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Old 15-06-2011, 09:35 AM   #41
Kumar Anil
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Kumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud ofKumar Anil has much to be proud of
Default Re: बाबा राम देव का सत्त ग्रहण आनदोलन

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Originally Posted by jai_bhardwaj View Post
इस विषय में मेरे विचारों के एक एक शब्द इस वक्तव्य में सम्मिलित हैं / धन्यवाद अनिल भाई /
यदि अब भी स्वामी जी अपने खोल में नहीं लौटे तो निश्चित ही भविष्य में उन्हें पराभव और अपमान का सामना करना पड़ सकता है /
उनका यह दंभ कि 'लाखों की संख्या में उन्हें योग गुरु मानने वाले लोग उनकी महत्वाकांक्षा को फलीभूत करेंगे' गंगा में बह गया है /बाबा के लगातार बदलते वक्तव्य उनकी राजनैतिक अकुशलता और वैचारिक दोष को प्रकट करते हैं /बाबा एक अच्छे योग गुरु हैं / उन्हें योग सिखाते रहना और दवाएं बेचते रहना चाहिए /
निकट भविष्य में उनपर आने वाली जांचों में कुछ चौकाने वाले तथ्य उजागर हो सकते हैं / हमें सच की प्रतीक्षा है /
धन्यवाद /
शुक्रिया , जय भाई ! यह अद्भुत संयोग अत्यन्त सुखद है कि मै आपके विचारोँ को शब्दोँ का अमलीजामा पहना सका , उन्हेँ मूर्तता प्रदान करने मेँ कामयाब हो सका ।
खोल मेँ पड़े रहना तो उनकी तात्कालिक विवशता है । परिस्थितियाँ अनुकूल होते ही वे पुनः अपना रंग बदलते नजर आयेँगे और किँगमेकर का ख़्बाब पाले किसी कोटर मेँ अपना आशियाना बनाने की जद्दोजहद करेँगे । परिदृश्य से बाहर कर लतियाये जाने का यह सबक मिलना जरूरी भी था क्योँकि सत्ता को चुनौती दिया जाना , उससे सौदेबाजी किया जाना , उस पर दबाब बनाना किसी भी स्थिति मेँ देश के लिये हितकारी नहीँ है और न ही लोकतन्त्र के लिये । आखिर कुछ तो वज़ह है कि इस देश मेँ 63 वर्षोँ से जनता सरकारेँ चुन रही है । जनता का अप्रत्यक्ष दबाब सरकार पर रहता है बावज़ूद इसके कि अधिसँख्य गरीबी की मार से अशिक्षित हैँ और शेष प्रबुद्ध बिना मत का प्रयोग किये बैठकोँ के द्वारा परोक्ष नियन्त्रण अपने हाथोँ मेँ समेटे हैँ । शायद इसीलिये अपने पड़ोसियोँ की तुलना मेँ हम बेहतर हैँ । कम से कम कोई सशस्त्र सेना बनाने का मंसूबा तो नहीँ पालता । वो धैर्य रखता है अगले चुनाव मेँ विवेकानुसार सही पात्र का चयन करने का । उन्माद पैदा करने की क़ोशिश नहीँ करता जैसा कि भाजपा ने एक शार्टकट के जरिये सत्तानशीन होने के लिये किया था । सत्ता को चुनौती देना तो तानाशाही का द्योतक है और फैसला हमेँ करना है कि हमेँ कहाँ खड़े होना है ??????
__________________
दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो ।
Kumar Anil is offline   Reply With Quote
Old 21-06-2011, 11:33 AM   #42
YUVRAJ
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Thumbs up Re: बाबा राम देव का सत्त ग्रहण आनदोलन

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Originally Posted by Kumar Anil View Post
शुक्रिया , जय भाई ! यह अद्भुत संयोग अत्यन्त सुखद है कि मै आपके विचारोँ को शब्दोँ का अमलीजामा पहना सका , उन्हेँ मूर्तता प्रदान करने मेँ कामयाब हो सका ।
खोल मेँ पड़े रहना तो उनकी तात्कालिक विवशता है । परिस्थितियाँ अनुकूल होते ही वे पुनः अपना रंग बदलते नजर आयेँगे और किँगमेकर का ख़्बाब पाले किसी कोटर मेँ अपना आशियाना बनाने की जद्दोजहद करेँगे । परिदृश्य से बाहर कर लतियाये जाने का यह सबक मिलना जरूरी भी था क्योँकि सत्ता को चुनौती दिया जाना , उससे सौदेबाजी किया जाना , उस पर दबाब बनाना किसी भी स्थिति मेँ देश के लिये हितकारी नहीँ है और न ही लोकतन्त्र के लिये । आखिर कुछ तो वज़ह है कि इस देश मेँ 63 वर्षोँ से जनता सरकारेँ चुन रही है । जनता का अप्रत्यक्ष दबाब सरकार पर रहता है बावज़ूद इसके कि अधिसँख्य गरीबी की मार से अशिक्षित हैँ और शेष प्रबुद्ध बिना मत का प्रयोग किये बैठकोँ के द्वारा परोक्ष नियन्त्रण अपने हाथोँ मेँ समेटे हैँ । शायद इसीलिये अपने पड़ोसियोँ की तुलना मेँ हम बेहतर हैँ । कम से कम कोई सशस्त्र सेना बनाने का मंसूबा तो नहीँ पालता । वो धैर्य रखता है अगले चुनाव मेँ विवेकानुसार सही पात्र का चयन करने का । उन्माद पैदा करने की क़ोशिश नहीँ करता जैसा कि भाजपा ने एक शार्टकट के जरिये सत्तानशीन होने के लिये किया था । सत्ता को चुनौती देना तो तानाशाही का द्योतक है और फैसला हमेँ करना है कि हमेँ कहाँ खड़े होना है ??????
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