My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 22-12-2012, 07:47 PM   #251
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

Quote:
Originally Posted by alex View Post
एक लड़के के आपात आपरेशन के लिए एक फोन
के बाद डाक्टर जल्दी जल्दीअस्पताल में प्रवेश
करते हैं....उन्होंने -तुरंत अपने कपडे बदल कर
सर्जिकल गाउन पहना, ऑपरेशनके लिए खुद
को तैयार किया और ऑपरेशन थियेटर
की तरफ चल पड़े...हॉल में प्रवेश करते ही उनकी नज़र लड़के की माँ पर
जाती है...जो उनका इंतज़ार करती जान
पड़ती थी और बहुत व्याकुल भी लग रही थी....
डॉक्टर को देखते ही लड़के की माँ एकदम गुस्से
से बोली : आपने आने इतनी देर क्यों कर दी..?
आपको पता नहीं है कि मेरे बेटे की हालत बहुत गंभीर है..?
आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास है
की नहीं..??
डॉक्टर मंद मंद मुस्कुराते हुए कहता है : मैं
अपनी गलती के लिए आपसे
माफ़ी मांगता हूँ...फोन आया तब मैं अस्पताल में नहीं था,जैसे ही खबर मिली मैं तुरंत अस्पताल
केलिए निकल पड़ा..रास्ते में ट्रैफिक
ज्यादा होने की वजह से थोड़ी देर हो गयी. अब
आप निश्चिन्त रहो मैं आ गया हूँ भ
गवान की मर्ज़ी से सब ठीक हो जाएगा..अब
आप विलाप करना छोड़ दो..'' इस पर लड़के की माँ और ज्यादा गुस्से से :
विलाप करना छोड़ दूं मतलब..? आपके कहने
का मतलब क्या है..? मेरे बच्चे को कुछ
हो गया होता तो.? इसकी जगह
आपका बच्चा होता तो आप क्या करते..??
डॉक्टर फिर मंद मंद मुस्कुराते हुए : शांत हो जाओ बहन, जीवन और मरण वो तो भगवान
के हाथ में है, मैं तो बस एक मनुष्य हूँ, फिर भी मैं
मेरे सेजितना अच्चा प्रयास हो सकेगा वो मैं
करूँगा..बाकी आपकी दुआ और भगवान
की मर्ज़ी..! क्या अब आप मुझे ऑपरेशन
थियेटर में जाने देंगीं.?? डॉक्टर ने फिर नर्स को कुछ सलाह दी और ऑपरेशन रूम में चले गए..
कुछ घंटे बाद डॉक्टर प्रफुल्लित मुस्कान लिए
ऑपरेशन रूम से बाहर आकर लड़के की माँ से
कहते हैं : भगवान का लाख लाख शुक्र है
की आपका लड़का सही सलामत है, अब
वो जल्दी से ठीक हो जाएगा और आपको ज्यादा जानकारी मेरा साथी डॉक्टरदे
देगा..ऐसा कह कर डॉक्टर तुरंत वहां से चल पड़ते
हैं..
लड़के की माँ ने तुरंत नर्स से पुछा : ये डॉक्टर
साहब को इतनी जल्दी भी क्या थी.?
मेरा लड़का होशमें आ जाता तब तक तो रूक जाते तो क्या बिगड़ जाता उनका..? डॉक्टर तोबहुत
घमंडी लगते हैं''
ये सुनकर नर्स की आँखों में आंसू आ गए और
कहा :''मैडम ! ये वही डॉक्टर हैं
जिनका इकलौता लड़का आपके लड़के
की अंधाधुंध ड्राइविंग की चपेट में आकर मारा गया है..उनको पता था की आपके लड़के के
कारण ही उनके इकलौते लड़के की जान गयी है
फिर भी उन्होंने तुम्हारे लड़के की जान बचाई
है...और जल्दी वो इसलिए चले गए क्योंकि वे
अपने लड़के की अंतिम क्रिया अधूरी छोड़
कर आ गए थे...

(i don't know if it is already hera
दिल को छू लेने बाली कहानी धन्यवाद
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 22-12-2012, 07:52 PM   #252
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

Quote:
Originally Posted by vijaysr76 View Post
आपके ज्ञान से किसी का अहित नहीं होना चाहिए


एक व्यापारी एक अनजान व्यक्ति को व्यवसाय में साझेदार बनाना चाहता था। उसने तसल्ली करने के लिए अपने एक मित्र से उसके बारे में पूछा कि वह कैसा आदमी है? मित्र उस आदमी को जानता था। जिसे व्यापारी साझेदार बना रहा था, वह वास्तव में ठग था, लेकिन मित्र ठहरा शास्त्रों का ज्ञाता, वह दूसरे की बुराई कैसे कर सकता था? उसने शास्त्रों में पढा था कि किसी की बुराई मत करो। उसके दोष बताना तो परनिंदा होगी। उसने ठग की प्रशंसा कर दी कि वह जिसके साथ काम करता है, उस पर अपना विश्वास जमा लेता है। सज्जन की बात पर विश्वास करके व्यापारी ने उसे साझेदार बना लिया। साझेदार ने मीठी-मीठी बातें करके व्यापारी पर विश्वास जमाया और दो महीने में ही सब कुछ लेकर चंपत हो गया। व्यापारी मित्र के पास गया। बोला - तुमने झूठ क्यों बोला? उसने कहा कि मैंने तो झूठ नहीं बोला। वह ज्यादा समय तक सच्चाई और ईमानदारी से विश्वास जमाता था, धोखा तो वह मात्र आखिरी दिन ही देता था। मैं सज्जन व्यक्ति हूं, किसी की निंदा करना तो पाप है। व्यापारी बोला - वाह मित्र, तुम्हारे इस कथित शास्त्र-ज्ञान और सज्जनता ने तो मेरी लुटिया ही डुबो दी।कथा-मर्म- अगर आपके ज्ञान से किसी का अहित होने की आशंका हो, तो वह ज्ञान किसी काम का नहीं.

सही है भाई अगर आपके ज्ञान से किसी का अहित होने की आशंका हो, तो वह ज्ञान किसी काम का नहीं
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 22-12-2012, 07:55 PM   #253
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

Quote:
Originally Posted by sameerchand View Post
न देने वाला मन

एक भिखारी सुबह-सुबह भीख मांगने निकला। चलते समय उसने अपनी झोली में जौ के मुट्ठी भर दाने डाल लिए। टोटके या अंधविश्वास के कारण भिक्षाटन के लिए निकलते समय भिखारी अपनी झोली खाली नहीं रखते। थैली देख कर दूसरों को लगता है कि इसे पहले से किसी ने दे रखा है। पूर्णिमा का दिन था, भिखारी सोच रहा था कि आज ईश्वर की कृपा होगी तो मेरी यह झोली शाम से पहले ही भर जाएगी।

अचानक सामने से राजपथ पर उसी देश के राजा की सवारी आती दिखाई दी। भिखारी खुश हो गया। उसने सोचा, राजा के दर्शन और उनसे मिलने वाले दान से सारे दरिद्र दूर हो जाएंगे, जीवन संवर जाएगा। जैसे-जैसे राजा की सवारी निकट आती गई, भिखारी की कल्पना और उत्तेजना भी बढ़ती गई। जैसे ही राजा का रथ भिखारी के निकट आया, राजा ने अपना रथ रुकवाया, उतर कर उसके निकट पहुंचे। भिखारी की तो मानो सांसें ही रुकने लगीं। लेकिन राजा ने उसे कुछ देने के बदले उलटे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और भीख की याचना करने लगे। भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। अभी वह सोच ही रहा था कि राजा ने पुन: याचना की। भिखारी ने अपनी झोली में हाथ डाला, मगर हमेशा दूसरों से लेने वाला मन देने को राजी नहीं हो रहा था। जैसे-तैसे कर उसने दो दाने जौ के निकाले और उन्हें राजा की चादर पर डाल दिया। उस दिन भिखारी को रोज से अधिक भीख मिली, मगर वे दो दाने देने का मलाल उसे सारे दिन रहा। शाम को जब उसने झोली पलटी तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। जो जौ वह ले गया था, उसके दो दाने सोने के हो गए थे। उसे समझ में आया कि यह दान की ही महिमा के कारण हुआ है। वह पछताया कि काश! उस समय राजा को और अधिक जौ दी होती, लेकिन नहीं दे सका, क्योंकि देने की आदत जो नहीं थी।
अब पछताए होत क्या .........................
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 31-12-2012, 10:48 PM   #254
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

कहने का तरीका




एक रात बादशाह अकबर ने सपना देखा कि खेत में गेहूं की बहुत सारी बालियां लगी हैं। एक गाय सारी बालियों को चर जाती है। बस एक को छोड़ देती है। बादशाह की आंख खुल गई। वह सपने का फल जानने को बेचैन हो गए। उन्होंने रात में ही कुछ पंडितों और मौलवियों को बुलवाया। पंडितों और मौलवियों ने तिथियों की गणना की, ग्रहों की स्थिति का अध्ययन किया, चांद-सितारों को देखा। सभी ने एक स्वर में कहा कि यह बड़ा अशुभ सपना है। इसका अर्थ है कि देखते-देखते आपके अलावा आपके परिवार के सभी लोगों की मृत्यु हो जाएगी। यह सुन कर बादशाह नाराज हो गए। उन्होंने पंडितों और मौलवियों को बुरी तरह फटकार कर वहां से भगा दिया। इसके बाद बादशाह ने बीरबल को बुलाया और सपने का अर्थ बताने को कहा। बीरबल ने बड़ी विनम्रता के साथ निवेदन किया- बादशाह सलामत, अल्लाह आपको रोज ऐसे सपने दिखाए। बादशाह थोड़ा नाराज हो कर बोले कि हर समय मजाक अच्छा नहीं होता। बीरबल बोले-यह मजाक नहीं, हकीकत है। सपना बहुत अच्छा है। इसका अर्थ है कि आपसे ज्यादा लंबी उमर आपके खानदान में और किसी की नहीं है। यह सुनकर अकबर खुश हुए। उन्होंने बीरबल को एक हाथी इनाम में देने की घोषणा की। बाद में पंडितों और मौलवियों ने जब बीरबल पर बादशाह की चापलूसी करने का आरोप लगाया तो उन्होंने जवाब दिया-मैंने भी उन्हें वही कहा जो आपने कहा था। बस कहने का तरीका अलग है। अगर बुरी बात भी सही तरीके से कही जाए तो वह बुरी नहीं लगती।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 31-12-2012, 10:51 PM   #255
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

शिष्य की पोटली




एक शिष्य ने अपने गुरु से दीक्षा ली और उपासना में लग गया। कुछ दिनों के बाद वह गुरु से बोला, ‘गुरुदेव, दीक्षा तो मैंने ले ली किंतु न जाने क्यों मेरा मन शांत नहीं रह पाता है, न ही आराधना में लग पाता है।’ गुरु ने शिष्य को ध्यान से देखा।



उन्होंने अंदाजा लगा लिया कि उसका मन एकाग्र क्यों नहीं हो पाता है। वह उसे देखकर बोले, ‘सच कहते हो वत्स! यहां तो ध्यान लगेगा भी नहीं। यह जगह ठीक नहीं। चलो कहीं और चलकर साधना करते हैं, शायद वहां ध्यान लग जाए। हम आज ही सूर्यास्त के बाद यहां से कहीं और चलेंगे।’ यह सुनकर शिष्य शाम के समय गुरु के साथ वहां से दूर चल पड़ा। गुरु बिल्कुल खाली हाथ थे लेकिन शिष्य के पास एक पोटली थी जिस पर बराबर उसका ध्यान लगा हुआ था। गुरु शिष्य की नजरों को लगातार परख रहे थे।
एक जगह नदी देखकर उन्होंने अपने शिष्य से कहा, ‘बहुत प्यास लगी है जरा पानी तो लेकर आना।’ गुरु का आदेश सुनकर शिष्य पोटली को साथ लेकर पानी लेने के लिए जाने लगा तो गुरु बोले, ‘अरे यह पोटली लेकर क्यों जा रहे हो? अगर पानी में डूब गई तो…। इसे मुझे दे जाओ।’ संकोच के साथ शिष्य ने पोटली गुरु को थमाई और नदी की ओर मुड़ गया। तभी उसे नदी में कुछ फेंके जाने की आवाज आई। उसने देखा कि उसकी पोटली पानी में तैरती जा रही है। यह देखकर वह बदहवास सा गुरु के पास आया और बोला, ‘गुरुदेव, मेरी पोटली! उसमें सोने की हजार अशर्फियां थीं।’ इस पर गुरु मुस्करा कर बोले, ‘वत्स, तुम्हारा मन एकाग्र इसलिए नहीं हो पाता था क्योंकि ध्यान करते समय तुम अशर्फियों के लोभ से घिर जाते थे। अब हम वहीं चलते हैं जहां से आए हैं। अब तुम वहां भी एकाग्र होकर ध्यान कर पाओगे।’ यह सुनकर शिष्य लज्जित हो गया। दोनों वापस लौट आए।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 31-12-2012, 10:53 PM   #256
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

सोने जैसा जीवन




जॉर्ज वशिंगटन का नौकर निकोलस बड़ा ही मुंहफट और बदतमीज था। वह दूसरे नौकरों और अन्य कई लोगों को जब चाहे तब अपशब्द कह देता था। बिना मतलब के डांट देता था। लेकिन कोई उसे कुछ नहीं कह पाता था क्योंकि वह बहुत पुराना था और जॉर्ज का खास भी। लेकिन जब उसने हद कर दी तो लोगों ने उसकी शिकायत जॉर्ज से की। जॉर्ज ने बुलाकर उसे समझाया।


वह कुछ दिन तक तो ठीक रहा लेकिन फिर उसने वही हरकतें शुरू कर दीं। बात फिर जॉर्ज तक पहुंची। इस बार जॉर्ज ने उसे सोने का एक सिक्का दिखाते हुए कहा- आज अगर दिन भर तुम शांत रहोगे और सबसे ढंग से पेश आओगे तो यह सिक्का शाम को तुम्हारा हो जाएगा। सारे नौकर इसका मजा लेने लगे।
वे दिन भर निकोलस को किसी न किसी बहाने उकसाते रहे ताकि वह संयम खो दे। पर निकोलस ने अपने ऊपर नियंत्रण कर लिया था। वह किसी संत की तरह अपने में खोया चुपचाप काम करता रहा। बीच-बीच में वह मुस्करा देता था। सब आश्चर्य से उसे देख रहे थे। वे इस बात पर विचार कर रहे थे कि जॉर्ज का यह तरीका कारगर होगा कि नहीं। शाम हुई तो जॉर्ज ने निकोलस को बुलाया और उसे धन्यवाद दिया। फिर वह सिक्का उसे सौंपते हुए कहा- तुमने सोने के एक सिक्के के लिए आज दिन भर के लिए अपने ऊपर अद्भुत नियंत्रण कर लिया। क्या तुम ईश्वर के लिए अपना पूरा जीवन सोने जैसा नहीं बना सकते। यह बात निकोलस को समझ में आ गई। वह उस दिन से सुधर गया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 31-12-2012, 10:57 PM   #257
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

बेटी की सीख
जंगल में भटका कोई भी यात्री पुन्नाग से बचकर नहीं निकल सकता था। वह अपराध का पर्याय बन गया था। भटका हुआ यात्री अनायास ही उसके चंगुल में आ फंसता। पुन्नाग उसकी सारी संपत्ति लेकर ही उसे छोड़ता था। पैसे ले लेता, तो कोई बात न थी, वह मार-पीट भी करता था। उसकी पुत्री विपाशा उससे सवाल करती – आप इतनी सारी संपत्ति, वस्त्र, आभूषण कहां से लाते हैं?’ पुन्नाग कुछ न बोलता पर यह प्रश्न पुन्नाग को झकझोर देता था। वह समझ नहीं पाता था कि पुत्री को क्या जवाब दे। एक अपराध बोध उसे घेर लेता था।


धीरे-धीरे विपाशा सब जान गई कि यह सब कहां से आता है। एक दिन वह अकेली थी। उसे अपना पालतू नन्हा हिरण मयंक कहीं दिखाई नहीं पड़ा। खोजती हुई वह उपवन में पहुंची। देखा कि मयंक दर्द के साथ लंगड़ा रहा है। छलांग लगाते समय उसकी टांग टूट गई थी। मातृविहीन विपाशा ने पहली बार पीड़ा देखी थी। पैर की हड्डी टूटने से क्या होता है, यह जानने के लिए विपाशा ने पत्थर हाथ में लिया और अपने पैर पर दे मारा। विपाशा दर्द से छटपटाने लगी। अब उसे मयंक की पीड़ा का बोध हुआ। बहुत देर तक दोनों एक दूसरे की पीड़ा बांटते रहे। शाम हो गई। पीड़ा में भी वहीं नींद आ गई। पुन्नाग इस बीच घर आया तो देखा वह नहीं थी। वह उपवन की ओर भागा। देखा, दोनों एक दूसरे को बांहों में लिए पड़े हैं। बेटी ने पिता की आवाज अर्द्धनिद्रा में सुनी। उठने की कोशिश की तो फिर गिर गई। बोली, ‘पिताजी! आप दूसरों को पीड़ा देते हैं तो कैसी तकलीफ होती है, यह जानना था।’ इतना बोलकर वह मूर्छित हो गई। पुन्नाग को गहरा झटका लगा। उस दिन से उसने सारे गलत काम छोड़ दिए। उसने शेष जीवन पीड़ित मानवता की सेवा में लगा दिया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 31-12-2012, 10:59 PM   #258
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

मदद का तरीका
एक दिन यूरोप के महान विद्वान दिदरो के पास एक युवकआया और बोला - मैंने एक किताब लिखी है। मैं चाहता हूं किछपने के पहले आप उसे एक बार देख लें और अपनी प्रतिक्रियामुझे बताएं। दिदरो ने उसे अगले दिन आने के लिए कहा।

दूसरे दिन जब वह लेखक आया तो दिदरो ने कहा - मुझे बड़ीखुशी है कि तुमने मुझे लक्ष्य करके अपनी पुस्तक में मेरा खूबमजाक उड़ाया है और मुझे बहुत गालियां दी हैं। लेकिन जरायह तो बताओ कि इससे तुम्हें क्या लाभ है ?

युवक बोला - कोई प्रकाशक मेरी किताब छापने के लिए तैयारनहीं हो रहा था। मुझे मालूम है कि आपके अनेक दुश्मन हैं औरयदि मैं आपका मजाक उड़ाने वाली पुस्तक लिखूं तो मुझे अच्छा पैसा मिल सकता है।

दिदरो ने कहा - यह तुमने बहुत ही बढ़िया किया है। एक काम और करो। यह पुस्तक छपाने के लिए तुम्हें पैसेचाहिए। उसका एक उपाय है। एक व्यक्ति से धर्म को लेकर मेरा गहरा मतभेद है। तुम यह पुस्तक उसे समर्पित करदो। वह प्रसन्न होकर तुम्हें अवश्य ही आर्थिक सहयोग करेगा। तुम उसके नाम एक शानदार समर्पण पत्र लिखो।

युवक ने कहा - मुझे समर्पण पत्र लिखना नहीं आता।

दिदरो ने कहा - मैं ही तुम्हें अच्छा समर्पण पत्र लिख देता हूं। उन्होंने उसी समय समर्पण पत्र लिखकर युवक को देदिया जिससे युवक का कार्य आसान हो गया।

युवक की किताब वाकई बहुत चर्चित हुई। युवक दिदरो से मिलने आया और बोला - आप महान हैं , आपने खुदकी कीमत पर मेरी मदद की। वह दिदरो का शिष्य बन गया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 31-12-2012, 11:01 PM   #259
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

सेवा का संदेश
ईश्वरचंद्र विद्यासागर सच्चे मानवतावादी थे। वे समाज केहर वर्ग के प्रति समान भाव रखते थे। उनके घर में घरेलूकामकाज के लिए एक नौकर था। विद्यासागर उसके प्रतिकाफी स्नेह रखते थे और उसके साथ बिल्कुल अपने परिवार केसदस्य की तरह ही व्यवहार करते थे। एक दिन वह अपनेमकान की सीढ़ियों से उतर रहे थे कि उन्होंने देखा उनकानौकर सीढि़यों पर ही सो रहा है और उसके हाथ में एक पत्र है।

विद्यासागर ने धीरे से उसके हाथ से पत्र निकालकर पढ़ा तोउन्हें पता चला कि उसके घर से कोई दुखद समाचार आयाथा। विद्यासागर ने देखा कि नौकर के चेहरे पर आंसू की एकलकीर थी , शायद वह रोते - रोते सो गया था। वह जल्दी सेहाथ वाला पंखा लाकर उसे झलने लगे ताकि नौकर आराम से सो सके। उसी समय उनका एक मित्र वहां आया।यह दृश्य देखकर वह चकित होकर बोला - आप तो हद कर रहे है। सात - आठ रुपए की पगार वाले नौकर कीसेवा में लगे हैं।

विद्यासागर ने कहा - मेरे पिताजी भी सात - आठ रुपए मासिक ही पाते थे। मुझे याद है , एक दिन वह चलते -चलते सड़क पर अचेत हो गए थे तब एक राहगीर ने पानी पिलाकर उनकी सेवा की थी। अपने इस नौकर में मैंअपने स्वर्गीय पिता की वही छवि देख रहा हूं। यह दुनिया तभी बेहतर ढंग से चल पाएगी जब हर व्यक्ति एक -दूसरे को अपना समझे और उसकी सहायता करे। समान रूप से सभी के लिए स्नेहमय व्यवहार ही व्यक्ति कीउदारता और बड़प्पन को रेखांकित करता है। विद्यासागर का मित्र उनके प्रति नतमस्तक हो गया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Old 04-01-2013, 11:40 AM   #260
vijaysr76
Member
 
Join Date: May 2011
Posts: 77
Rep Power: 14
vijaysr76 will become famous soon enoughvijaysr76 will become famous soon enough
Default Re: छोटी मगर शानदार कहानियाँ

संकल्प




एक बार नानक काशी के पास एक गांव में प्रवचन कर रहे थे। प्रवचन के बीच में उन्होंने कहा , सफलता के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आशावादी होना चाहिए।प्रवचन खत्म होने के बाद एक भक्त ने पूछा , गुरु जी ,क्या किसी चीज की आशा करना ही सफलता की कुंजी है। नानक ने कहा , नहीं , केवल आशा करने से कुछ नहीं मिलता। मगर आशा रखने वाला मनुष्य ही कर्मशील होता है। लेकिन उस आदमी की समझ में ये बातें नहीं आरही थी। उसने कहा , गुरु जी , आप की गूढ़ बातें मेरी समझ में नहीं आ रही हैं। उस समय खेतों में गेहूं की कटाई हो रही थी। तेज गर्मी पड़ रही थी। नानक ने कहा , चलो मेरे साथ। तुम्हारे प्रश्न का जवाब वहीं दूंगा।


नानक उस आदमी को अपने साथ लेकर खेतों की तरफ चले गए। उन्होंने देखा कि एक खेत में दो भाई गेहूं की कटाई कर रहे थे। बड़ा भाई तेजी से कटाई करता आगे था दूसरा भाई पीछे था। नानक उसआदमी के साथ वहीं एक आम के पेड़ के नीचे बैठ गए। दोपहर हो गई थी। छोटा भाई बोला , भइया , आज तो पूरी कटाई हो नहीं पाएगी। अभी बहुत बाकी है , कल सुबह आकर काट लेंगे। बड़े भाई ने कहा , अब ज्यादा कहां बचा है। देखता नहीं , थोड़ा ही तो रह गया है। इन दो कतारों को काट लेंगे तो बाकी बारह कतारें रह जाएगी। इतना तो आराम से काट लेंगे। कल पर क्यों टालता है। बड़े भाई की बात सुन कर छोटा भाई जोश में आ गया और उसका हाथ भी तेजी से चलने लगा। थोड़ी देर में पूरा खेत कट गया। खेत कटने के बाद नानक वहां से चलने लगे तो भक्त ने कहा , मेरे प्रश्न का उत्तर तो शेष है। नानक ने कहा , तुम्हारे प्रश्न का जवाब तो उन दोनों भाइयों ने दे दिया जो खेत में गेहूं काट रहे थे। बड़ा भाई आशावादी था , तभी तो कटाई पूरी हुई। भक्त को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया।
vijaysr76 is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
hindi forum, hindi stories, short hindi stories, short stories


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:42 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.