28-02-2018, 12:54 PM | #1 |
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साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली...
●★●★●★●★●★●★●★●★●★ शिक्षामित्रों की लाशों पर जी भर के रंगोली खेलो साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो ★★★ रोज हमारे तन की लाली हो जाती है गम से काली पीले-पीले मुखड़े देखो जैसे मुरझाई हो डाली रोजी-रोटी छीन लिए हो अब सीने पर गोली खेलो साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो ★★★ रोज साथियों के मरने से अंदर तक हम भी मरते हैं त्योहारों की बात न करना त्योहारों से हम डरते हैं हमें मुबारक मत कहना तुम बना बना के टोली खेलो साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो ★★★ हमको हिन्दू कहने वाले कब होते हो दुख में शामिल जाओ जाओ जश्न मनाओ मेरे यारों के ऐ कातिल तुम तो तिकड़म के राजा हो जनता तो है भोली खेलो साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली खेलो गीत- आकाश महेशपुरी Last edited by आकाश महेशपुरी; 01-03-2018 at 05:07 PM. |
01-03-2018, 09:59 PM | #2 |
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Re: साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली...
शिक्षामित्रों की हालत पर सरकारी संवेदनहीनता को चिन्हित करती सुंदर रचना.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
12-03-2018, 07:52 AM | #3 |
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Re: साँसों की दरकार इधर है तेरा क्या है होली...
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