15-06-2013, 10:18 PM | #21 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
जय जी, आपने चुने हुये शे'र यहां प्रस्तुत कर इस महफ़िल को चार चांद लगा दिये हैं. आभार. |
30-06-2013, 07:26 PM | #22 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो,
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए. - बशीर बद्
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
30-06-2013, 07:34 PM | #23 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
लोग टूट जाते हैं एक घर के बनाने में,
तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में. - बशीर बद्र
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30-06-2013, 07:37 PM | #24 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
साक़ी की हर निगाह पे बल खा के पी गया,
लहरों से खेलता हुआ लहरा के पी गया. - जिगर मोरादाबादी
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30-06-2013, 07:38 PM | #25 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ पर ख़ुदा न हो. - मिर्ज़ा ग़ालिब
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30-06-2013, 07:41 PM | #26 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा,
मैं तो दरिया हूँ समन्दर में उतर जाऊँगा. - अहमद नदीम क़ासमी
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30-06-2013, 07:46 PM | #27 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बन्दे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है. - मुहम्मद इकबाल
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30-06-2013, 10:25 PM | #28 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
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01-07-2013, 11:09 PM | #29 |
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Re: एक शे’र ने ही शायर को अमर किया
रजनीश जी उत्तम और चुनिन्दा शेरो का बेहतरीन सूत्र है आपका सूत्र इसे गतिमान बनाए रखे
ये वो शेर है जिनहे आदमी एक बार पढ़ या सुन लेता है सीधे दिल पे छाप छोड़ते है |
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