21-10-2014, 10:29 AM | #1 |
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खुद का विकास करिए
जो भी नोटिस पढता उसे पहले तो दुःख होता लेकिन फिर जिज्ञासा हो जाती की आखिर वो कौन था जिसने उसकी ग्रोथ रोक रखी थी … और वो हॉल की तरफ चल देता …देखते देखते हॉल के बाहर काफी भीड़ इकठ्ठा हो गयी , गार्ड्स ने सभी को रोक रखा था और उन्हें एक -एक कर के अन्दर जाने दे रहा था. सबने देखा की अन्दर जाने वाला व्यक्ति काफी गंभीर हो कर बाहर निकलता , मानो उसके किसी करीबी की मृत्यु हुई हो !… इस बार अन्दर जाने की बारी एक पुराने एम्प्लोयी की थी …उसे सब जानते थे ,सबको पता था कि उसे हर एक चीज से शिकायत रहती है …. कंपनी से , सहकर्मियों से , वेतन से हर एक चीज से ! पर आज वो थोडा खुश लग रहा था …उसे लगा कि चलो जिसकी वजह से उसकी लाइफ में इतनी प्रोब्लम्स थीं वो गुजर गया …अपनी बारी आते ही वो तेजी से ताबूत के पास पहुंचा और बड़ी जिज्ञासा से उचक कर अन्दर झाँकने लगा …पर ये क्या अन्दर तो एक बड़ा सा आइना रखा हुआ था. यह देख वह क्रोधित हो उठा और जोर से चिल्लाने के हुआ कि तभी उसे आईने के बगल में एक सन्देश लिखा दिखा - “इस दुनिया में केवल एक ही व्यक्ति है जो आपकी ग्रोथ रोक सकता है और वो आप खुद हैं . इस पूरे संसार में आप वो अकेले व्यक्ति हैं जो आपकी ज़िन्दगी में क्रांति ला सकता है . आपकी ज़िन्दगी तब नहीं बदलती जब आपका बॉस बदलता है , जब आपके दोस्त बदलते हैं , जब आपके पार्टनर बदलते हैं , या जब आपकी कंपनी बदलती है …. ज़िन्दगी तब बदलती है जब आप बदलते हैं , जब आप अपनी लिमिटिंग बिलीफ्स तोड़ते हैं , जब आप इस बात को रीयलाईज करते हैं कि अपनी ज़िंदगी के लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हैं . सबसे अच्छा रिश्ता जो आप बना सकते हैं वो खुद से बनाया रिश्ता है . खुद को देखिये , समझिये …कठिनाइयों से घबराइए नहीं उन्हें पीछे छोडिये … विजेता बनिए , खुद का विकस करिए और अपनी उस वास्तविकता का निर्माण करिए जिसका करना चाहते हैं ! दुनिया एक आईने की तरह है : वो इंसान को उसके शशक्त विचारों का प्रतिबिम्ब प्रदान करती है . ताबूत में पड़ा आइना दरअसल आपको ये बताता है की जहाँ आप अपने विचारों की शक्ति से अपनी दुनिया बदल सकते हैं वहां आप जीवित होकर भी एक मृत के समान जी रहे हैं। इसी वक़्त दफना दीजिये उस पुराने ’मैं’ को और एक नए ’मैं’ का सृजन कीजिये !!!” दोस्तों आपको ये स्टोरी कैसी लगी जरुर बताएं; और जयादा से ज्यादा शेयर करके और लोगो तक पहुचाये। धन्यवाद।
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21-10-2014, 10:50 AM | #2 |
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Re: खुद का विकास करिए
किसी शहर में एक महिला थी. वह शादीशुदा थी और उसकी 16 साल की एक बच्ची भी थी. उसके पति दूसरे शहर में नौकरी करते थे. वह महिला बिलकुल आम अभिभावकों की तरह थी उसने अपनी बेटी से बड़ी उम्मीदें लगा रखी थी और बेटी की छोटी सी गलती भी उससे बर्दाश्त नहीं होती थी.
जब बेटी की परीक्षाएं चल रही थी तब माँ ने उसे ताकीद कर दी थी उसे मेरिट लिस्ट में आना ही हैं. मेरिट से कम कुछ भी स्वीकार नहीं होगा, यहाँ तक की प्रथम श्रेणी भी फ़ैल होने की तरह मानी जाएगी. लड़की मेधावी थी लेकिन थी तो किशोरी ही. जब उम्मीदों का दबाव बढ़ा तो वह परेशान हो गयी. जैसे तैसे परीक्षाएं निबटी और अब रिजल्ट का इंतज़ार होने लगा. आखिर वह दिन आ ही गया. माँ की उम्मीद शिखर पे थी लेकिन बेटी का हौसला रसातल में जा पहुंचा था. माँ को सुबह सुबह काम पर जाना था सो बेटी रिजल्ट लेने गयी और माँ अपने ऑफिस. ऑफिस से उसने कई बार घर पर फोन लगाया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. हैरान परेशान माँ भोजन अवकाश में घर पहुंची. उसने देखा की दरवाजे की कुण्डी चढ़ी हुई थी. उसे लगा की बेटी अपनी सहेलियों के साथ घूम फिर रही होगी. बहरहाल, वह अन्दर गयी. उसने देखा की बेटी के कमरे के टेबल पर कोई कागज़ रखा हुआ हैं. शायद कोई चिट्ठी थी. उसके मन में ढेरो शंकाएं उमड़ने घुमड़ने लगी उसने धडकते दिल से कागज़ उठाया. वह माँ के नाम बेटी का ही पत्र था. उसमे लिखा था: प्रिय माँ , मुझे बताते हुए बड़ा संकोच हो रहा हैं की मैंने घर छोड़ दिया हैं और मैं अपने प्रेमी के साथ रहने चली गयी हूँ मुझे उसके साथ बड़ा अच्छा लगता हैं. उसके वो स्टाइलिश टैटू ,कलरफुल हेयर स्टाइल … मोटरसाइकिल की रफ़्तार, वे हैरतअंगेज करतब. वाह ! उस पर कुर्बान जाऊ. मेरे लिए ख़ुशी की एक और बात हैं. माँ , तुम नानी बनने वाली हो. मैं उसके घर चली गयी, वह एक झुग्गी बस्ती में रहता हैं. माँ उसके ढेर सारे दोस्त हैं. रोज शाम को वो सब इकठ्ठा होते हैं और फिर खूब मौज मस्ती होती हैं. माँ एक और अच्छी बात हैं अब मैं प्रार्थना भी करने लगी हूँ. मैं रोज प्रार्थना करती हूँ की AIDS का इलाज जल्दी से जल्दी हो सके ताकि मेरा प्रेमी लम्बी उम्र पाएं. माँ मेरी चिंता मत करना. अब मैं 16 साल की हो गयी हूँ और अपना ध्यान खुद रख सकती हूँ. माँ तुम अपने नाती -नातिन से मिलने आया करोगी ना ? तुम्हारी बेटी फिर कुछ नीचे लिखा था नोट : माँ ,परेशान होने की जरूरत नहीं हैं. यह सब झूठ हैं . मैं तो पडोसी के यहाँ बैठी हूँ. मैं सिर्फ यही दर्शाना चाहती थी की मेज़ की दराज में पड़ी मेरी marksheet ही सबसे बुरी नहीं हैं, इस दुनिया में और भी बुरी बातें हो सकती है। सबक – बच्चों से उम्मीद तो रखे पर दबाव ना डालें. कही ऐसा ना हो की दबाव और डांट डपट के चलते वे कोई गलत कदम उठा ले. दोस्तों मैं बस इस कहानी की द्वारा बस यही बताना चाहता हूँ की किसी एक चीज के न होने से जिन्दगी खत्म नही हो जाती। अगर आप स्वयं अभिभावक हैं तो स्वयं इस बात का ख्याल रखे की अपने बच्चो पर अतिरिक्त दवाव न डाले और बच्चे इसे अपने अभिभावकों को अवश्य सुनाएँ जिससे उनकी भी सोच मैं बदलाव आ सके ।
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21-10-2014, 09:19 PM | #3 | |
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Re: खुद का विकास करिए
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बहुत बहुत धन्यवाद bhai |
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21-10-2014, 10:38 PM | #4 |
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Re: खुद का विकास करिए
बहुत ही अच्छा विषय चुना है आपने रफीक जी , उसके लिए आपका शुक्रिया।
खुद का विकास करने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी जो चीज़ है वो है खुद पर भरोसा करना , ये सोचना कि मैं इतना सक्षम हूँ कि अपनी ज़िन्दगी बदल सकता हूँ। जिस दिन हम खुद पर भरोसा करना शुरू कर देंगे उस दिन से ही हमारे विकास का पथ खुल जायेगा। |
22-10-2014, 11:26 AM | #5 |
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Re: खुद का विकास करिए
एक बार एक आदमी ने देखा कि एक गरीब फटेहाल बच्चा बड़ी उत्सुकता से उसकी महंगी ऑडी कार को निहार रहा था। गरीब बच्चे पर तरस खा कर अमीर आदमी ने उसे अपनी कार में बैठा कर घुमाने ले गया।
लड़के ने कहा : साहब आपकी कार बहुत अच्छी है, यह तो बहुत कीमती होगी न...।
अमीर आदमी ने गर्व से कहा : हां, यह लाखों रुपए की है। गरीब लड़का बोला : इसे खरीदने के लिए तो आपने बहुत मेहनत की होगी? अमीर आदमी हंसकर बोला : यह कार मुझे मेरे भाई ने उपहार में दी है। गरीब लड़के ने कुछ सोचते हुए कहा : वाह! आपके भाई कितने अच्छे हैं। अमीर आदमी ने कहा : मुझे पता है कि तुम सोच रहे होंगे कि काश तुम्हारा भी कोई ऐसा भाई होता जो इतनी कीमती कार तुम्हे गिफ्ट देता!! गरीब लड़के की आंखों में अनोखी चमक थी, उसने कहा : नहीं साहब, मैं तो आपके भाई की तरह बनना चाहता हूं... कथा सार : अपनी सोच हमेशा ऊंची रखें, दूसरों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक ऊंची, तो आपको बड़ा बनने से कोई रोक नहीं सकता।
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24-10-2014, 02:06 PM | #6 |
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Re: खुद का विकास करिए
रफीक जी ,आपकी कहानियां वाकई बहुत ही प्रेरणादायी और बेहद अच्छी हैं।
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25-10-2014, 10:03 AM | #7 |
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Re: खुद का विकास करिए
आजकल आपके दर्शन बहुत कम हो रहे हैं, कुकी जी?
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27-10-2014, 03:56 PM | #8 |
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Re: खुद का विकास करिए
रात का समय था, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था , नज़दीक ही एक कमरे में चार मोमबत्तियां जल रही थीं। एकांत पा कर आज वे एक दुसरे से दिल की बात कर रही थीं।
पहली मोमबत्ती बोली, ” मैं शांति हूँ , पर मुझे लगता है अब इस दुनिया को मेरी ज़रुरत नहीं है , हर तरफ आपाधापी और लूट-मार मची हुई है, मैं यहाँ अब और नहीं रह सकती। …” और ऐसा कहते हुए , कुछ देर में वो मोमबत्ती बुझ गयी। दूसरी मोमबत्ती बोली , ” मैं विश्वास हूँ , और मुझे लगता है झूठ और फरेब के बीच मेरी भी यहाँ कोई ज़रुरत नहीं है , मैं भी यहाँ से जा रही हूँ …” , और दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी। तीसरी मोमबत्ती भी दुखी होते हुए बोली , ” मैं प्रेम हूँ, मेरे पास जलते रहने की ताकत है, पर आज हर कोई इतना व्यस्त है कि मेरे लिए किसी के पास वक्त ही नहीं, दूसरों से तो दूर लोग अपनों से भी प्रेम करना भूलते जा रहे हैं ,मैं ये सब और नहीं सह सकती मैं भी इस दुनिया से जा रही हूँ….” और ऐसा कहते हुए तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गयी। वो अभी बुझी ही थी कि एक मासूम बच्चा उस कमरे में दाखिल हुआ। मोमबत्तियों को बुझे देख वह घबरा गया , उसकी आँखों से आंसू टपकने लगे और वह रुंआसा होते हुए बोला , “अरे , तुम मोमबत्तियां जल क्यों नहीं रही , तुम्हे तो अंत तक जलना है ! तुम इस तरह बीच में हमें कैसे छोड़ के जा सकती हो ?” तभी चौथी मोमबत्ती बोली , ” प्यारे बच्चे घबराओ नहीं, मैं आशा हूँ और जब तक मैं जल रही हूँ हम बाकी मोमबत्तियों को फिर से जला सकते हैं। “ यह सुन बच्चे की आँखें चमक उठीं, और उसने आशा के बल पे शांति, विश्वास, और प्रेम को फिर से प्रकाशित कर दिया। मित्रों , जब सबकुछ बुरा होते दिखे ,चारों तरफ अन्धकार ही अन्धकार नज़र आये , अपने भी पराये लगने लगें तो भी उम्मीद मत छोड़िये….आशा मत छोड़िये , क्योंकि इसमें इतनी शक्ति है कि ये हर खोई हुई चीज आपको वापस दिल सकती है। अपनी आशा की मोमबत्ती को जलाये रखिये ,बस अगर ये जलती रहेगी तो आप किसी भी और मोमबत्ती को प्रकाशित कर सकते हैं।
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28-10-2014, 01:06 AM | #9 | |
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Re: खुद का विकास करिए
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28-10-2014, 06:49 AM | #10 |
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Re: खुद का विकास करिए
बहुत खूब ..
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