26-09-2015, 02:06 PM | #1 |
Diligent Member
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तीन मुक्तक-
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ दानवों ने दाव कैसे दे दिए पेट पर भी पाँव जैसे दे दिए जिन्दगी का कुछ भरोसा है नहीं घाव पर भी घाव ऐसे दे दिए है भरोसा जिन्दगी में अब कहाँ मिल सकेंगी सांस तन को रब कहाँ जब खुशी पर हर कदम पहरा लगा ख्वाहिशों के फूल खिलते कब कहाँ है नजर दुनिया की मेरी चाल पर हँस रहे हो तुम भी मेरे हाल पर है खुशी तुझको तो मेरे पास आ खींच ले दो-चार चावुक खाल पर - आकाश महेशपुरी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ पता- वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, कुशीनगर |
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