10-09-2016, 03:21 PM | #1 |
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ग़ज़ल/ गीतिका- उसका रहा दिल है पत्थर हमेशा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ जिसे देखता हूँ मैं छिपकर हमेशा कि उसका रहा दिल है पत्थर हमेशा ~~~ वो मेरा नहीं हो सकेगा कभी भी जिसे है रखा दिल के अंदर हमेशा ~~~ ये नजरें कहो कब मेरी जान लेंगी जिसे लोग कहते हैं खंजर हमेशा ~~~ मेरी प्यास बढ़ती रही है निरंतर भले वो पिलाये समंदर हमेशा ~~~ हँसो मेरी सूरत पे हर बार लेकिन रहोगे नहीं तुम भी सुन्दर हमेशा ~~~ वो मिट्टी मेरी जिंदगी हो गयी है जिसे लोग कहते थे बंजर हमेशा ~~~ जो इतराओगे तो सनम तेरे आगे झुकेगा नहीं यूँ मेरा सर हमेशा ~~~ है "आकाश" मुमकिन मुझे भूल जाओ मगर दिल रहेगा तेरे दर हमेशा ग़ज़ल/ गीतिका- आकाश महेशपुरी ☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆☆ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश Last edited by आकाश महेशपुरी; 11-09-2016 at 03:17 PM. |
11-09-2016, 08:49 AM | #2 | |
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Re: ग़ज़ल/ गीतिका- कि उसका रहा दिल है पत्थर हमेशा
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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