17-12-2014, 08:23 PM | #1 |
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सफलता के सूत्र
सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
सफलता और प्रगति की मूल शर्त
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
17-12-2014, 08:24 PM | #2 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
सफलता और प्रगति की मूल शर्त
किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति में असफलता मिलने के कई कारण हो सकते हैं। परिस्थितियों की प्रतिकूलता, साधनों का अभाव, साथियों द्वारा असहयोग या उनका प्रतिरोध, कोई भी कारण प्रगति में अवरोध खड़े कर सकता है। ये सभी कारण बाहरी हैं। इन कारणों के उपस्थित होने पर न निराश होने की आवश्यकता है और न ही हताश होने की। बाह्य कारणों और अवरोधों को हटाया जा सकता है। मार्ग में पड़े पत्थर को लाँघकर या चट्टान पर चढ़कर आगे बढ़ा जा सकता है। नहीं बढ़ा जा सकता है तो एक ही कारण है व्यक्तित्व की दुर्बलता। मन में यदि थोड़ा साहस हो तो इन अवरोधों को पार किया जा सकता है। प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने और उन्हें अनुकूल बनाने की सामर्थ्य मनुष्य के भीतर विद्यमान है। साधनों का अभाव भी दूर किया जा सकता है और नये साधन जुटाये जा सकते हैं। साथियों के प्रतिरोध को सहयोग में परिणत करना कोई कठिन काम नहीं है, पर अपना व्यक्तित्व ही दुर्बल हो तो क्या किया जा सकता है? सिवा इन अवरोधों का रोना रोते रहने के।
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17-12-2014, 08:25 PM | #3 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
प्रगति पथ में आने वाले अवरोधों और सफलता प्राप्त करने की दिशा में उत्पन्न होने वाली बाधाओं को दूर करने का एक ही उपाय है- आत्मविश्वास! आत्मविश्वास की गंगोत्री से ही शक्ति धारा निकलती है और प्रचण्ड पुरुषार्थ की गंगा बहती है। इस गंगा में स्नान कर ही तमाम सफल व्यक्तियों ने अपनी दुर्बलताओं के पाप धोए हैं तथा सफलता के पुण्य आनन्द को प्राप्त कर सके हैं।
आत्मविश्वास का अर्थ है अपने आप के प्रति आस्था यह निष्ठा कि मनुष्य अनन्त सम्भावनाओं के बीज अपने भीतर लेकर जन्मा है। यह आस्था और निष्ठा ही श्रम, साहस तथा प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का निर्माण करती है।
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17-12-2014, 08:25 PM | #4 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
स्मरण रखा जाना चाहिए कि आत्मविश्वास का अर्थ बिना पंखों के आसमान पर उड़ने का नाम नहीं है। उसके साथ अपनी सामर्थ्य भी तौलनी पड़ती है। अपने अनुभवों, योग्यताओं और साधनों का मूल्याँकन करना पड़ता है। इस समीक्षा के साथ यह निष्कर्ष निकालना पड़ता है कि वर्तमान परिस्थितियों में किस सीमा तक कितना साहस किया जा सकता है? और कितनी ऊंची छलाँग लगाई जा सकती है? यदि निष्कर्ष उतनी ऊंची छलाँग लगाने की अनुमति नहीं देते हों तो फिर वैसी सामर्थ्य जुटानी होती है, उपयुक्त परिस्थितियों का निर्माण करना होता है और आवश्यक साधन जुटाने होते हैं।
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17-12-2014, 08:25 PM | #5 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
यदि ऐसा नहीं किया गया और वस्तु-स्थिति की उपेक्षा की गई तथा केवल हवाई महल चुनते रहा गया तो शेखचिल्ली की तरह उपहासास्पद बनना पड़ता है। शेखचिल्ली की कहानी बहुश्रुत है जिसमें एक मजदूर ने तेल ढोने की मजदूरी से मिलने वाले पैसों से मुर्गी, बकरी, भैंस खरीदकर मालदार बनने, अमीर औरत से शादी करने, बच्चा होने और बच्चे को झिड़की लगाने का सपना देखा था और बच्चे को झिड़की देने के आवेश में घड़ा फोड़ बैठा था तथा रंगीन सपना गंवाकर मालिक द्वारा दुत्कारा, धमकाया और निकाल दिया गया था।
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17-12-2014, 08:26 PM | #6 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
बहुत से लोग इस तरह के सपने देखते हैं। कुछ आत्मविश्वास की कोरी प्रवंचना लेकर इन्हें साकार करने के लिए भी प्रयत्न करते हैं किन्तु इस उपक्रम में वस्तु-स्थिति की उपेक्षा करने के कारण अन्ततः हाथ मलते रह जाते हैं। अस्तु अपने आपके प्रति, अपनी शक्तियों के प्रति विश्वास रखने के साथ-साथ यह भी देखना चाहिए कि जिन कारणों से प्रगति पथ अवरुद्ध बना हुआ है, दूसरों का सहयोग नहीं मिल रहा है, अवरोध सामने आ रहे हैं वे क्या हैं तथा उन कारणों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? स्वाभाविक ही वे कारण अपनी दुर्बलताओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं हो सकते। अतः उन दुर्बलताओं को दूर करते हुए आत्मविश्वास पूर्वक प्रगति प्रयास करना चाहिए। सफलता की, आगे बढ़ने की यही मूलभूत शर्त है।
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17-12-2014, 08:27 PM | #7 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
आत्म-विश्वास जगायें- सफलता पायें
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17-12-2014, 08:28 PM | #8 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
स्वामी रामतीर्थ कहते थे- “धरती को हिलाने के लिए धरती से बाहर खड़े होने की आवश्यकता नहीं है, आवश्यकता है आत्मा की शक्ति को जानने-जगाने की।” इस उक्ति में आत्म शक्ति की उस महत्ता का प्रतिपादन किया गया है, जिसका दूसरा नाम आत्म-विश्वास है। जिसका साक्षात्कार करके कोई भी व्यक्ति अपने परिवार में तथा अपने आशातीत परिवर्तन कर सकता है। विवेकानन्द, बुद्ध, ईसा, सुकरात और गान्धी की प्रचण्ड आत्मशक्ति ने युग के प्रवाह को मोड़ दिया। अभी हाल के स्वतन्त्रता संग्राम में महात्मा गान्धी ने सशक्त ब्रिटिश साम्राज्य की नींव उखाड़ दी। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प शक्ति तथा आत्मविश्वास के सहारे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश किया। स्वामी विवेकानन्द एवं रामतीर्थ जब संन्यासी का वेष धारण कर अमेरिका गये तो उपहास के पात्र बने किन्तु बाद में उन्होंने अपने आत्मविश्वास के सहारे विश्वास को जो कुछ दिया वह अद्वितीय है।
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17-12-2014, 08:28 PM | #9 |
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
आत्मविश्वास के समक्ष विश्व की बड़ी से बड़ी शक्ति झुकती है और भविष्य में भी झुकती रहेगी। इसी आत्मविश्वास के सहारे आत्मा और परमात्मा के बीच तादात्म्य उत्पन्न होता है तथा अजस्र शक्ति के स्त्रोत का द्वार खुल जाता है। कठिन परिस्थितियों एवं हजारों विपत्तियों के बीच भी मनुष्य आत्मविश्वास के सहारे आगे बढ़ता जाता है तथा अपनी मंजिल पर पहुँच कर रहता है।
मानव जाति की उन्नति के इतिहास में महापुरुषों के आत्म-विश्वास का असीम योगदान रहा है। भौतिक दृष्टि से तात्कालिक असफलताओं को शिरोधार्य करते हुए भी उन्होंने विश्वास न छोड़ा और अभीष्ट सफलता प्राप्त की। आत्मविश्वास का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। लौकिक एवं अलौकिक सफलताओं का आधार यही है। उसके सहारे ही निराशा में भी आशा की झलक दीखती है। दुःख में भी सुख का आभास होता है। इससे बड़े से बड़े कार्य सम्पन्न किए जा सकते हैं, किए गए हैं। चीन की दीवार पिरामिड, पनामा नहर एवं दुर्गम पर्वतों पर विनिर्मित सड़कें व भवन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देते हैं।
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Re: सफलता के सूत्र :: देवराज के साथ
वस्तुतः समस्त शारीरिक और मानसिक शक्तियों का आधार आत्मविश्वास ही है। इसके अभाव में अन्य सारी शक्तियाँ सुप्तावस्था में पड़ी रहती हैं। जैसे ही आत्मविश्वास जागृत होता है अन्य शक्तियाँ भी उठ खड़ी होती हैं और आत्मविश्वास के सहारे असम्भव समझे जाने वाले कार्य भी आसानी से पूरे हो जाते हैं।
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