My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Hindi Forum > The Lounge
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Closed Thread
 
Thread Tools Display Modes
Old 15-04-2017, 11:22 PM   #1
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking कहानी का रूपान्तरण

कभी-कभी ऐसा होता है कि लेखक पाठकों को एक ही कहानी बार-बार सुनाता है, किन्तु पाठकों को पता तक नहीं चलता और वे यह समझते रहते हैं कि हर बार उन्हें एक नई कहानी सुनाई जा रही है। यही नहीं, लेखकों की सभी रचनाएँ काल्पनिक होने के वैधानिक ठप्पे के साथ प्रकाशित की जाती हैं और पाठकों को पता तक नहीं चलता कि रचनाओं में कहीं न कहीं थोड़ा बहुत सत्य छिपा हुआ है।

आखिर कैसे सम्भव है यह? यह चमत्कार कहानी के रूपान्तरण (Transformation) पर आधारित है। वस्तुतः कहानी के रूपान्तरण की इस कला को किसी कहानी को सफाई के साथ चुराने (Crib) के लिए किया जाता है। कहानी के रूपान्तरण की इस कला के प्रयोग द्वारा ही अँग्रेज़ी उपन्यासों और अँग्रेज़ी फ़िल्मों की कहानियों को रूपान्तरित करके एक नई कहानी के रूप में प्रस्तुत कर दिया जाता है। कहानी के रूपान्तरण की इस चमत्कारी कला का प्रयोग भारतीय फ़िल्म उद्योग में व्यापक रूप में होता है। कई फ़िल्मों की उत्तर कथा (Sequel) कहानी के रूपान्तरण की इस चमत्कारी कला के प्रयोग द्वारा ही लिखी जाती है। यही नहीं, कई फ़िल्मों का पुनर्निर्माण (Remake) भी कहानी के रूपान्तरण की इसी चमत्कारी कला का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/
Rajat Vynar is offline  
Old 15-04-2017, 11:25 PM   #2
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

वैसे तो लैला-मजनू, रोमियो-जूलियट, हीर-राँझा, नल-दमयन्ती जैसी तमाम ऐतिहासिक प्रेम कहानियाँ हैं तथा इन प्रेम कहानियों के अतिरिक्त भी तमाम प्रेम कहानियाँ हैं जो समय-समय पर घटित होती रही हैं, किन्तु हमारी राय में इन सभी कहानियों से बेहतरीन ऐतिहासिक कहानी है वर्ष 1959 में घटित 'कमाण्डर के० एम० नानावटी बनाम महाराष्ट्र सरकार' के मुकदमे की।



इस सत्यकथा में के० एम० नानावटी ने अपनी पत्नी के प्रेमी की हत्या कर दी थी। अति साधारण दिखने वाली इस कहानी में हत्या के पीछे छिपा उद्देश्य इतना भावनात्मक (Emotional) है कि यह कहानी आज भी सभी प्रेम कहानियों के शीर्ष पर विराजमान है। इस कहानी की विशिष्टता इसी बात से समझी जा सकती है कि एक आँग्ल-भारतीय उपन्यासकार इंदिरा सिन्हा ने नानावती के मुकदमे को आधार बनाकर 'दि डेथ ऑफ मिस्टर लव' नामक एक अँग्रेज़ी उपन्यास लिखा।

__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/
Rajat Vynar is offline  
Old 16-04-2017, 06:15 AM   #3
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

कहा जाता है कि चर्चित लेखक सलमान रुश्दी का अँग्रेज़ी उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' का एक अध्याय 'कमांडर साबरमती बैटन' नानावती के मुकदमे से ही प्रेरित है।



नाटककार मधुसूदन कालेलकर द्वारा लिखित एक चर्चित मराठी नाटक 'अपराध मीच केळा' नानावटी के मुकदमे पर ही आधारित है।

__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/
Rajat Vynar is offline  
Old 16-04-2017, 06:20 AM   #4
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नानावटी के मुकदमे पर आधारित एक-दो नहीं, कुल तीन हिन्दी फ़िल्में बनीं। पहली हिन्दी फ़ीचर फिल्म 'ये रास्ते हैं प्यार के' वर्ष 1963 में लोकार्पित हुई। यह फिल्म सस्पेंस थ्रिलर थी और इस फ़िल्म को आर० के० नय्यर ने सुनील दत्त और लीला नायडू को लेकर बनाया था।



यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुँह गिरी। कहा गया कि फिल्म में अस्वीकरण (Disclaimer) दिया गया था कि इसकी कहानी और सभी पात्र काल्पनिक हैं, जिसके कारण इस फ़िल्म को एक बॉयोपिक होने का लाभ नहीं मिला। इस फ़िल्म के फ़्लॉप होने के पीछे यह भी तर्क दिया गया कि फ़िल्म में नानावटी के मुकदमे के वास्तविक निर्वहण को बदल दिया गया था।

नानावटी के मुकदमे पर आधारित दूसरी हिन्दी फ़ीचर फिल्म 'अचानक' वर्ष 1973 में लोकार्पित हुई।



इस फ़िल्म को गुलजार ने विनोद खन्ना, लिली चक्रवर्ती और असरानी को लेकर बनाई थी और यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही।
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/

Last edited by Rajat Vynar; 16-04-2017 at 08:57 AM.
Rajat Vynar is offline  
Old 16-04-2017, 07:29 AM   #5
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

नानावटी के मुकदमे पर आधारित तीसरी हिन्दी फ़ीचर फिल्म 'रुस्तम' वर्ष 2016 में लोकार्पित हुई।



इस फ़िल्म में काम किया था अक्षय कुमार ने। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर बेहद सफल रही और इसे एक ब्लॉकबस्टर फ़िल्म माना गया।

वर्ष 1963 से नानावटी के मुकदमे की कहानी पर आधारित फ़िल्म बनने का सिलसिला अभी रुका नहीं है। सूत्रों के अनुसार पूजा भट्ट की आने वाली फ़िल्म 'लव अफ़ेयर' नानावटी के मुकदमे पर ही आधारित है। यह फ़िल्म वर्ष 2017 में लोकार्पित होगी।
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/
Rajat Vynar is offline  
Old 16-04-2017, 10:47 AM   #6
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

आखिर क्या ख़ास बात थी 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी में? वस्तुतः इस प्रेम-कहानी में एक ऐसा अनोखा प्रेम-त्रिकोण है जो विवाहेतर सम्बन्धों (Extramarital affairs) पर आधारित है। 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी को एजेंसियों के हवाले से समाचार जालस्थल 'सिटिजन अलर्ट' ने अत्यन्त विस्तार के साथ प्रकाशित किया है जो निम्नलिखित है-

रुस्तम की असली कहानी



Thursday, June 30, 2016 6:52:48 PM - By एजेंसी

1959 में विवाहेत्तर संबंधों में हुए इस कत्ल की कहानी ने पूरे देश को हिला के रख दिया था। सत्ता के गलियारों से लेकर सेना के बैरकों तक में चर्चित रही।

पारसी नौजवान कवास मनेकशॉ नानावटी नौसेना में कमांडर थे। अपनी खूबसूरत बीवी और तीन बच्चों के साथ वो बेहद खुश थे। एक बार वो छुट्टी पर घर पहुंचे तो उनके सामने खुला ऐसा राज़ जिसने उनकी जिंदगी में भूचाल खड़ा कर दिया। उनको पता चला कि उनकी पत्नी सेल्विया किसी के साथ इश्क में गिरफ्तार है। बीवी की बेरुखी ने उनके दिल पर गहरी चोट की और फिर एक रोज पत्नी ने इस बात को मान भी लिया कि वह प्रेम आहूजा से प्यार करती है।

बता दें कि, प्रेम आहूजा एक सिंधी नौजवान व्यापारी था। वह पार्टियों की शान था और शानदार लाइफस्टाइल के लिए जाना जाता था। नानावटी ने अपनी पत्नी से पूछा कि क्या वह उससे शादी करेगा? पत्नी खामोश थी, और नानावटी भी लेकिन उसके दिमाग में क्या चल रहा था कोई समझ नहीं पाया। एक दिन नानावटी ने अपनी पत्नी को फिल्म देखने भेजा और प्रेम आहूजा से मिलने चले गए। तीन बार गोली चली और प्रेम आहूजा की लाश फर्श पर थी। नानावटी इसके बाद सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचे और सरेंडर कर दिया।
लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती, कहानी तो यहीं से शुरु होती है। चलिए सबसे पहले कहानी के पात्रों से मिल लीजिए।

कवास मनेकशॉ नानावटी- नौसेना में काम करने वाला पारसी

नानावटी नेवी के होनहार अफसर थे। ब्रिटेन के रॉयल नेवी कॉलेज के छात्र रहे नानावटी आइ०एन०एस० मैसूर के सेकेंड इन कमांड थे। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान कई मोर्चों पर लड़ चुके थे और ब्रिटेन द्वारा कई वीरता पुरुस्कारों से भी उन्हें नवाजा जा चुका था।

लॉर्ड माउंटबेटन ने तब भी उनकी तारीफ की थी जब अंग्रेज भारत छोड़ कर जा रहे थे। कहते हैं कि सफेद वर्दी में वह इतने खूबसूरत लगते थे कि लड़कियां उन पर मरती थीं। जब उनके ऊपर केस चलाया जा रहा था तो भी महिलाएं तैयार होकर उनकी एक झलक देखने के लिए कोर्ट के बाहर जमा रहती थीं।

प्रेम आहूजा - अमीर सिन्धी व्यापारी

अमीर, खूबसूरत, लहराते घुंघराले बाल, पार्टियों की शान, शानदार डांसर और गाड़ियों के शोरूम का मालिक प्रेम आहूजा के बारे में कहा जाता है कि कई महिलाएं उसके इश्क में गिरफ्तार थीं।
नानावटी की पत्नी सेल्विया के साथ भी उसका अफेयर था, लेकिन वह सेल्विया के साथ शादी नहीं करना चाहता था। सेल्विया ने कोर्ट में बयान भी दिया था कि प्रेम आहूजा ने उसके साथ शादी करने से इंकार कर दिया था।

ब्लिट्ज़ अखबार ने तो काफी कुछ खराब प्रेम के बारे में छापा था, हालांकि सिन्धी समाज के लोग खुल कर उसके साथ थे।

सेल्विया- इश्क के दोराहे पर खड़ी औरत

सेल्विया के पास सब कुछ था। पति, बच्चे, परिवार और पैसा लेकिन शायद उसकी जिंदगी में एक अकेलापन भी था जिसे दूर करने के लिए वह प्रेम के नजदीक आ गई थी। उसने पति से भी कुछ नहीं छुपाया और विवाहेत्तर संबंधों को उजागर कर दिया।

अंग्रेजी मूल की सेल्विया, अपने पति नानावटी से प्यार करती थी लेकिन पति शिप पर महीनों दूर रहता था। बच्चों के बाद तो दोनों के बीच दूरी और भी बढ़ गई थी।

नानावटी से उससे प्रेम के बारे में पूछा तो उसने छुपाया नहीं। बता दिया कि वह आहूजा से प्यार करती है लेकिन जब नानावटी ने सवाल किया कि क्या वह उससे शादी करेगा तो वह खामोश हो गई। उसने पति को अपने प्यार के बारे में बता तो दिया लेकिन जो होने वाला था वह उससे अनजान थी।

हत्याकांड का दिन

नानावटी ने अपनी पत्नी और बच्चों को मेट्रो सिनेमा पर छोड़ा, मैटिनी शो का देखा जाना पहले से तय था। इसके बाद वह बॉम्बे हार्बर पहुंचे, अपने कैप्टन से उन्होंने बंदूक और गोलियां लीं जिन्हें उन्होंने एक पैकेट में रखा और फिर यूनिवर्सल मोटर्स पहुंचे। इस शोरूम का मालिक प्रेम आहूजा था। आहूजा अपने फ्लैट पर था यह जानकारी मिलने के बाद वह उसके घर पहुंचा। आहूजा नहा रहा था, उसकी नौकरानी नानावटी को उसके अपार्टमेंट तक लाई। वह सीधे उसके बेडरूम में गए। चंद मिनटों के सन्नाटे के बाद गोली चलने की तीन आवाजें आईं। सिर्फ तौलिया पहने आहूजा की लाश फर्श पर थी। प्रेम की बहन रो रही थी लेकिन नानावटी अपार्टमेंट से बाहर निकल गए। उन्होंने पुलिस स्टेशन में समर्पण कर दिया। पुलिसवाले हैरान परेशान थे।

मीडिया ट्रायल

कहते हैं कि इस केस में पहली बार मीडिया ट्रायल हुआ। ब्लिट्ज़ (BLITZ) नाम का अखबार पारसी संपादक वीके करांजिया चलाते थे जिन्होंने खुल कर नानावटी के पक्ष में खबरें छापीं।

कहा जाता है कि 25 पैसे का ये अखबार 2 रुपये तक में बिकता था और इसकी बुकिंग एक दिन पहले ही हो जाती थी। माना जाता है कि नानावटी और करांजिया दोनों ही पारसी थे और यही कारण था कि संपादक, नानावटी को पसंद करते थे।

नानावटी के पक्ष में भीड़

कहा जाता है कि हत्या जैसा अपराध करने के बाद भी नानावटी के पक्ष में समाज खड़ा हो गया था। नौसेना भी अपने अफसर को सपोर्ट कर रही थी और कई अखबार भी उनके समर्थन में लिख रहे थे।

बताया जाता है कि भीड़ अदालत के बाहर जमा हो जाती थी और नानावटी के समर्थन में नारे लगा करते थे। लोग अपने हाथों में तख्तियां लेकर आते थे जिन पर नानावटी के पक्ष में लिखा होता था।

पारसियों ने इस केस पर पैसा और पावर दोनों लगाया। पारसियों की भीड़ ने हर संभव कोशिश की कि नानावटी बरी हो जाएं और अंत में जीत उन्हीं को मिली।

फैसला नानावटी के हक में

ज्यूरी ने नानावटी केस पर सुनवाई की थी। ज्यूरी में 9 लोग थे, आठ नानावटी के पक्ष में थे और एक विपक्ष में। इस केस के बाद ही ज्यूरी सिस्टम को खत्म कर दिया गया। कहा जाता है कि ज्यूरी के लोग मीडिया और कोर्ट के बाहर जुट रही भीड़ से प्रभावित थे।

ज्यूरी ने नानावटी के पक्ष में फैसला सुनाया और फिर मामला बॉम्बे हाईकोर्ट के हवाले कर दिया। हाईकोर्ट से ये केस सुप्रीम कोर्ट गया जहां से नानावटी को जेल भेज दिया गया। हालांकि कुछ दिन बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।

कहते हैं कि नानावटी वीके कृष्ण मेनन के करीबी थी और मेनन नेहरू के। नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित महाराष्ट्र की राज्यपाल थीं और ये सब बातें नानावटी के हक में थीं।

अंतत: रिहा होने के बाद नानावटी परिवार के साथ कनाडा शिफ्ट हो गए। 2003 में उनकी मौत हो गई।

--------------
साभार : सिटिजन अलर्ट
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/

Last edited by Rajat Vynar; 16-04-2017 at 10:41 PM.
Rajat Vynar is offline  
Old 16-04-2017, 11:28 AM   #7
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

'नानावटी के मुकदमे' की कहानी को गहराई से जानने के लिए जूरी के फैसले के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में दोबारा चले मुकदमे में अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों को ध्यान से समझना होगा। 'विकीपीडिया' के अनुसार-

Defence version (बचाव पक्ष):

In the Bombay High Court, the defence put forth their version of the incident, for which there were no witnesses other than the two men, and no evidence. Hearing Sylvia's confession, an enraged Nanavati wanted to shoot himself, but was calmed down by Sylvia, who told him that he is not to be blamed for this and there was no reason that he should shoot himself. Since Sylvia did not tell him whether Prem intended to marry her, Nanavati sought to find it out for himself. When Nanavati met Prem at the latter's bedroom, Prem had just come out of the bath dressed only in a white towel; an angry Nanavati swore at Prem and proceeded to ask him if he intends to marry Sylvia and look after his children. Prem replied, "Will I marry every woman I sleep with?", which further enraged Nanavati. Seeing Prem go for the gun, enclosed in a brown packet, Nanavati too went for it and in the ensuing scuffle, Prem's hand caused the gun to go off and instantly kill him.

Prosecution version (अभियोजन पक्ष):

The prosecution's version of the story and their counter-points against the defence's version, was based on replies by witnesses and backed by evidence. The towel that Ahuja was wearing was intact on his body and had neither loosened nor fallen off. In the case of a scuffle, it is highly improbable that the towel would have stayed intact. After Sylvia's confession, a calm and collected Nanavati dropped his family to the theatre, drove to his naval base and according to the Navy log, had acquired a gun and rounds, under a false pretext. This indicated that the provocation was neither grave nor sudden and that Nanavati had the murder planned. Ahuja's servant Anjani testified that three shots were fired in quick succession and the entire incident took under a minute to occur, thus ruling out a scuffle. Nanavati walked out of Ahuja's residence, without explaining to his sister Mamie (who was present in another room of the flat) that it was an accident. He then unloaded the gun, went first to the Provost Marshal and then to the police to confess his crime, thus ruling out that he was dazed. The deputy commissioner of police testified that Nanavati confessed that he had shot dead Ahuja and even corrected the misspelling of his name in the police record.

The High Court agreed with the prosecution's argument that the murder was premeditated and sentenced Nanavati to life imprisonment for culpable homicide amounting to murder. On 24 November 1961, the Supreme Court of India upheld the conviction.
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/

Last edited by Rajat Vynar; 16-04-2017 at 11:39 AM.
Rajat Vynar is offline  
Old 16-04-2017, 12:25 PM   #8
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: कहानी का रूपान्तरण

कमांडर नानावटी, तमाम घटनाक्रम, उनके विरुद्ध चलाये गए केस, उसकी पृष्ठभूमि पर बनी फिल्मों तथा सम्बद्ध लेखन पर आपने विस्तृत सामग्री प्रस्तुत की है. यह रोचक है व तथ्यात्मक है. आपका बहुत धन्यवाद, रजत जी.

मैं यहाँ सिर्फ यह जोड़ना चाहता हूँ कि ब्लिट्ज़ के दिनों से ही मैं इस केस के बारे में पढ़ता रहा था क्योंकि यह उस समय का बहुत चर्चित केस था. इसके अलावा जिन तीन फिल्मों का आपने ज़िक्र किया है, इत्तफ़ाक़ से यह तीनों फ़िल्में मैंने क्रमशः 1963, 1973 तथा इसी वर्ष अर्थात् 2017 में देखीं.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline  
Old 16-04-2017, 03:07 PM   #9
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

Quote:
Originally Posted by rajnish manga View Post
कमांडर नानावटी, तमाम घटनाक्रम, उनके विरुद्ध चलाये गए केस, उसकी पृष्ठभूमि पर बनी फिल्मों तथा सम्बद्ध लेखन पर आपने विस्तृत सामग्री प्रस्तुत की है. यह रोचक है व तथ्यात्मक है. आपका बहुत धन्यवाद, रजत जी.

मैं यहाँ सिर्फ यह जोड़ना चाहता हूँ कि ब्लिट्ज़ के दिनों से ही मैं इस केस के बारे में पढ़ता रहा था क्योंकि यह उस समय का बहुत चर्चित केस था. इसके अलावा जिन तीन फिल्मों का आपने ज़िक्र किया है, इत्तफ़ाक़ से यह तीनों फ़िल्में मैंने क्रमशः 1963, 1973 तथा इसी वर्ष अर्थात् 2017 में देखीं.
शायद आप इस सूत्र में निहित लेख को ठीक से समझ नहीं पाए हैं। यह लेख नानावती प्रकरण का उल्लेख करने मात्र के लिए न होकर 'कहानी के रूपान्तरण' की अनोखी विधा सिखाने के लिए है। यह लेख काफी बड़ा है और इसमें नानावती प्रकरण के अतिरिक्त अन्य कई उदाहरणों का उल्लेख किया जाएगा।

टिप्पणी के लिए धन्यवाद।
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/
Rajat Vynar is offline  
Old 16-04-2017, 05:41 PM   #10
Rajat Vynar
Diligent Member
 
Rajat Vynar's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30
Rajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant futureRajat Vynar has a brilliant future
Talking Re: कहानी का रूपान्तरण

बचाव पक्ष के प्रारूप का हिन्दी में सारांश :

बचाव पक्ष ने बॉम्बे हाईकोर्ट में घटना का अपना प्रारूप (Version) प्रस्तुत किया जिसके लिए दो व्यक्तियों के अतिरिक्त न ही कोई गवाह था और न ही कोई सुबूत। सिल्विया का पाप-स्वीकरण सुनकर कुद्ध नानावटी अपने आप को गोली मारना चाहता था, किन्तु सिल्विया ने उसे यह कहकर समझाबुझाकर शान्त कर दिया कि इसमें उसका कोई दोष नहीं है। इसलिए उसके मरने का कोई औचित्य भी नहीं है। चूँकि सिल्विया ने नानावटी से यह नहीं बताया था कि प्रेम उससे विवाह करना चाहता है या नहीं, नानावटी ने यह बात खुद पता लगाने की सोची। नानावटी जब प्रेम से मिलने के लिए उसके शयनकक्ष में गया तो उसी समय प्रेम बाथरूम से नहाकर सिर्फ तौलिया लपेटे हुए बाहर निकला। प्रेम को देखकर क्रुद्ध नानावटी ने पूछा कि क्या वह सिल्विया से शादी करके उसके बच्चों की देखभाल करेगा? प्रेम ने कहा- 'क्या मैं उन सभी लड़कियों से शादी कर लूँ जिनके साथ मैं सोता हूँ?' प्रेम का जवाब सुनकर नानावटी आपे से बाहर हो गया। उसी समय उसने प्रेम को बन्दूक की ओर लपकते हुए देखा। इसके बाद बन्दूक के लिए प्रेम और नानावटी में हुई हाथापाई के फलस्वरूप प्रेम के हाथ से बन्दूक चल गई जिसके कारण प्रेम मारा गया।
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY!
First information: https://twitter.com/rajatvynar
https://rajatvynar.wordpress.com/

Last edited by Rajat Vynar; 16-04-2017 at 05:44 PM.
Rajat Vynar is offline  
Closed Thread

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 01:18 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.