25-01-2014, 01:33 PM | #181 |
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Re: इधर-उधर से
हाचिको की वफ़ादारी जापानी कुत्ते Hachikō की वफादारी का किस्सा दुनिया भर में मशहूर है। वह रोजाना अपने मालिक के साथ रेलवे स्टेशन जाता था और शाम को मालिक की ट्रेन के आने के समय वह फिर से अपने आप स्टेशन पहुँच जाता था और मालिक के साथ ही घर लौटता था। एक बार सुबह मालिक गया तो पर शाम को वापिस नहीं आया। अपने मालिक से अथाह प्रेम के कारण Hachikō बरसों स्टेशन पर नियत उस वक्त आकर इंतजार करता जब उसके मालिक की ट्रेन के आने का वक्त होता था। मालिक तो मर चुका था सो उसे आना न था पर अपने जीवन रहते Hachikō ने स्टेशन पर आकर इंतजार करना न छोड़ा। इंतजार का यह सिलसिला खत्म हुआ मालिक के मरने के लगभग नौ बरसों के बाद Hachikō की मौत के साथ। किताबें छपी हैं Hachikō की स्वामिभक्ति की प्रशंसा में। जापान से लेकर हॉलीवुड तक फिल्में बनी हैं उसकी विशिष्ट वफादारी के विषय में। उसका जीवन अब दंत कथाओं का हिस्सा बन चुका है।(हमारी फोरम के प्रबुद्ध सदस्य श्री जय भारद्वाज ने भी अपने एक सूत्र में इस बारे में ज़िक्र किया था)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
25-01-2014, 03:54 PM | #182 |
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Re: इधर-उधर से
गौ-हत्या जुर्म में रेल इंजन को फाँसी
बीरगंज नेपाल का एक प्रमुख औद्योगिक एवम् व्यापारिक नगर है जो भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है. इसे “गेट वे ऑफ़ नेपाल” भी कहा जाता है. यह नगर दक्षिणी नेपाल के परसा जिला, नारायणी अंचल में पड़ता है. इधर भारत का सीमान्त नगर रक्सौल है जो जिला चंपारण, उत्तर प्रदेश में स्थित है. सन 1967-68 में मैं पहली बार बीरगंज गया था. मेरे बड़े भाई उन दिनों वहीँ रहते थे और एक कत्था मिल में इंजीनियर थे. वहीँ पर सुनी हुयी एक विचित्र घटना मैं आपको सुनाता हूँ. बीरगंज में आजकल ट्रेन नहीं चलती. लेकिन एक समय ऐसा भी था (लगभग 60 वर्ष पहले) जब वहां से करीब 54 कि.मी. उत्तर में स्थित हिटौड़ा नगर तक ट्रेन चला करती थी. कहा जाता है कि इस ट्रेन की चपेट में आ कर एक गाय की मौत हो गयी. हाहाकार मच गया. ट्रेन के नीचे आ कर गाय मर गई. नेपाल एक कट्टर हिन्दू राष्ट्र था (और आज भी माना जाता है), सो गाय के इस प्रकार मारे जाने को बड़ा गंभीर अपराध माना जा रहा था. शहर में गौ-हत्या के विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गये. अंत में पुलिस ने केस दर्ज किया, गौ हत्या का मुकद्दमा चला और दोषी को सजा भी दी गयी. मगर दोषी था कौन? दोषी था उस रेलगाड़ी का भाप वाला इंजन जिसके नीचे आ कर गाय कट मरी थी. गौ हत्या एक गंभीर अपराध था अतः इसकी सजा भी गंभीर थी – फाँसी. जी हाँ, फाँसी. रेलगाड़ी के उस इंजन को फाँसी की सजा मिली. तो दोस्तों, गौ हत्या के अपराध में उस रेल इंजन को फाँसी पर लटका दिया गया. इसी के साथ बीरगंज से हिटौड़ा तक चलने वाली ट्रेन बंद हो गयी. हिटौड़ा का ज़िक्र चला है तो मैं आपको यह बता दूँ कि उन दिनों हिटौड़ा से काठमांडू तक एक रोप-वे बनाया गया था जिसकी सहायता से व्यापारिक सामान भेजा जाता था या मंगवाया जाता था. हाँ, भारी सामान या मशीनरी तो सड़क के रास्ते से ही भेजी जाती थी. नजीबाबाद से नेपाल यात्रा के दौरान (जो लखनऊ, गोरखपुर, सुगौली और रक्सौल होते हुये संपन्न हुई) एक विशेष बात और थी जो मुझे आज भी अच्छी तरह याद है. उर्दू भाषा का जो कुछ भी ज्ञान मैंने प्राप्त किया स्वयं अपने घर पर व अपने यत्नों से ही प्राप्त किया. लम्बी यात्रा थी. अतः मैंने कुछ पुस्तकें भी साथ रख लीं. इनमें उर्दू की भी एक पुस्तक थी. उन दिनों ‘जासूसी दुनिया’ नाम की एक पत्रिका हिंदी और उर्दू में मासिक आधार पर निकलती थी जिसमे उन दिनों के जासूसी उपन्यासों के प्रसिद्ध लेखक इब्ने सफ़ी बी.ए. हर बार एक नया रहस्य खोलते थे. प्रसंगवश बता दूँ कि उर्दू संस्करण में मुख्य पात्र थे कर्नल फरीदी और हिंदी में उसकी जगह कर्नल विनोद होते थे. तो इस यात्रा के दौरान मैंने अपने जीवन में पहली (और आखरी) बार उर्दू की एक समूची किताब यानी जासूसी दुनिया में छपा पूरा उपन्यास पढ़ा था. हाँ, उर्दू शायरी तथा उर्दू के अफ़साने बीच बीच में अवश्य पढ़ता रहा.
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10-02-2014, 03:45 PM | #183 |
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Re: इधर-उधर से
बात कैसे कही जाए?
एक अँधा व्यक्ति एक बड़ी सी हवेली के बाहर बैठ कर भीख मांग रहा था. उसने अपने सामने एक तख्ती रखी हुयी थी जिस पर लिखा था “मैं अँधा हूँ, कृपया मेरी मदद करें” दोपहर ख़तम होने वाली थी और उसके कटोरे में कुछ ही सिक्के जमा हुये थे. तभी वहां से एक सज्जन गुजरे. उन्होंने तख्ती पर लिखे हुये शब्द पढ़े. उसने उन शब्दों को मिटा कर उनकी जगह कुछ और लिख दिया और वहां से चला गया. शाम को वह व्यक्ति पुनः वहां से गुजरा. उसने देखा कि अब भिखारी के कटोरे में काफी सिक्के जमा हो गये थे. भिखारी भी उसके क़दमों की आहट से उसे पहचान गया. भिखारी ने उससे पूछा कि तुमने तख्ती पर क्या लिखा था. उस सज्जन ने कहा, “कुछ ख़ास नहीं. तुम्हारी बात को ही मैंने दूसरे शब्दों में व्यक्त किया था. मैंने लिखा था – आज से बसंत शुरू हो गया है, लेकिन मैं इसे देख नहीं सकता.
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12-02-2014, 11:24 PM | #184 |
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Re: इधर-उधर से
कड़वे वचन
(जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज) भ्रष्टाचार का अंत मैंने सुना है कि अमरीका, रूस और भारत के राष्ट्रपति जा कर भगवान से मिले. सबसे पहले अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने भगवान से पूछा: प्रभु मेरे देश से भ्रष्टाचार कब खत्म होगा? भगवान बोले: पूरे साठ साल बाद. यह सुन कर बुश की आँखों में आंसू आ गये क्योंकि उन अच्छे दिनों को देखने के लिये वे जीवित नहीं रहेंगे. फिर पुतिन ने यही प्रश्न भगवान से पूछा. भगवान ने कहा: पचास साल बाद. जवाब सुन कर पुतिन की आँखों में भी आंसू भर आये. उसके आंसुओं का कारण भी वही था. अंत में डॉ. अब्दुल कलाम ने भगवान से पूछा: प्रभो, मेरे देश से भष्टाचार कब खत्म होगा? उनकी बात सुन कर खुद भगवान की आँखों में आंसू आ गये.
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12-02-2014, 11:26 PM | #185 |
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Re: इधर-उधर से
कड़वे वचन (जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज) ज्यादा पैसा, जल्दी पैसा और किसी भी तरीके से पैसा आना चाहिये. ये तीनों ही अंततः दुःख का कारण बनते हैं. पैसे को प्यार करो, लेकिन सिर्फ उसी ऐसे को जो आपने ईमानदारी से कमाया हो. जीवन में खूब पैसा कमाओ लेकिन अपनी सेहत को दांव पर लगा कर नहीं. क्योंकि पहला सुख – निरोगी काया. जीवन में यदि सब प्रकार की सुख-सुविधाएं हों मगर अच्छी सेहत न हो तो उन सुख-सुविधाओं का क्या औचित्य है. मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि वह पहले पैसा कमाने के लिये शरीर बिगाड़ता है और फिर शरीर सुधारने के लिये पैसा बिगाड़ता है.
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12-02-2014, 11:28 PM | #186 |
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Re: इधर-उधर से
कड़वे वचन (जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज) अमीर वह नहीं जिसके पास अथाह धन-संपत्ति है बल्कि वह है जिसके पास अपने मान-बाप की सेवा करने के लिये समय है. अमीर वह नहीं जो रोज हजारों-लाखों में खेलता है बल्कि वह है जो बच्चों में बच्चा हो कर खेल सकता है. अमीर वह नहीं जो आलीशान बंगले में डनलप के गद्दे के ऊपर सोता है, बल्कि वह है जिसे रात में सोने के लिये नींद की गोली न खानी पड़े और सुबह उठने के लिये अलार्म लगाने की जरुरत न पड़े. जो संतुष्ट है, वही अमीर है. जिसकी पत्नी सुशील है और बच्चे आज्ञाकारी हैं, वह अमीर है. जो सेहतमंद है और अक्लमंद है, वह अमीर है.
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12-02-2014, 11:34 PM | #187 |
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Re: इधर-उधर से
ग़ज़ल
(कवि: सर्वेश्वरदयाल सक्सेना) क्या गजब का देश है
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13-02-2014, 11:41 PM | #188 |
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Re: इधर-उधर से
युग की उदासी
रचना: डॉ. हरिवंशराय बच्चन अकारण ही मैं नही उदास
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15-02-2014, 12:45 PM | #189 |
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Re: इधर-उधर से
रेमेदिओस
साभार: कवि महेश वर्मा
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15-02-2014, 04:53 PM | #190 | |
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Re: इधर-उधर से
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अतिसुन्दर...........
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