23-11-2010, 05:21 AM | #11 |
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Re: विज्ञान विश्व
(१)आकार ग्रहण प्रक्रिया(Structure Formation)- यह ब्रम्हांड निर्माण भौतिकि का एक मुलभूत अनसुलझा रहस्य है। ब्रम्हाण्ड जैसा की हम ब्रम्हांडीय विकीरण(Cosmic Microvave Background Radiation) के अध्यन से जानते है, एक अत्यंत घने , अत्यंत गर्म बिन्दू के महाविस्फोट से बना है। लेकिन आज की स्थिती मे हर आकार के आकाशिय पिंड मौजूद है, ग्रह से लेकर आकाशगंगाओ से आकार से गैसो के बादल (Cluster) के दानवाकार तक के है। एक शुरूवाती दौर केसमांगी ब्रम्हांड से आज का ब्रम्हांड कैसे बना ? (२) महाविस्फोट केन्द्रीय संश्लेषण(Big Bang Ncleosynthesis) : हायड्रोजन(H1) को छोडकर अन्य तत्वो के परमाणू केन्द्रक निर्माण की प्रक्रिया। (३) साधारण पदार्थ(Byaronic Matter) मुख्यतः इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान से बना होता है।इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान को बायरान भी कहते है। (४) विम्प(WIMP:weakly interacting massive particles): अभी तक ये कालप्नीककण है। ये कण कमजोर आणविक बल और गुरूत्वाकर्षण बल से ही प्रतिक्रिया करते है। इनका द्रव्यमान साधारण कणो(बायरान) की तुलना मे काफी अधिक होता है। ये साधारण पदार्थ से प्रतिक्रिया नही करते जिससे इन्हे देखा और महसूस नही किया जा सकता। (५)एक्सीआन(Axions): यह भी एक कालप्नीक मूलभूतकण है, इन पर कोई विद्युतिय आवेश नही होता है और इनकाद्रव्यमान काफी कम १०-६ से १०-२ eV/c2 के बीच होना चाहिये। मजबूत चुम्बकिय बलो की उपस्थिती मे इन्हे फोटान मे बदल जाना चाहिये। (६) माचो(अत्यंत विशाल सघन प्रकाशितपिंड)(MACHO: Massive compact halo object): ये उन पिण्डो के लिये दिया गया नाम है जो श्याम पदार्थ की उपस्थिती को समझने मे मदद कर सकते है। ये श्याम वीवर (Black Hole) , न्युट्रान तारे, सफेद ड्वार्फ या लाल ड्वार्फ भी हो सकते है। (७)वाइरियल प्रमेय अदिक जानकारे के लिये देखें : http://en.wikipedia.org/wiki/Virial_theorem (८) देखें http://en.wikipedia.org/wiki/Galactic_rotation_curve (९)गुरुत्विय वक्र (gravitational lensing) :प्रकाश किरणो के मे उस समयआई वक्रता होती है जब ये किसी गुरुत्विय लेंस से गुजरती है। ये गुरुत्विय लेंस श्याम विवर भी हो सकता है। (१०)अचर न्युट्रीनो (sterile neutrinos): जिन न्युट्रीनो पर कीसी भी मूलभूत बलो का प्रभाव नही होता है। (४)
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23-11-2010, 05:34 AM | #12 |
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Re: विज्ञान विश्व
श्याम उर्जा (DARK ENERGY)
यह विषय एकविज्ञान फैटंसी फिल्म की कहानी के जैसा है। श्याम उर्जा(Dark Energy),एक रहस्यमय बल जिसे कोई समझ नही पाया है, लेकिन इस बल के प्रभाव से ब्रम्हाण्ड के पिंड एक दूसरे से दूर और दूर होते जा रहे है। यह वह काल्पनिक बल है जिसका दबाव ऋणात्मक है और सारे ब्रम्हाण्ड मे फैला हुआ है। सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार , इस ऋणात्मक दबाव का प्रभाव गुरुत्वाकर्षण के विपरीतप्रभाव के समान है। श्याम उर्जा १९९८ मे उस वक्त प्रकाश मे आयी , जब अंतरिक्ष विज्ञानीयो के २ समुहो ने विभीन्न आकाशगंगाओ मेविस्फोट की प्रक्रिया से गुजर रहे सितारो(सुपरनोवा)(१) पर एक सर्वे किया। उन्होने पाया की ये सुपरनोवा की प्रकाश दिप्ती अपेक्षित प्रकाश दिप्ती से कम है, इसका मतलब यह कि उन्हे जितने पास होना चाहिये थी , वे उससे ज्यादा दूर है। इसका एक ही मतलब हो सकता था कि ब्रम्हांड के विस्तार की गति कुछ काल पहले की तुलना मे बढ गयी है!(लाल विचलन भी देंखे) इसके पहले तक यह माना जाता था कि ब्रम्हांड के विस्तार की गति धीरे धीरे गुरूत्वाकर्षण बल के कारण कम होते जा रही है। लेकिन सुपरनोवा के विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि कोई रहस्यमय बल गुरूत्वाकर्षण बल ले विपरीत कार्य कर ब्रम्हाण्ड के विस्तार को गति दे रहा है। यह एक आश्चर्यजनक , विस्यमयकारी खोज थी। पहले तो वैज्ञानिको को इस प्रयोग के परिणामो की विश्वनियता पर ही शक हुआ। उन्हे लगा की सुपरनोवा की प्रकाशदिप्ती किसी गैस या धूल के बादल के कारण कम हो सकती है या यह भी हो सकता है कि सुपरनोवा की प्रकाश दिप्ती के बारे मे वैज्ञानिको का अनुमान ही गलत हो। लेकिन उपलब्ध आंकडो को सावधानी पुर्वक जांचने के बाद पता चला कि कोई रहस्यमय बल का आस्तित्व जरूर है जिसे आज हम श्याम उर्जा (Dark Energy)कहते है। वैसे यह विचार एकदम नया नही है। आईंस्टाईन ने अपने सापेक्षतावाद के सिद्धांत(Theory of Relativity) मे एकप्रति गुरुत्वाकर्षण प्रभाव को दर्शाने वाला बल ब्रम्हांडिय स्थिरांक (Cosmological Constant) का समावेश किया है। लेकिन आईन्स्टाईन खुद और बाद मे अन्य विज्ञानी भी मानते थे कि यहब्रम्हांडिय स्थिरांक (Cosmological Constant)एकगणितिय सरलता के लिये ही है जिसका वास्तविकता से काफी कम रिश्ता है। १९९० तक किसी ने भी नही सोचा था कि यहब्रम्हांडिय स्थिरांक एक सच्चाई भी हो सकता है। दक्षिण केलीफोर्नियाविश्वविद्यालय कीवर्जीनिया ट्रीम्बल कहती है “श्याम उर्जा को प्रति गुरुत्वाकर्षण कहना सही नही है। यह बल गुरुत्वाकर्षण के विपरीत कार्य नही करता है। यह ठिक वैसे ही व्यव्हार करता है जैसे सापेक्षकतावाद के सिद्धांत के उसे अनुसार उसे करना चाहिये। सापेक्षतवाद के सिद्धांत के अनुसार इस बल का दबाव ऋणात्मक है।“ उनके अनुसार ” मान लिजियेब्रम्हाण्ड एक बडा सा गुब्बारा है। जब यह गुब्बारा फैलता है, तब विस्तार से इसश्याम उर्जा का घनत्व कम होता है और गुब्बारा थोडा और फैलता है। ऐसा इसलिये कि श्याम उर्जा सेऋणात्मक दबाव(२) उत्पन्न होता है। जबकि गुब्बारे के अंदर यह गुब्बारे को खिंचने की कोशीश कर रहा है, घनत्व जितना कम होगा यह गुब्बारे को अंदर की ओर कम खिंच पायेगा जिससे विस्तार और ज्यादा होगा। यही प्रक्रिया ब्रम्हाण्ड के विस्तार मे हो रही है।” सुपरनोवा का उदाहरण यह बताता है कि ब्रम्हांड के विस्तार का त्वरण(acceleration) ५ खरब वर्ष पहले शूरू हुआ था। उस समय आकाशगंगाये इतनी दूरी पर जा चुकी थी कि गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभावसे श्याम उर्जा का प्रभाव ज्यादा हो चुका था।(ध्यान रहे गुरुत्वाकर्षण बल विभिन्न पिण्डो अपनी तरफ खिंचता है, श्याम उर्जा वही उन्हे एक दूसरे से दूर ले जाती है।) उस समय के पश्चात श्याम उर्जा के प्रभाव से ब्रम्हांड के विस्तार की गति बढते जा रही है। अब ऐसा प्रतित हो रहा है कि यह गति अनिश्चित काल के लिये बढते जायेगी। इसका मतलब यह है कि आज की तुलना मे खरबो वर्षो बाद हर आकाशिय पिंड एक दूसरे तेज और तेज दूर होते जायेगा और हम अकेले रह जायेंगे। श्याम उर्जा के इस नये सिद्धांत ने वैज्ञानिको को थोडानिराश किया है, उन्हे एक अप्रत्याशीत और एकदम नये ब्रम्हांड की अवधारणा को स्विकारना पडा है। वे पहले ही एक श्याम पदार्थ(Dark Matter)की अवधारणा को मान चुकेहै। आज की गणना के अनुसार यह श्याम पदार्थ , वास्तविक पदार्थ से कहीं ज्यादा है। यह एक ऐसा पदार्थ है जिसे आज तक किसी प्रयोगशाला मे महसूसनही किया गया है लेकिन इसके होने के सबुत पाये गये है। अब श्याम उर्जा का आगमन जख्मो पर नमक छिडकने के समान है। अंतरिक्ष विज्ञानीयो के अनुसार ब्रम्हांड तिन चिजो से बना है साधारण पदार्थ , श्याम पदार्थ और श्याम उर्जा। हम सिर्फ साधारण पदार्थ के बारे मे जानते है। ब्रम्हाडं का ९०-९५% भाग ऐसे दो पदार्थो से बना है जिसके बारे मे कोई नही जानता , यह सुनकरआप कैसा महसूस करते है ? क्वांटम भौतिकी को समझने के लिये दो पिढीया लग गयी। यह समय उस विज्ञान के बारे मे था जिसे हम प्रयोगशाला मे प्रयोग कर के सिद्ध कर सकते थे। एक ऐसे पदार्थ और उर्जा को समझना जिसे देखा नही जा सकता, प्रयोगशाला मे बनाया नही जा सकता कितना कठीन है ? लेकिन श्याम उर्जा ने एक ऐसे रहस्य को सुलझा दिया है जो ब्रम्हांडिय विकीरण ने उत्पन्न किया था। ब्रम्हाण्डीय विकीरण की तिव्रता के विचलन परहाल ही के प्रयोगो से प्राप्त आंकडे ब्रम्हांड के अनंत विस्तार केसिद्धांत का प्रतिपादन करते हैं। लेकिन वैज्ञानिको के लिये इस विस्तार के पिछे कारणीभूत बल एक पहेली था, श्याम उर्जा शायद इसी का हल है। श्याम उर्जा का आस्तित्व चाहेकिसी भी रूप मे गणना की गयीब्रम्हांड की ज्यामिती और ब्रम्हांड के कुलपदार्थ की मात्रा के संतुलन के लिये जरूरी है। ब्रम्हांडीय विकीरण (cosmic microwave background (CMB)), की गणना यह संकेत देती है की ब्रम्हांड लगभगसपाट(Flat) है। ब्रम्हाण्ड के इस आकार के लिये , द्रव्यमान और उर्जा का अनुपात एक निश्चित क्रान्तिकघनत्व(Critical Density) के बराबर होना चाहिये। ब्रम्हाण्ड के कुल पदार्थ की मात्रा (बायरान और श्याम पदार्थ को मिला कर), ब्रम्हांडीय विकीरण की गणना के अनुसार क्रान्तिकघनत्व का सिर्फ ३०% ही है। इसका मतलब यह है कि श्याम उर्जा ब्रम्हांड के कुल द्रव्यमान का ७०% होना चाहीये। हाल के अध्यन से ज्ञात हुआ है कि ब्रम्हांड का निर्माण ७४% प्रतिशत श्याम उर्जा से, २२% श्याम पदार्थ से और सिर्फ ४% साधारण पदार्थ से हुआ है। और हम इसी ४% साधारण पदार्थ के बारे मे जानते है। श्याम उर्जा की प्रकृती एक सोच का विषय है। यह समांगी, कम घन्तव का बल है जो गुरुत्वाकर्षण के अलावा किसी और मूलभूत बलो(३) से कोई प्रतिक्रिया नही करता है। इसका घन्तव काफी कम है लगभग १०-२९g/cm3 ।इसकी प्रयोगशाला मे जांच लगभग असंभव ही है। (१)
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23-11-2010, 05:35 AM | #13 |
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Re: विज्ञान विश्व
श्याम उर्जा को समझाने के लिये सबसे ज्यादा मान्य सिद्धांत हैब्रम्हाण्डिय स्थिरांक सिद्धांत:
यह आईन्स्टाईन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत है। यह एक दम सरल है, इसके अनुसार अंतराल मे (Volume of Space) मे एकअंतस्थ मूलभूत उर्जा होती है। यह एकब्रम्हाण्डिय स्थिरांक है जिसे लैम्डा कहते है। द्रव्यमान और उर्जा का ये आईन्सटाईन के समीकरणe=mc2 के द्वारा संबधीत है, इससे यह साबीत होता है किब्रम्हाण्डिय स्थिरांक पर गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव होना चाहिये। इसे कभी कभी निर्वात उर्जा (Vacuum Energy) भी कहते है क्योंकि यह निर्वात की उर्जा का घनत्व है। वैज्ञानिको की गणना के अनुसार ब्रम्हाण्डिय स्थिरांक का मूल्य १०-२९g/cm3 है। ब्रम्हाण्डिय स्थिरांक एक ऋणात्मक दबाव वाला बल है जो अपनेउर्जा घन्तव के बराबर होता है, इसी वजह से यह ब्रम्हांड के विस्तार को त्वरण देता है। श्याम उर्जा का ब्रम्हांड के भविष्य पर प्रभाव जैसा कि हम पहले देख चुके हैसुपरनोवा का उदाहरण यह बताता है कि ब्रम्हांड के विस्तार का त्वरण(acceleration) ५ खरब वर्ष पहले शूरू हुआ था। इसके पहले यह सोचा जाता था कि ब्रम्हांड के विस्तार की गति बायरानीक और श्याम पदार्थ के गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप कम हो रही है। विस्तारीत होते ब्रम्हांड मेश्याम पदार्थ का घन्तव का श्याम उर्जा की तुलना मे ज्यादा तिव्रता से ह्रास होता है। जिससे श्याम उर्जा का पलडा भारी रहता है। जब ब्रम्हाण्ड का आकार दूगुणा हो जाता है श्याम पदार्थ का घन्तव आधा हो जाता है जबकी श्याम उर्जा का घनत्व ज्योंका त्यों रहता है। सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार तो यहब्रम्हांडिय स्थिरांक (Cosmological Constant)है। यदि विस्तार की गति इस तरह से बढती रही तो आकाशगंगाये ब्रम्हांडीय क्षितीज के पार चली जायेंगी और दिखायी देना बंद हो जायेंगी। ऐसा इसलिये होगा कि उनकी गति प्रकाश की गति से ज्यादा हो जायेगी। यह सापेक्षतावाद के नियम का उलंघन नही है। पृथ्वी, अपनी आकाशगंगा मंदाकिनी को कोई असर नही पडेगा लेकिन बाकि का सारा ब्रम्हांड दूर चला जायेगा। ब्रम्हांड के अंत के बारे कुछ कल्पनाये है जिसमे से एक है कि श्याम उर्जा का प्रभाव बढते जायेगा, और एक समय यह केन्द्रीय बलो और अन्य मूलभूत बलोसे भी ज्यादा हो जायेगा। इस स्थिती मे श्याम उर्जा सौर मंडल, आकाशगंगा, कोई भी पिंड से लेकर अणु परमाणु सभी को विखंडीत कर देगी। यह स्थिती महाविच्छेद (Big Rip)की होगी। दूसरी कल्पना महासंकुचन(Big Crunch)की है, इसमे श्याम उर्जा का प्रभाव एक सीमा के बाद खत्म हो जायेगा और गुरुत्वाकर्षण उस पर हावी हो जायेगा। यह एक संकुचन की प्रक्रिया को जन्म देगा। अंत मे एक महासंकुचन से सारा ब्रम्हाण्ड एक बिंदू मे तब्दिल हो जायेगा| यह बिंदू एक महाविस्फोट से एक नये ब्रम्हांड को जन्म देगा। श्याम पदार्थ (१)सुपरनोवा- कुछतारो के जिवन काल के अंत मेजब उनके पास का सारा इण्धन (हायड्रोजन) जला चुका होता है,उनमे एक विस्फोट होता है। यह विस्फोट उन्हे एक बेहद चमकदार तारे मे बदल देता है जिसे सुपरनोवा या नोवा कहते है। (२)ऋणात्मक दबाव – यह वह दबाव को कहते जो आसपास के द्रव (जैसे वायु) के दबाव कम होता है। (३) मूलभूत बल : गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुंबकिय बल, कमजोर केन्द्रीय बल, मजबूत केन्द्रीय बल (२)
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23-11-2010, 05:37 AM | #14 |
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Re: विज्ञान विश्व
डाप्लर प्रभाव तथा लाल विचलन
डाप्लर प्रभाव डापलर प्रभाव यह किसी तरंग(Wave) की तरंगदैधर्य(wavelength) और आवृत्ती(frequency) मे आया वह परिवर्तन है जिसे उस तरंग के श्रोत के पास आते या दूर जाते हुये निरीक्षक द्वारा महसूस किया जाता है। यह प्रभाव आप किसी आप अपने निकट पहुंचते वाहन की ध्वनी और दूर जाते वाहन की ध्वनी मे आ रहे परिवर्तनो से महसूस कर सकते है। इसे वैज्ञानिक रूप से देंखे तो होता यह है कि आप से दूर जाते वाहन की ध्वनी तरंगो(Sound waves) का तरंगदैधर्य(wavelength)बढ जाती है, और पास आते वाहन की ध्वनी तरंगो(Sound waves) का तरंगदैधर्य कम हो जाती है। दूसरे शब्दो मे जब तरंगदैधर्य(wavelength) बढ जाती है तब आवृत्ती कम हो जाती है और जब तरंगदैधर्य(wavelength) कम हो जाती है आवृत्ती बढ जाती है। एक आसान उदाहरण लेते है, मान लिजीये एक खिलाडी दूसरे खिलाडी की ओर हर सेकंड एक गेंद फेंक रहा है। दूसरा खिलाडी यदि अपनी जगह पर ही खडा हो तो वह हर सेकंड एक गेंद प्राप्त करेगा। यदि गेंद झेलने वाला खिलाडी फेंकने वाले खिलाडी से दूर जाये तो उसे प्राप्त होने वाली गेंदो के अंतराल मे बढोत्तरी होगी यानी उसे हर सेकंड प्राप्त होने वाली गेंदो मे कमी आयेगी। विज्ञान की भाषा मे गेंद प्राप्त करने की आवृत्ती (frequency) मे कमी आयेगी। यदि गेंद झेलने वाला खिलाडी फेंकने वाले खिलाडी के पास आये तो गेंद प्राप्त करने की आवृत्ती मे बढोत्तरी होगी। ध्यान दिजिये श्रोत की गेंद फेंकने की आवृत्ती मे कोई बदलाव नही आ रहा है यही प्रभाव कीसी भी तरंग (ध्वनी/प्रकाश/क्ष किरण/गामा किरण) पर होता है। तरंग श्रोत से दूर जाने पर उसकी आवृत्ती मे कमी आती है अर्थात तरंगदैधर्य मे बढोत्तरी होते है। तरंग श्रोत के पास आने पर उसकी आवृत्ती मे बढोत्तरी होती है अर्थात तरंगदैधर्य मे कमी आती है। लाल विचलन (Red Shift) लाल विचलन यह वह प्रक्रिया जिसमे किसी पिंड से उत्सर्जीत प्रकाश वर्णक्रम मे लाल रंग की ओर विचलीत होता है। वैज्ञानिक तौर से यह उत्सर्जीत प्रकाश किरण की तुलना मे निरिक्षित प्रकाश किरण के तरंग दैधर्य मे हुयी बढोत्तरी या उसकी आवृती मे कमी है। दूसरे शब्दो मे प्रकाश श्रोत से प्रकाश के पहुंचने तक प्रकाश किरणो के तरंग दैधर्य मे हुयी बढोत्तरी या उसकी आवृती मे कमी होती है। प्रकाश किरणो मे लाल रंग की प्रकाश किरणो का तरंग दैधर्य सबसे ज्यादा होता है, इसलिये किसी भी रंग की किरण का वर्णक्रम मे लाल रंग की ओर विचलन ‘लाल विचलन‘ कहलाता है। यह प्रक्रिया अप्रकाशिय किरणो (गामा किरणे, क्ष किरणे, पराबैगनी किरणे) के लिये भी लागु होती है और इसी नाम से जानी जाती है। किरणे जिनका तरंग दैधर्य लाल रंग की किरणो से भी ज्यादा होता है(अवरक्त किरणे(infra red), सुक्षम तरंग तरंगे(Microwave), रेडीयो तरंगे) यह विचलन लाल रंग से दूर होता है। सामान्यतः लाल विचलन उस समय होता है जब प्रकाश श्रोत प्रकाश निरिक्षक से दूर जाता है, बिलकुल ध्वनी किरणो के डाप्लर सिद्धांत की तरह ! यह सिद्धांत खगोल शास्त्र मे आकाशिय पिंडो की गति और दूरी को मापने के लिये उपयोग मे लाया जाता है। |
23-11-2010, 11:34 PM | #15 |
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Re: विज्ञान विश्व
मुझे ब्लैक होल के बारे में जानना है
यह कैसे बनते हैं कैसे किसी को निगल जाते है सब कुछ !!!!!!!!!!! |
24-11-2010, 08:57 AM | #16 | |
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Re: विज्ञान विश्व
Quote:
धन्यवाद. |
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24-11-2010, 04:49 PM | #17 |
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Re: विज्ञान विश्व
ब्लैक होल के बारे में संक्षिप्त में मैं बता देता हूँ
किसी भी तारे का गुरुत्वाकर्षण इतना बढ़ जाता है कि वो अपने गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में आने वाली सभी चीजों को अपने में समां लेता है या निगल जाता है. यहाँ तक कि प्रकाश की किरणे तक इसके गुरुत्वाकर्षण से बहार नहीं आ पाती इसलिए ये काले दिखाई देते हैं अर्थात सिर्फ अहसास होता है कि यहाँ कुछ है जहां से प्रकाश बाहर नहीं आ पा रहा है. गुरुत्वाकर्षण के अत्यधिक बढ़ जाने से हर वस्तु अपने स्वरूप से कहीं छोटी हो जाती है क्योंकि द्रव्य एकदम सिकुड़ जाता है, उसमे कहीं कोई खाली स्थान शेष ही नहीं रहता है. |
24-11-2010, 04:54 PM | #18 |
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Re: विज्ञान विश्व
ये बनते कैसे हैं - इसका अभी तक कोई स्पष्ट कारण तो ज्ञात नहीं है लेकिन फिर भी तारे की साइज का बड़ा होना और या फिर दो बड़े तारों का पास आना एक कारण माना जाता है. क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के बल अधिक हो जाने से ये अन्य द्रव्य को अपनी ओर खींचने लगते हैं.
आप एक बात को स्पष्ट कर पाएंगे कि इसमें समां जाने वाला द्रव्यमान कितना हो जाता होगा अर्थात इसमें समां जाने वाले द्रव्य का साइज क्या हो जाता होगा ? हर वस्तु में से खाली स्थान का गायब होना फिर अणु और परमाणु में बदल जाना और फिर इलेक्ट्रोंस में ....... एक बार सोचिये और बताइए फिर इस पर और चर्चा करते हैं....... Last edited by munneraja; 24-11-2010 at 04:58 PM. |
24-11-2010, 05:08 PM | #19 |
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Re: विज्ञान विश्व
http://www.youtube.com/watch?v=hoLvO...ayer_embedded#!
चलिए आपको एक हिंट देता हूँ ऊपर लिंक दिया है उसको देखकर आप क्या कहते हैं ?? |
25-11-2010, 12:03 AM | #20 |
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Re: विज्ञान विश्व
येही तो मैं भी जानना चाहता हूँ की मान लो अगर धरती किसी ब्लैक होल में जाती है उस का क्या होगा??????????
लोग कहाँ जायेंगे???????????? क्या किसी दूसरी और दरवाज़ा खुलेगा या सब कुछ जल जायेगा ???????????????? |
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