12-12-2015, 10:53 AM | #1 |
Diligent Member
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घनाक्षरी छंद
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ कितने बेचैन होके काम रोज करते हैं, जीने के लिए ही बार बार हाय मरते। जिन्दगी मिली है सच कहती है दुनिया ये, पर कहाँ पर है तलाश रोज करते। हमको तो लगता कि दुख ही की दुनिया ये, दुख से ही दुख में ही दुख हम भरते। इसीलिए दुख के पहाड़ हों या झील कोई, दुखी हम इतने कि दुख सब डरते। घनाक्षरी छन्द- आकाश महेशपुरी ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ पता- वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर. उ प्र. |
13-12-2015, 05:57 PM | #2 |
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Re: घनाक्षरी छंद
छंदबद्ध कविता में सुंदर भावों को पिरोना आपकी विशेषता है. धन्यवाद, आकाश जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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