My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Knowledge Zone
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 24-05-2011, 12:01 PM   #41
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

राजस्थान की कुछ संग्रहनीय कलाकृतियां


Attached Images
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
This post has an attachment which you could see if you were registered. Registering is quick and easy
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज











Last edited by The ROYAL "JAAT''; 24-05-2011 at 12:06 PM.
The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:01 PM   #42
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:02 PM   #43
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:07 PM   #44
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

मध्य युग में मन्दिर वास्तुशिल्प उत्तरी और दक्षिण शैलियों में विभाजित हो गया था। आधार रचना में समानता के बावजूद अन्य भागों के निर्माण में अपने-अपने लक्षण दृष्टिगोचर होने लगे थे। सम्भवत: इस परिवर्तन का कारण भौगोलिक प्रभाव और क्षेत्र के लोगों की पूजन विधियों में अन्तर रहा हो। राजस्थान में मन्दिरों पर दक्षिणी स्थापत्य शैली का प्रभाव पड़े बिना न रह सका। उत्तर के मन्दिरों पर दक्षिणी स्थापत्य शैली का प्रभाव पड़े बिना न रह सका, इनके शिखरों और मण्डलों की निर्माण रचना दक्षिण से भिन्न रही है। कड़ियों, छज्जों द्वारा शिखर के स्वरुप का विधान किया जाता था, जो पर जाकर पाट को सीमित कर देता था। इसके शीर्ष पर आमलक अपने भार से सम्पूर्ण संरचना को आबद्ध रखता था।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:08 PM   #45
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

दसवीं तथा ग्याहरवीं सदियों में रामगढ़ और जगत के मन्दिरों का निर्माण मन्दिर स्थापत्य कला में एक नूतन दिशा का उद्घोष रहा। राग विषयक दृश्यों के चित्रण को भक्तों में सुखपूर्वक जीवनयापन के लिए ज्ञान के रुप में प्रसारित करना बताया जाता है। इन मिथुन मूर्तियों की नक्काशी का अन्य कारण सांसरिक सुखों और भोगों से विरक्त रहने के लिए भी हो सकता है। इस काल में शिव समप्रदाय का भी प्रभुत्व रहा था।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:09 PM   #46
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

ठाकुर फेरु द्वारा १३१५ ई. में लिखित एक मनोरंजक ग्रंथ वास्तुशास्र, राजस्थान में जैन मन्दिरों के स्थापत्य शिल्प की व्यवहारिक कुंजी रहा है। इसमें वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित स्थापत्य शिल्प के सिद्धान्तों प्रतिपादन किया गया है, जिसका इन मन्दिरों के कलाकारों के द्वारा अक्षरस: पालन किया गया। केवल हिन्दुओं और जैन मतावलम्बियों के धार्मिक प्रासादों के पूजाग्रहों में स्थापित मूर्तियों की भिन्नता के अलावा दोनों ही के मन्दिरों की स्थापत्य कला मिलती-जुलती थी और एक बार तो दोनों धर्मों के निर्मातोओं द्वारा उन्हीं शिल्पियों और स्थापकों को इनके निर्माण के लिए बुलाया जाता रहा। उत्तरी भारत के जैन मन्दिरों में ग्याहरवीं-तेरहवीं सदी में बने आबू के जैन मन्दिर अपनी विशिष्ठ शैली वाले हैं। इनकी रचना मकराना के सफेद संगमरमर से हुई है और ये प्रभावोत्पादक अलंकृत स्तम्भों से शोभायुक्त है। भित्तियों और स्तम्भों की सजावट घिस-घिस कर की गई है काट-काटकर नहीं। यह पद्धति सदियों तक काम में लायी जाती रही और बाद में मुगल वास्तुकारों ने ग्रहण किया।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:10 PM   #47
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

बाहरवीं सदी से लेकर तेहरवीं सदी का काल राजपूत राजाओं में आन्तरिक वैमनस्य और दुर्जेय मुगलों के साथ-साथ संघर्ष का कथानक है। इसी परिस्थिति में राजा और प्रजा दोनों के लिए सुन्दर प्रसादों का निर्माण करवा पाना सहज नहीं था। वर्तमान मन्दिरों को भी मुसलमान मूर्ति-भंजनों ने बहुत क्षिति पहुंचाई। इसका एक कारण उनकी वह अंधी ईर्ष्या भी थी जिसके द्वारा वे अपनी स्थापत्य कला को श्रेष्ठता की स्थिति में पहुंचाना चाहते थे। उनके हाथों विनाश से शायद ही कोई मन्दिर बच पाया हो। चित्तौड़गढ़, रणकपुर और राजस्थान के अन्य मंदिर आज भी उस धार्मिक प्रतिशोध की शोकमयी कहानी कहते हैं।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:12 PM   #48
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

अनिश्चय की स्थितियों और मुगलों के आधिपत्य के बावजूद, चौदहवीं और पन्द्रहवीं सदी में अचलगढ़, पीपड़, रणकपुर और चित्तौड़गढ़ के मन्दिरों का आविर्भाव हुआ।

मुसलमानी काल में उत्पीड़न के होते हुए भी धार्मिक उत्साह में कोई कमी नहीं आई। अंग्रेजों के राज्य में मन्दिर बनवाने वालों को न तो तंग किया गया, न उन्हें किसी प्रकार का प्रोत्साहन ही प्राप्त हुआ। जयपुर में जयपुर की महारानी ने माधो बिहारी जी के मन्दिर का निर्माण करवाया। पिलानी में सफेद संगमरमर से निर्मित शारदा मन्दिर, राजस्थान के मन्दिर स्थापत्य शिल्प के इतिहास में बिड़ला परिवार का उल्लेखनीय योगदान है
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 12:32 PM   #49
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

राजस्थानी कला : इतिहास का पूरक साधन



राजस्थानी स्थापत्य कला
मुद्रा कला
मूर्ति कला
धातु मूर्ति कला
चित्रकला
धातु एवं काष्ठ कला
लोककला
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 24-05-2011, 01:28 PM   #50
kuram
Member
 
kuram's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Posts: 168
Rep Power: 15
kuram will become famous soon enoughkuram will become famous soon enough
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

Quote:
Originally Posted by the royal "jaat'' View Post
१५वीं शताब्दी के मध्य में मेवाड़ का राणा कुम्भा उत्तरी भारत में एक प्रचण्ड शक्ति के रुप में उभरा। उसने गुजरात, मालवा, नागौर के सुल्तान को अलग-अलग और संयुक्त रुप से हराया। सन् १५०८ में राणा सांगा ने मेवाड़ की बागडोर संभाली। सांगा बड़ा महत्वाकांक्षी था। वह दिल्ली में अपनी पताका फहराना चाहता था। समूचे राजस्थान पर अपना वर्च स्थापित करने के बाद उसने दिल्ली, गुजरात और मालवा के सुल्तानों को संयुक्त रुप से हराया। सन् १५२६ में फरगाना के शासक उमर शेख मिर्जा के पुत्र बाबर ने पानीपत के मैदान में सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली पर अधिकर कर लिया। सांगा को विश्वास था कि बाबर भी अपने पूर्वज तैमूरलंग की भांति लूट-खसोट कर अपने वतन लौट जाएगा, पर सांगा का अनुमार गलत साबित हुआ। यही नहीं, बाबर सांगा से मुकाबला करने के लिए आगरा से रवाना हुआ। सांगा ने भी समूचे राजस्थान की सेना के साथ आगरा की ओर कूच किया। बाबर और सांगा की पहली भिडन्त बयाना के निकट हुई। बाबर की सेना भाग खड़ी हुई। बाबर ने सांगा से सुलह करनी चाही, पर सांगा आगे बढ़ताही गया। तारीख १७ मार्च, १५२७ को खानवा के मैदान में दोनों पक्षों में घमासान युद्ध हुआ। मुगल सेना के एक बार तो छक्के छूट गए। किंतु इसी बीच दुर्भाग्य से सांगा के सिर पर एक तीर आकर लगा जिससे वह मूर्छित होकर गिर पड़ा। उसे युद्ध क्षेत्र से हटा कर बसवा ले जाया गया। इस दुर्घटना के साथ ही लड़ाई का पासा पलट गया, बाबर विजयी हुआ। वह भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डालने में सफल हुआ, स्पष्ट है कि मुगल साम्राज्य की स्थापना में पानीपत का नहीं वरन् खानवा का युद्ध निर्णायक था।

सांगा की सेना तीर लगने से नहीं बल्कि बाबर के तोपखाने के कारण हारी थी. राजपूतो की सेना तोपखाने से अनजान थी. उसके घोड़े भी धमाको के अभ्यस्त नहीं होने के कारण वो तोप के धमाको से बिदक कर भागने लगे. बाबर की सेना भी राजपूतो से इतनी खौफजदा थी की उसने लड़ने से मना कर दिया था लेकिन बाबर ने धार्मिक और जोश भरा भाषण दिया और सेना को लड़ने के लिए तैयार कर लिया. खुद राणा सांगा अपने शरीर पर अस्सी घाव लिए था. युद्ध के समय भी उसका एक हाथ एक पैर और एक आँख बेकार थी.

जयचंद (पृथ्वीराज का ससुर ) की सेना जरूर जयचंद की आँख में तीर लगने से हारी थी. उसकी आँख में तीर उस समय लगा जब गौरी का हारना लगभग तय था.
kuram is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 10:00 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.