05-04-2011, 03:32 PM | #75 |
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Re: " कबीर के दोहे "
ये पेट बडा बाका सबसे लगा दिया धोका ॥
देख फकीरा देख संन्यासी घरघर मांगे टुकरा । एक आसनपर कुई नहीं बैठा पिछे पेटका लकरा ॥
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05-04-2011, 03:40 PM | #76 |
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Re: " कबीर के दोहे "
येहि पेटसे राव सिपाई येही पेटसे मरते ।
येहि पेटके खातर अदमी मुलख मुलख सब फिरते ॥
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05-04-2011, 03:45 PM | #78 |
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Re: " कबीर के दोहे "
इंद्र चंद्रकी गांड फारी विश्वामित्र भया कुत्ता ।
बिखयाका सोस करके कैशी भयी बाता ॥
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05-04-2011, 03:46 PM | #79 |
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Re: " कबीर के दोहे "
बङे महाराज दिंगाबर शिवजी उनोसे कहते ।
आसन छांड भिल्लनके पिछे तोबा तोबा कहते ॥
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05-04-2011, 03:47 PM | #80 |
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Re: " कबीर के दोहे "
चारो वेद ब्रह्मा पुढे भय वोही अंधा ।
आपने बेटीकी सूद नहा बना कुंभारका गद्धा ॥
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