16-09-2013, 05:06 PM | #1 |
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एक बार दूध और चाय में जब बहस हो गई
तू लन्दन की मेमसाब - और मैं हूं गाँव का छोरा तू मेम होकर भी काली – और मैं हूं गौरा-गौरा तेरे भाई तुझको लेकर – आये थे करने बिजनेस तू फ़ैल गई चारों तरफ – समां गई रे नस-नस 200 साल के बाद हमने – लात थी तुझको मारी पर जाते जाते कहां गई – तू बन गई एक बीमारी तेरा गली-गली में ठेला- पत्ती ठोकी रेलम पेला जो आदत तेरी पड़ जाए – तो ऊपर वाला ही बचाए रात को तुझको पीलो - तो नींद कहीं चली जाती और मेरा घूंट लगा लो - तो नींद भागती आती मैं बच्चों की पहली पसंद हूं – मैं हूं जग से निराला तू विष के जैसी लगती – मैं हूं अमृत का प्याला मैं पंजाब का मक्खन हूं – और हरियाणा की छाछ मैं दिल्ली की रबड़ी हूं – महाराष्ट्र का हर्षो-उल्लास mp-up का श्रीखंड हूँ – पूरे देश का खासमखास तू आसाम का काला जादू – अरे! सभी का करती नाश मेरे पोषक तत्वों से त्वचा – खिली खिली सी रहती जो ढीली-ढाली सुस्त है सबसे – मिली मिली सी रहती दांतों, हड्डियों और मासपेशियों – को ताकत देता मैं पूरी बीमारियों से बना कर रखता – मैं चार कदम की दूरी अरे! कुछ तो बता दे – जो कोई ऐसा गुण हो तुझमें और बताता हूं, क्या-क्या फर्क है तुझमें-मुझमें खट्टा तुझमें लग जाए – तो झट से तू फट जाए मुझमें खट्टा मिल जाता – तो मैं दही बन जाता उसके बाद मैं बन कर लस्सी – गर्मी दूर भगाता तू मुझको पी सकती तो – तेरा दूर भरम हो जाता सर्दी भी मुझसे भागे दूर- सब गरम गरम हो जाता मुझको पीकर ही पहलवान – बाडी अपनी बनाते दारा सिंग हो या सल्लू – सब कैप्सूल्स मुझ संग खाते तुझमें ताकत का नामोनिशान – कहीं नहीं है दूर-दूर मैं ही आयरन, मैं ही कैल्शियम – हूं ताकत से भरपूर गर्भवती महिलाएं – जितना भी पाउडर खा लें डॉक्टर कभी नहीं कहते – ज़रा चाय में इसे मिला लें मुझको पीने से परिवार में – बढ जाती है मिठास दहेज़ न मांगे बहू जो दे दे- सास को दूध गिलास मेरे सहारे पलते हैं – दुनिया के सारे बच्चे आचार-विचार शुद्ध होते – और मन के बनते सच्चे तेरा जो सेवन करता – बीमारियों की खान रहता है मेरा जो सेवन करता है – वो सदा जवान रहता है मैं आंखों को रोशनी देता -तू आंखों को छीने डूब गए कई लोग जो तुझ पर – पूरा भरोसा कीने मैं बुद्धि का भण्डार – तू अक्ल की है रे दुश्मन तुझको पीकर तेरे जैसा – हो जाए सबका तन-मन तू कुछ नहीं है सामने मेरे – अरे! तेरी क्या औकात है सब पीकर मुझको बोलें – अरे! वाह वाह क्या बात क्या बात......
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16-09-2013, 10:58 PM | #2 |
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Re: एक बार दूध और चाय में जब बहस हो गई
बड़ी मस्त बहस..........................
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17-09-2013, 06:01 PM | #3 |
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Re: एक बार दूध और चाय में जब बहस हो गई
बहुत खूब
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Advo.Ravinder Ravi "Sagar" |
17-09-2013, 09:20 PM | #4 |
Diligent Member
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Re: एक बार दूध और चाय में जब बहस हो गई
रोचक!
अब चाय का मुँह्तोड जवाब पर भी एक कविता लिख दीजिए! |
21-09-2013, 02:45 PM | #5 |
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Re: एक बार दूध और चाय में जब बहस हो गई
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