06-05-2013, 12:06 AM | #1 |
Diligent Member
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आँसू खून मूझको रुलाया देर तक
उसने मुझे बहुत सताया देर तक आँसू खून मूझको रुलाया देर तक हंसी हँसके दे दी जिनके चेहरे पे आज उसने मुझको रुलाया देर तक भले दूर है बहुत आज वो मुझ से कभी आगोश में समाया देर तक वो निकाल गए आज मेरे सामने से ताकता रहा उनका साया देर तक याद है ''नामदेव'' वो छाँव बरगद की जहां समय अपना बिताया देर तक |
06-05-2013, 06:30 PM | #2 |
Exclusive Member
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Re: आँसू खून मूझको रुलाया देर तक
भाव भरी है ग़ज़ल आपकी, किन्तु प्रार्थना मेरी 'जय'
जल्दी जल्दी आया करिए और ठहरें भी कुछ देर तक
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
06-05-2013, 07:24 PM | #3 |
Diligent Member
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Re: आँसू खून मूझको रुलाया देर तक
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06-05-2013, 09:17 PM | #4 |
Administrator
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Re: आँसू खून मूझको रुलाया देर तक
बहुत अच्छे बंधू।
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09-05-2013, 10:30 PM | #5 |
Diligent Member
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Re: आँसू खून मूझको रुलाया देर तक
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10-05-2013, 11:06 AM | #6 |
Special Member
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Re: आँसू खून मूझको रुलाया देर तक
आपने कविता पढने के लिए तरसाया देर तक
सुंदर रचना के लिए आभार ..............
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मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। |
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