11-01-2013, 05:30 PM | #1 |
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लाल बहादुर शास्त्री और आधुनिक जनप्रतिनिध
प्रस्तुत सामग्री अंतरजाल के विशाल भण्डार से निकाल कर इस मंच पर प्रेषित की जा रही है। सामग्री के मूल प्रस्तोता एवं मूल स्थान के प्रति हम आभारी हैं एवं हम उन्हें धन्यवाद प्रेषित कर रहे हैं।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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