12-06-2014, 06:21 PM | #1 |
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एक मुक्तक
॰॰॰ जरा सी नीँद आते ही सुनाने राग जाता हूँ तेरी परछाइयोँ से भी मैँ अक्सर जाग जाता हूँ कहीँ तुम प्यार का इजहार फिर करने चली आओ तेरे कदमोँ की आहट से मैँ डर के भाग जाता हूँ मुक्तक- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri पता- वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 |
12-06-2014, 10:55 PM | #2 |
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Re: एक मुक्तक
हास्य रस की चाशनी में तैयार की गई एक सुन्दर कविता.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
14-06-2014, 12:32 PM | #3 |
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Re: एक मुक्तक
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22-10-2014, 08:15 AM | #4 |
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Re: एक मुक्तक
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
20-05-2019, 08:52 PM | #5 |
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Re: एक मुक्तक
आंशिक परिवर्तन के उपरांत
नहीं तेरे मैं सपनों में लगाने आग जाता हूँ तुम्हारा जिक्र आते ही मगर मैं जाग जाता हूँ कहीं फिर प्यार का इजहार तुम करने चली आओ तेरे कदमों की आहट से मैं डर कर भाग जाता हूँ - आकाश महेशपुरी Last edited by आकाश महेशपुरी; 21-05-2019 at 05:34 AM. |
22-05-2019, 06:34 AM | #6 | |
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Re: एक मुक्तक
Quote:
अत्यंत रोचक मुक्तक. धन्यवाद, आकाश जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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31-05-2019, 07:59 AM | #7 |
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Re: एक मुक्तक
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