22-04-2014, 11:52 PM | #1 |
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कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
घर गली कूचे शहर हर गाँव में सुख चैन हो हर दिशा खुशहाल हो तो क्यों कुँवर बैचेन हो (कवि कुँवर बैचेन) इनके नाम और लक्ष्मण के नाम भी समरूप हैं दोनों सुमित्रानंदन दोनों महाकाव्य के अनुरूप हैं (महाकवि सुमित्रानंदन पन्त) अट्ठारह पुराणों में देखें तो एक है इनके नाम पर इनकी पुस्तक है हाला-प्याला-साकीबाला धाम पर (हरिवंश राय बच्चन)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
23-04-2014, 03:00 AM | #2 | |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
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प्रायः कवियों को अपनी कविता के अंत में अपना नाम देने की आदत होती है। इसको ध्यान में रखकर सूत्र शुरू करना एक अच्छा प्रयास है, इसमें एक से एक रोचक प्रविष्टियाँ आने की गुंजाइश है।
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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23-04-2014, 10:11 PM | #3 | |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
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23-04-2014, 11:55 PM | #4 |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
झांसी के चिरगांव में जिनका था ‘साकेत’
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25-04-2014, 01:37 PM | #5 |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
(अतिसुन्दर) एक पन्थ दो काज=> कवि व कविता
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27-04-2014, 11:11 PM | #6 |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
सखा रूप में कर रहे कान्हा का गुणगान
अन्तर चक्षु इनके खुले करते अनुसन्धान (भक्तकवि सूरदास) * दिनकर का समानार्थक बड़ा अनोखा नाम दो टूक कलेजे के करता फिर लेता विश्राम राम की ही शक्ति पूजा में रहता तल्लीन अपरा परिमल प्रभावती सी रचनायें शालीन (पं. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला')
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26-05-2014, 08:56 PM | #7 |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
‘अँधा युग’ जब खत्म हुआ
‘कनुप्रिया’ को लेकर ‘गुनाहों का देवता’ ‘धर्म युग’ में आ पहुँचा जिसके रथ को खींच रहा था ‘सूरज का सातवाँ घोड़ा’ (डॉ. धर्मवीर भारती)
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26-05-2014, 09:00 PM | #8 |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
‘अतीत के चलचित्र’ हैं
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26-05-2014, 09:27 PM | #9 |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
रहस्यवाद सर्वत्र जड़ा है इतिहास नहीं विस्मृत किया किसकी है चर्चा यहाँ? (जयशंकर प्रसाद)
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26-05-2014, 09:36 PM | #10 |
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Re: कविता में छुपा है नाम कवि का, बूझो तो?
जयपुर के दरबार में
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