|
14-10-2011, 07:04 PM | #1 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 42 |
Re: दोस्तों की "चौपाल".
|
14-10-2011, 07:09 PM | #2 |
Special Member
Join Date: Nov 2010
Location: मुम्बई
Posts: 1,999
Rep Power: 30 |
Re: दोस्तों की "चौपाल".
__________________
==========हारना मैने कभी सिखा नही और जीत कभी मेरी हुई नही ।==========
|
14-10-2011, 07:11 PM | #3 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 42 |
Re: दोस्तों की "चौपाल".
|
14-10-2011, 07:12 PM | #4 |
Special Member
Join Date: Nov 2010
Location: मुम्बई
Posts: 1,999
Rep Power: 30 |
Re: दोस्तों की "चौपाल".
तो बस राईट में मुझे जगह दे दीजिये .
__________________
==========हारना मैने कभी सिखा नही और जीत कभी मेरी हुई नही ।==========
|
14-10-2011, 07:17 PM | #5 |
Senior Member
Join Date: Sep 2011
Location: मुजफ़्फ़रपुर, बि
Posts: 643
Rep Power: 18 |
Re: दोस्तों की "चौपाल".
|
14-10-2011, 07:14 PM | #6 |
Exclusive Member
|
Re: दोस्तों की "चौपाल".
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
14-10-2011, 07:15 PM | #7 |
Administrator
|
Re: दोस्तों की "चौपाल".
यह कुछ नाच गाने का प्रोग्राम बन रहा है.. माजरा क्या है.
__________________
अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
14-10-2011, 07:16 PM | #8 |
Special Member
Join Date: Nov 2010
Location: मुम्बई
Posts: 1,999
Rep Power: 30 |
Re: दोस्तों की "चौपाल".
सब आनंद मंगल हैं खालिद भाई . आप सुनाये कैसे मिजाज हैं आपके
__________________
==========हारना मैने कभी सिखा नही और जीत कभी मेरी हुई नही ।==========
|
14-10-2011, 07:46 PM | #9 |
Senior Member
Join Date: Sep 2011
Location: मुजफ़्फ़रपुर, बि
Posts: 643
Rep Power: 18 |
Re: दोस्तों की "चौपाल".
हमने तो अस्सी के दशक में पढ़ाई की, तब से अब तक में सब बहुत बदल गया है। अफ़सोस भी होता है...
फ़िर प्रेमचंद की एक पंक्ति याद आती है तो लगता है कि शायद अब हम बुढ़े हो चले। वो पंक्ति कुछ इस तरह से है - "बुढ़ों के लिए अतीत के सुखों, वर्तमान के दुखों और भविष्य के विनाश से बढ़्कर और कोई मनोरंजक प्रसंग नहीं होता" (गोदान की पंक्ति है यह) |
14-10-2011, 08:06 PM | #10 |
Special Member
|
Re: दोस्तों की "चौपाल".
भावना एक बार फिर से हाजिर है .......
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें ! आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....! love is life |
Bookmarks |
Tags |
चौपाल, दोस्तों की चौपाल, हिन्दी फोरम, baatchit, chat, dost, dosto ki chaupaal, free, friends, gappe |
|
|