावे है देखे आलम जो वो तेरी अरक़ अफ़शानी का ... (मिर्ज़ा जान “सदाखैर”) उदाहरण (2): जुज़ अश्के-बुलबुल अब नहीं गुल शाखसार पर क्या ओस पड़ गयी है चमन में बहार पर .... (मीर हसन)
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02-03-2014, 09:33 PM | #4 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
मुहावरा:
आँखे पथरा जाना भावार्थ: प्रतीक्षा करते करते थक जाना उदाहरण: उस संगदिल की वादा खिलाफ़ी तो देखिये पथरा गयी हैं आँखें मेरी इंतज़ार से ..... (ख्वाजा मीर ‘दर्द’)
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04-03-2014, 04:02 PM | #5 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
Actually I was searching the same since many days. Thanks.
edit note: external links struck off Last edited by rajnish manga; 04-03-2014 at 11:25 PM. |
04-03-2014, 11:28 PM | #6 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
मुहावरा:
एक से दिन नहीं रहते भावार्थ: विपरीत परिस्थितियाँ, कष्ट या संकट आदि सदा नहीं रहते. उदाहरण: हिज्र की रातें भी आखिर कट गयीं एक से रहते. .नहीं. .दिन हमनशीं (शायर: मीर सज्जाद)
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04-03-2014, 11:29 PM | #7 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
मुहावरा > आँखों में खटकना
भावार्थ: आँखों को अप्रिय लगना उदाहरण: जूं अश्क़ तू नज़रों से क्योंकर न गिरा देवे आँखों में तेरी प्यारे हर वक़्त खटकता हूँ. (शायर: कोषकार स्वयं)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 05-03-2014 at 02:56 PM. |
04-03-2014, 11:31 PM | #8 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
मुहावरा > आँख झपकनी
भावार्थ: मुकाबला करने की शक्ति समाप्त हो जाना उदाहरण: मुक़ाबिल हुस्न की गर्मी के तेरे कौन अब होवे कि सूरज की भी तेरे रू-ब-रू आँखें झपकती हैं. (शायर: कोषकार स्वयं)
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05-03-2014, 02:49 PM | #9 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
मुहावरा: आस्तीन का सांप
भावार्थ: निकट रहने वाले व्यक्ति द्वारा शत्रुता का व्यवहार उदाहरण: 1. रफ़्ता रफ़्ता यार जौहर अपने दिखलाने लगा आस्तीं का सांप निकला यह तो जी खाने लगा. (शायर: मिर्ज़ा फिदवीं) 2. डस न ले आस्तीन के सांप कहीं इन से महफूज़ जिंदगी रखना .. (आधुनिक शायर: चाँद शेरी)
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05-03-2014, 03:04 PM | #10 |
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Re: शेरो-शायरी में मुहावरे
मुहावरा > आँखें नीली-पीली करना
भावार्थ: क्रोध करना उदाहरण: रोज़ आँखें नीली-पीली कर जताता है वो शोख़ बज़्म में तो चश्मे-हैरत से न देखा कर मुझे . (शायर: जुर्रअत)
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