02-04-2015, 10:54 AM | #171 | |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65 |
Re: मुहावरों की कहानी
Quote:
|
|
03-04-2015, 04:22 PM | #172 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
सूत्र पर दी गयी सामग्री पसंद करने के लिए आपका आभारी हूँ, पुष्पा सोनी जी. धन्यवाद.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
03-04-2015, 04:23 PM | #173 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
नदी में रह कर मगर से बैर (3)
एक नदी में तरह तरह की मछलियाँ रहती थीं. आस पास के गाँवों के बच्चे नदी किनारे आ कर खेलते और मछलियों को तैरता देखते और उनके बच्चों को पकड़ने की कोशिश करते लेकिन मछलियों के बच्चे उनके हाथ नहीं आते थे. कभी कभी किनारे पर कछुए भी दिखाई दे जाते थे. उसी नदी में एक मगर (मगरमच्छ) भी रहता था. वह मरघट के पास ही रहता था. वहीँ नज़दीक ही धोबी घाट भी था. वह मगर मरघट पर मुर्दों को खा कर अपना पेट भरता था. धोबी घाट की दिशा में चक्कर लगाया करता था. यूँ वह शोर शराबे से दूर ही रहा करता. धोबी घाट के नज़दीक ही लोगों के स्नान करने वाला घाट भी था. इस तरफ वह जब भी चक्कर लगता, दोपहर के सन्नाटे में ही आता. धोबी घाट पर गाँव के सारे धोबी कपड़े धोया करते थे. काम करते करते थक जाते तो दोपहर में पेड़ की छाया में बैठ कर भोजन करते और आराम करते. बुजुर्ग लोग तथा बच्चे पेड़ की छाया में बैठ कर विश्राम करते और पुरूष व महिलायें पानी के किनारे कपडे धोते रहते. धोबी घाट पर आये लोगों को मगर अक्सर दिखाई दे जाता. उसकी पीठ पर एक कछुआ भी दिखाई देता. लोगो का कहना था कि उन दोनों में दोस्ती थी इसलिए साथ ही रहते थे. कुछ दिन बाद मगर आता लेकिन साथ में कछुआ नहीं होता था. लोगों ने यह समझा कि या तो कछुआ मर मरा गया है या उन दोनों की दोस्ती ख़त्म हो गयी है. लेकिन कुछ ही दिनों बाद लोगों ने देखा कि मगरमच्छ कछुये का पीछा करता दिखाई पड़ा. सब जान गए कि उन दोनों की दोस्ती शत्रुता में बदल गयी है. एक दिन उन्होंने देखा कि कछुआ छपाक से नदी के किनारे आ लगा. वह अभी संभल भी न पाया था कि मगर ने उसे अपने नुकीले दाँतों में दबोच लिया और कुछ ही क्षणों में उसे निगल गया. यह दृश्य देख कर सब लोगों को बहुत बुरा लगा और दुःख हुआ. उनमे से एक पके बालों वाले बुजुर्ग ने उस ओर देखते हुए एक लम्बी आह भरी और फिर बोला, “जल में रह कर मगर से बैर संभव नहीं है.” यह सुन कर सभी सकते में आ गए. **
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
06-07-2015, 09:52 PM | #174 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
आया कुत्ता ले गया, तू बैठी ढोल बजा
भावार्थ: अपनी धुन में इतना मस्त हो जाना कि आसपास क्या हो रहा है, इसका भी ध्यान न रहना पहली कथा: एक मिरासिन किसी दावत में गयी. वहाँ वह ढोल बजाने में इतनी खो गयी कि उसके सामने पड़ी खाने की पत्तल कुत्ता उठा कर ले गया और उसे पता भी नहीं चला. दूसरी कथा: इस संबंध में एक और कथा भी है. एक बार हज़रत अमीर ख़ुसरो किसी गांव से गुज़र रहे थे. उन्हें जोर की प्यास लगी थी. उन्होंने देखा कि एक कुयें पर चार औरतें पानी भर रही थीं. एक औरत उन्हें पहचान कर बोली कि आप हमारी कही चीजों पर शायरी करें तो हम आपको पानी पिला देंगे. ख़ुसरो ने इसे मंजूर कर लिया. तब उनमे से एक ने कहा- आज हमारे घर खीर बनी है, इस पर कुछ कहें. दूसरी ने कहा- मेरे चरखे पर कुछ कहें. सामने खड़े कुत्ते पर कुछ कहिये. चौथी ने कहा- मेरे ढोल पर कुछ कहिये. ख़ुसरो ने चारों की इच्छा पूरी करते हुये कहा- खीर पकाई जतन से, चरखा दिया चला कुत्ता आया खा गया, तू बैठी ढोल बजा यह सुन कर सब बहुत ख़ुश हुईं और उन्हें पानी पिला दिया.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
10-08-2015, 10:24 PM | #175 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
कहावत: आला ! दे निवाला !
(आला = दीवार में बने हुए छोटे बड़े खाने या ताक) अर्थ: ऐ ताक! तू मुझे रोटी का निवाला दे. कथा: किसी राजा को एक भिखारन की सुंदर बेटी से प्यार हो गया और उससे शादी कर ली. महलों में आकर भी उस भिखारन की भीख मांगने की आदत नहीं छूटी. वह अपने कमरों की ताकों में रोटी रख कर कहती, “आला ! दे निवाला”. यह कह कर वह जैसे भीख माँगा करती. कहने का भाव यह है कि जीवन के प्रारम्भिक वर्षों की या बचपन में लगी पुरानी आदत जल्द नहीं छूटती.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
10-03-2016, 07:09 AM | #176 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
दिल को ठंडक पहुँचना
साभार: चन्द्रमौलेश्वर प्रसाद कल ही की बात है जब मैं ब्लागदर्शन कर रहा था तो ब्लागगुरू बी.एस.पाब्ला जी का ब्लाग ‘ज़िंदगी के मेले’ पर उनका सफ़रनामा मिला। मोटर साइकल पर यात्रा करते हुए सुंदर चित्रों के साथ दिल दहलाने वाले ठंडक का वर्णन भी था। इस लेख के अंत में वे बताते हैं- ‘गरदन घुमा कर पीछे देखा तो मैडम जी चारों खाने चित्त धरती पर! हड़बड़ा कर मैं उतरा, गाड़ी खड़ी की और हाथ बढ़ाया कि उठो। लेकिन लेटे लेटे ही उलझन भरी आवाज़ आई ‘मेरे हाथ कहाँ हैं, मेरे पैर कहाँ हैं?’ तब महसूस हुआ कि बर्फीली ठण्डी हवाओं के मारे हाथ पैर ही सुन्न हो गए हैं।’ ठंड के विविध आयाम मस्तिष्क में घूमने लगे और सोंचते सोचते बात दिल को ठंडक पहुँचाने तक चली गई। ठंड में आदमी अकड जाता है तो शरीर सुन्न हो जाता है और जब हिमाकत में अकड़ जाता है तो मस्तिष्क सुन्न होगा। इस हिमाकत में वो क्या कर बैठे, कुछ पता नहीं, पर यदि उसकी हिमाकत कामियाब हो गई तो उसके दिल को ठंडक पहुँचेगी। हर व्यक्ति के लिए ठंड की व्याख्या भी अलग होती है। आमीर खान के लिए ठंडा मतलब कोका कोला! किसी हिरोइन के लिए गाने की सीन क्रिएट होगी और वो गाने लगेगी- मुझे ठंड लग रही है...। कभी हीरो भी ठंड की शिकायत में कांपते हुए कहेगा- सरका लो खटिया...। इस प्रकार फिल्मी दुनिया में भी ठंड का बडा रोल होता है, वैसे ही जैसे बारिश या बर्फ़ का! यह और बात है कि यह ठंड कभी अश्लीलता के बार्डर लाइन तक पहुँच जाती है और डायरेक्टर को ‘कट’ कहना पड़ता है और यदि वो चूक गया तो नकटा मामू सेंसर तो है ही। खलनायक की छाती में ठंडक उस समय पडती है जब वो किसी को ठंडा कर देता है। हीरो तो ठंडे मिजाज़ का होता ही है और उसे देख कर विलेन के हाथ-पाँव ठंडे पड़ जाते हैं। है ना, फ़िल्मों में ठंड के विविध आयाम!!! साहित्य में भी ठंड ने अपना रोल अदा किया है। मुहावरों की शक्ल में ठंड का उपयोग आम बात है जैसे, आँख की ठंडक किसी भी प्रेमी को दिल की ठंडक पहुँचा ही देती है। जब प्रेमिका का बाप दिख जाता है तो प्रेमी को ठंडे पसीने छूटना स्वाभाविक बात ही कही जाएगी। हो सकता है कि प्रेम की पींगे बढ़ने के पहले ही उनके इस प्रेम-प्रसंग पर ठंडा पानी फिर जाय। यदि प्रेमिका को बाप के रूप में विलेन दिखाई दे तो बाप-बेटी के रिश्तों में ठंडक आ जाएगी। यह और बात है कि दो प्रेमियों को अलग करके बाप के कलेजे में ठंडक पड़ जाएगी। अब आप ठंडे दिमाग से सोचिए कि ठंड हमें कहाँ से कहाँ पहुँचा सकती है।
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
15-03-2016, 01:02 PM | #177 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
भेड़ की खाल में भेड़िया
बहुत समय पहले की बात है ..... एक चरवाहा था जिसके पास 10 भेड़े थीं। वह रोज उन्हें चराने ले जाता और शाम को बाड़े में डाल देता। सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक सुबह जब चरवाहा भेडें निकाल रहा था तब उसने देखा कि बाड़े से एक भेड़ गायब है। चरवाहा इधर-उधर देखने लगा, बाड़ा कहीं से टूटा नहीं था और कंटीले तारों की वजह से इस बात की भी कोई सम्भावना न थी कि बहार से कोई जंगली जानवर अन्दर आया हो और भेड़ उठाकर ले गया हो। . चरवाहा बाकी बची भेड़ों की तरफ घूमा और पुछा :- "क्या तुम लोगों को पता है कि यहाँ से एक भेंड़ गायब कैसे हो गयी…क्या रात को यहाँ कुछ हुआ था.?” सभी भेड़ों ने ना में सर हिला दिया। उस दिन भेड़ों के चराने के बाद चरवाहे ने हमेशा की तरह भेड़ों को बाड़े में डाल दिया। अगली सुबह जब वो आया तो उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह गयीं, आज भी एक भेंड़ गायब थी और अब सिर्फ आठ भेडें ही बची थीं।इस बार भी चरवाहे को कुछ समझ नहीं आया कि भेड़ कहाँ गायब हो गयी। बाकी बची भेड़ों से पूछने पर भी कुछ पता नहीं चला। ऐसा लगातार होने लगा और रोज रात में एक भेंड़ गायब हो जाती। फिर एक दिन ऐसा आया कि बाड़े में बस दो ही भेंड़े बची थीं। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
15-03-2016, 01:02 PM | #178 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
चरवाहा भी बिलकुल निराश हो चुका था, मन ही मन वो इसे अपना दुर्भाग्य मान सब कुछ भगवान् पर छोड़ दिया था।आज भी वो उन दो भेड़ों के बाड़े में डालने के बाद मुड़ा। तभी पीछे से आवाज़ आई :-
“रुको-रुको मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ वर्ना ये भेड़िया आज रात मुझे भी मार डालेगा.!” चरवाहा फ़ौरन पलटा और अपनी लाठी संभालते हुए बोला, “ भेड़िया ! कहाँ है भेड़िया.?” भेड़ इशारा करते हुए बोली :- “ये जो आपके सामने खड़ा है दरअसल भेड़ नहीं, भेड़ की खाल में भेड़िया है। जब पहली बार एक भेड़ गायब हुई थी तो मैं डर के मारे उस रात सोई नहीं थी। तब मैंने देखा कि आधी रात के बाद इसने अपनी खाल उतारी और बगल वाली भेड़ को मारकर खा गया.!” >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
15-03-2016, 01:07 PM | #179 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
भेड़िये ने अपना राज खुलता देख वहां से भागना चाहा, लेकिन चरवाहा चौकन्ना था और लाठी से ताबड़तोड़ वार कर उसे वहीँ ढेर कर दिया।चरवाहा पूरी कहानी समझ चुका था और वह क्रोध से लाल हो उठा, उसने भेड़ से चीखते हुए पूछा :- “जब तुम ये बात इतना पहले से जानती थीं तो मुझे बताया क्यों नहीं.?”
भेड़ शर्मिंदा होते हुए बोली :- “मैं उसके भयानक रूप को देख अन्दर से डरी हुई थी, मेरी सच बोलने की हिम्मत ही नहीं हुई, मैंने सोचा कि शायद एक-दो भेड़ खाने के बाद ये अपने आप ही यहाँ से चला जाएगा पर बात बढ़ते-बढ़ते मेरी जान पर आ गयी और अब अपनी जान बचाने का मेरे पास एक ही चारा था- हिम्मत करके सच बोलना, इसलिए आज मैंने आपसे सब कुछ बता दिया.!" चरवाहा बोला, :- “तुमने ये कैसे सोच लिया कि एक-दो भेड़ों को मारने के बाद वो भेड़िया यहाँ से चला जायेगा…भेड़िया तो भेड़िया होता है…वो अपनी प्रकृति नहीं बदल सकता ! जरा सोचो तुम्हारी चुप्पी ने कितने निर्दोष भेड़ो की जान ले ली। अगर तुमने पहले ही सच बोलने की हिम्मत दिखाई होती तो आज सब कुछ कितना अच्छा होता.?” . दोस्तों, ज़िन्दगी में ऐसे कई मौके आते हैं जहाँ हमारी थोड़ी सी हिम्मत एक बड़ा फर्क डाल सकती है पर उस भेड़ की तरह हममें से ज्यादातर लोग तब तक चुप्पी मारकर बैठे रहते हैं जब तक मुसीबत अपने सर पे नहीं आ जाती। चलिए इस कहानी से प्रेरणा लेते हुए हम सही समय पर सच बोलने की हिम्मत दिखाएं और अपने देश और समाज को भ्रष्टाचार, आतंकवाद और महिलाओं के शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न के लिये ज़िम्मेदार भेड़ियों से मुक्त कराएं !!
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
18-03-2016, 12:28 PM | #180 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: मुहावरों की कहानी
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा
साभार: शिवराज गूजर 'कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा' भानुमति का यह टोटका काफी पुराना है पर आज भी अचूक है। लोग धड़ल्ले से इसका उपयोग कर रहे हैं। उसने इसका पेटेंट करवा लिया होता तो आज उसकी पीडियों के वारे न्यारे होते. खैर गलती हो गयी उसका क्या रोना. आज रीमिक्स का दौर है. भाइयों ने इसका भी नया संस्करण निकल दिया. लेटेस्ट है जुगाड़. यह वर्जन जनता क्लास के लिए है. बालकनी वालों के लिए इसे हिंदी में 'गठबंधन' के नाम से और अंग्रेजी में 'एलायंस' के नाम से रिलीज किया गया है. जुगाड़ का सबसे अच्छा उदाहरण है किसान बुग्गा. एक कंपनी का डीजल इंजन लिया (वैसे बेचारे को डीजल कम, केरोसिन ही ज्यादा पीना पड़ता है) , ऊँट गाड़ी की बॉडी में जीप के पहिये लगाये और बन गया बुग्गा. 40-50 हजार रुपये के इस आइटम से सवारियां भी ढो लो और सामान भी. क्षमता का कोई लेना -देना नहीं. मड गार्ड तक पर सवारियां बैठा लो, नो प्रॉब्लम. जीप और ट्रैक्टर वाले जलें तो जलें. जहाँ तक में समझाता हूँ, राजग के उदय का प्रेरणा स्त्रोत भी यही रहा होगा. हमारी केंद्र सरकारें भी पिछले कई बरसों से इसी तकनीक से चल रही हैं. मकान के बाहर एक विचित्र वाहन खडा है. यह आवाज वाही कर रहा था. उससे सामान उतारा जा रहा था. शायद कोई नया किरायेदार आया था. ऐसा वाहन हमने कभी नहीं देखा था. उसके बारे में जानने की उत्सुकता लिए हम तेजी से घर के बाहर आये. उसे घूमकर चारों ओर से देखा. जब कुछ समझ में नहीं आया तो हमने ड्राइवर से पूछा, 'यह क्या है?' ड्राईवर बोला, ' जुगाड़' जुगाड़ बोले तो? ड्राईवर ने हमारे इस अज्ञानता भरे प्रश्न पर हमें ऊपर से नीचे तक ऐसे देखा जैसे कह रहा हो, इतने तेज ज़माने में तुम्हें यह भी पता नहीं कि जुगाड़ क्या है? खैर उसने उदारता दिखाई और जुगाड़ का मतलब समझाया,'जब आपके पास पर्याप्त साधन नहीं हो तो दूसरों से जो भी वह देने कि स्थिति में हो लेलो, और अपना काम निकल लो. यह टोटका भानुमति का है, जिसे इसको बनाने में काम में लिया गया है.'
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
Bookmarks |
Tags |
कहावतें, मुहावरे, मुहावरे कहानी, लोकोक्तियाँ, हिंदी मुहावरे, हिन्दी कहावतें, hindi kahavaten, hindi muhavare, idioms & phrases, muhavare kahavaten, muhavaron ki kahani |
|
|