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10-12-2010, 05:51 AM | #1 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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10-12-2010, 05:57 AM | #2 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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और मुझे नही लगता कोई भी आदमी अपने ऑफीस में बैठ कर इस तरह के वेबसाइट देखेगा. अगर वो बंदा उस कंपनी का मालिक ही हो तो बात अलग है. |
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10-12-2010, 06:07 AM | #3 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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10-12-2010, 06:15 AM | #4 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
मेरा conclusion यह है
User should be given a warning message for the first time before they enter inside the these kinds of websites. If a child still wants to enter, its their and their parents problem. The IT deparment of India should make sure that these websites are following all the IT laws, if they are not following IT laws, they should be banned and case must be filed and necessary actions should be taken. Government should have separate cyber police to monitor these websites. It’s impossible that these kinds of sites will ever cause some kind of public disorder. It never has, and never will be. |
10-12-2010, 06:25 AM | #5 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
The Indian Penal Code, 1860 section 293 also specifies, in clear terms, the law against Sale etc. of obscene objects to minors.
Chapter XI Quote:
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10-12-2010, 09:38 AM | #6 | ||||||||
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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क्या मेरे किसी शब्द से आपको लगा कि मैंने वयस्क शिक्षा प्रदान करने वाली साईट कि बुरे की? भाव समझिये, मैं शब्दों को अति संतुलित और सामान्य रखना चाहता हूँ ताकि सभी को पढने में सुगम लगे, इस छिपी हुई बुराई को मैं कमरों से निकाल कर ड्राइंग रूम में लाना चाहता हूँ और उसके लिए आप जैसे जागरूक युवाओं की आवश्यकता है | Quote:
सिगरेट पीकर खुद पीने वाला मरता है, अन्य व्यसनों में भी यही है किन्तु यह एक ऐसा व्यसन है कि हर एक प्रतिभागी अपराधी है उस गिरोह को पालने का जो ये सब कराते हैं | आखिर ऐसा जघन्य कार्य करने वाले किसी मंदिर के पुजारी तो नहीं होते? ये एक जगह से निकला पैसा, पाइरेसी में लगता है, पाइरेसी के लिए अन्य अपराधियों का सहारा लिया जाता है इस प्रकार से यह एक कुचक्र चलाता है | Quote:
क्या आपने अभी टाइम्स का हुआ सर्वेक्षण पढ़ा जिसमें साफ़ साफ़ दिया है कि रेप के मात्र ३० प्रतिशत मामलों में ही अपराधी का पहला अपराध होता है, यदि आपका तर्क सही है तो साईट क्या वास्तव में करने वालों कि कुंठा पहले अपराध के बाद समाप्त हो जाती फिर क्यूँ सत्तर प्रतिशत मामलों में वाही पुनः अपराध करते हैं | इन्टरनेट आने से पहले होता था, किन्तु हम जानकारी, उसकी उपलब्धता और साक्षरता बढ़ने पर इन्सबके कम या समाप्त होने की आशा करें तो गलत है ? क्या सुधार कि आकांक्षा करने कि जगह पर हम आंख मुंड कर बैठ जाएँ कि ये पहले भी होता था !!! मैं पुनः उसी आंकड़े को दोहराना चाहूँगा कि हर रोज़ एक बलात्कार हो रहा है औसतन और यह औसत बढ़ रहा है, ऐसे में कब तक अपना घर सुरक्षित रखेंगे? जिनके साथ यह हादसा हुआ वो भी सामान्य ही थी, किसी कि बहन, किसी कि बेटी उनके मत्थे पर नहीं लिखा था कि उनके साथ ऐसा होगा | कल्पना कीजिए क्या बीतिती होगी ऐसे व्यक्ति क्या पुरे परिवार पर | Quote:
बॉस इण्डिया नेपाल पकिस्तान और बंगलादेश से कितना ह्युमन ट्रैफिकिंग गल्फ, यूरोप, थाईलैंड को होती है इसका अनुमान भी है ??? उड़ीसा के गरीब परिवारों से पांच किलो चावल के बदले लडकियाँ खरीद ली जाती हैं ये ख़बरें आपने कभी नहीं देखीं ? थोडा सामायिक चर्चाओं पर निगाह डालिए, नाल्को के कैम्प में रहे डॉक्टरों के विवरण पढ़िए ! वहाँ पता लगेगी इस सबकी घ्रणित सच्चाई | ये गिरोह चलाने वाले उनका इलाज तक नहीं होने देते, जानते हुए भी कि ये मर जाएँगी, ये जानते हुए भी कि इनसे लोग मारे जायेंगे | Quote:
क्रिकेट, रिजल्ट्स से इसकी तुलना करके विषय का मजाक ना बनाइये, ये सार्वजानिक गतिविधियाँ हैं जिनसे मनोरंजन होता है, लोग एक दिन देखते हैं थोड़ी देर बात करते हैं और भूल जाते हैं | कम से कम विषय कि समानता तो देखिये, इतनी अपेक्षा मैं आपसे कर ही सकता हूँ | Quote:
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भला कौन बच्चा अपने माँ बाप को बता कर ऐसी साईट पर आता है! क्या है कोई ऐसा? उन्होंने तो पढने के लिए लेकर दिया अब कमरे में बैठा लाल क्या कर रहा है उसकी जिम्मेवारी उन पर? एक बहुत पुरानी पंक्ति है कि आपकी स्वतंत्रता आपकी नाक तक ही होती है, यदि किसी चीज़ से बाकी सबको फर्क पड़ता है तो उसे फैलाना अपराध है | सामजिक समस्या पर वकील कि तरह देखना उचित नहीं है कि इस इस से यह प्रत्यक्ष दुष्प्रभाव होता है बस | इसे कैसे आप सिगरेट आदि बुराइयों के साथ मिला देते हैं क्या कभी नुक्कड़ के पान वाले के पास ऐसी सामग्री लटकी देखि है? क्या लोग पार्क में बैठ कर देखते करते हैं? सामान्य मनुष्य, एक पिता, एक पुत्र हो कर देखिये | यदि आपको अपने किसी बड़े को दो में से एक चीज़ जाहिर करने को कही जाये तो क्या बताना पसंद करेंगे सिगरेट पीना या ऐसी लत का शिकार होना ? व्यक्तिगत ना लें मैं सिर्फ आपको उस परिस्थिति से साकार करना चाहता हूँ | Quote:
ऐसे लोगों को साल दो साल कि सज़ा से पूर्ति नहीं होगी, इनका सामाजिक तिरस्कार और दंड की तीव्रता इतनी अधिक हो कि रूह काँप जाये | ऐसे कुछ व्यक्तियों की पहचान उत्तर भारत में भी हुई है और उनके सहयोगियों का पता किया जा रहा है और क्रिया कर्म भी शीघ्र ही होगा किन्तु अभी थोडा छानबीन चल रही है ताकि एकसाथ काफी नुक्सान इन्हें पहुचाया जाए | अंततः अमोल बंधू मेरे विचार में आप हर विषय को काफी तुलनात्मक दृष्टि से देखते हैं जो विषय को जीवंत बना देता है | मुझे आपके अगले उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी | Last edited by amit_tiwari; 10-12-2010 at 09:48 AM. |
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10-12-2010, 10:13 AM | #7 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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मैं आपके इस प्रयास का स्वागत करता हूँ. आईये चर्चा को आगे बढ़ाते है. |
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10-12-2010, 10:20 AM | #8 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
[QUOTE=amit_tiwari;29298]वार्निंग को किसने आज तक देखा ? रोड पे धीरे चलने का संकेत होता है फिर भी एक्सीडेंट होते हैं, सिगरेट पर ना पीने के संकेत होता है किन्तु फिर भी कैंसर होते हैं पी पी के |[QUOTE]
बहुत सही बात कही है आपने, ना हम रोड पर चलना छोड़ सकते है और ना ही सिगरेट पीना. वैसे ही कुछ लोग है जिनको मज़ा आता है इस तरह के websites पर तो यह उनकी मर्ज़ी है. सबको पता रहता है सिगरेट पीके जल्दी मर जायेंगे लेकिन फिर भी पीते है. जिस तरह संसार से सिगरेट को गायब नहीं कर सकते वैसे ही इन्टरनेट पर इस तरह के वेबसाइट हमेशा ही रहेंगे. और यह हरेक individual पर depend करता है की वो इसे देखे के ना देखे. जैसे की सिगरेट पिए की ना पिए. |
11-12-2010, 10:50 AM | #9 | |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
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किसी देस या राज्य का नाम उल्लेख करके, सरे आम बदनाम करना आपको शोभा नहीं देता !! रही बात article या स्पीच की, तो क्या आप जानते हैं, जो लोग ऐसे अच्छे अच्छे article लिखते है, वो पढने सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है !! पर विडम्बना ये है की वही लोग दिन में सफ़ेद चेहरे लेके घूमते हैं !! समाज में अच्छे हैसियत, रुतवा, सम्मानित पद रखते हैं और रात के अंधेरों में बिना कॉलगर्ल के उन्हें नींद नहीं आती !! और "कॉलगर्ल", आपके वर्णित उपरोक्त कन्याओं में नहीं आते !! क्यूंकि ये प्राणी (कॉलगर्ल) भी दिन के उजाले में सफ़ेद चेहरों में से जाने जाते हैं !! स्पष्टीकरण : मेरा ये कथन किसी व्यक्ति विशेष पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं है !! एक सार्वजनिक सच्चाई है !!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
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10-12-2010, 09:48 AM | #10 |
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Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन
क्या बात है भाई इतनी रात को बैठ कर आर्टिकल लिख रहे हो
कहीं वो वाली साईट तो नहीं खोल रखी है
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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