18-09-2011, 03:38 AM | #1 |
Special Member
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माता-पिता की महिमा
माता तो सर्वोच्च है, महिमा अगम अपार!
माँ के गर्भ से ही यहाँ, प्रकट हुए अवतार!! माँ की महत्ता तो मनुज, कभी न जानी जाय! माँ का ऋण सबसे बड़ा, कैसे मनुज चुकाय!! मात-पिता भगवान-से, करो भक्ति भरपूर! मात-पिता यदि रुष्ट हों, ईश समझलो दूर!! पिता दिखाए राह नित, दे जीवन का दान! मान पिता को दे नहीं, अधम पुत्र को जान!! रोम-रोम में माँ रहे, नाम जपे हर साँस! सेवा कर माँ की सदा, पूरी होगी आस!! माँ प्रसन्न तो प्रभु मिलें, सध जाएँ सब काम! पिता के कारण जगत में, मिले मनुज को नाम!! मात-पिता का सुख सदा, चाहा श्रवण कुमार! मात-पिता के भक्त को, पूजे सब संसार!! माँ के सुख में सुख समझ, मान मोद को मोद! सारा जग मिल जाएगा, मिले जो माँ की गोद!! माँ के चरणों में मिलें, सब तीरथ,सब धाम! जिसने माँ को दुःख दिए, जग में मरा अनाम!! माँ है ईश्वर से बड़ी, महिमावान अनंत! माँ रूठे पतझड़ समझ, माँ खुश, मान वसंत!! |
18-09-2011, 10:27 AM | #2 |
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Re: माता-पिता की महिमा
बहुत अच्छा.........
शानदार विचार प्रस्तुत किये है आपने........... वैसे भी माँ बाप का दर्जा भगवान से भी बढ़कर है,माँ बाप को ही बच्चे का सबसे पहला गुरु बताया गया है .... |
18-09-2011, 10:30 AM | #3 |
Administrator
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Re: माता-पिता की महिमा
बेहतरीन सूत्र, रवि जी. माता पिता का दर्जा तो भगवान् से भी ऊपर का होता है.
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18-09-2011, 11:31 AM | #4 |
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Re: माता-पिता की महिमा
accha sutr mata - pita ham सब के लिए भगवान के saman है ..
pr riston में चालाकी करना और मात-pita को धोके में रख के वो सब करना जो वो अपने santan के लिए soch nahi sakti unke vishvash ka galat फ़ायदा उठाना इन सब बैटन ka ehsash tab होता है जब वो खुद माँ बाप बनते है ...
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