My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 30-06-2015, 11:41 PM   #1
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १



बचपन के दिनों मे मैने लुगदी साहित्य बहूत पढा है। चंपक, चंदामामा, लोटपोट और चाचा चौधरी का दिवाना तो मै था ही...लेकिन फिर नोवेल पढने को बहुत जी चाहने लगा। पापा ने कहा की उपर छज्जे पर शायद कोई नोवेल पड़ी हो। मै उसी दिन नोवेल ढुंढने चडा और एक नोवेल मिली।

उसका कवर पेज नहीं था, लेखक का नाम भी गुम था, टाईटल भी पता नहीं चला। लेकिन एक बार बीच वाले पन्नों पर कहीं नीचे नाम छपा था शायद वही उस नोवल का नाम था...कहानी के साथ भी मिल रहा था। वह नाम फिर मै कभी नहीं भुला... "आरोप"

वह दिन था और आज का दिन है। मुझे आज भी वह नोवेल बह्त ही ज्यादा पसंद है। मैने संभाल कर रखी है।

उसे पढने के बाद मुझे लगा की पहली/एक नोवेल पढने में ही ईतना मझा आया है तो आगे क्या होगा? ईस उम्मीद में मैने कई अच्छी-बुरी नोवेल भाडे से मंगवा कर पढी। लेकिन सालों बितने के बाद एक ही नोवेल एसी लगी जो फिर से दिल को छु गई...उसके लिए दुसरा सुत्र बनाउंगा!

Last edited by Deep_; 05-08-2016 at 12:05 PM.
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 01-07-2015, 12:12 AM   #2
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १



कल रात मैं जागते हुए फिल्में बनाने के सपने देख रहा था। मैने जैसे ही अनुराग कश्यप के ओफिस पहूंचा उन्हों ने मुझे सिर्फ पांच मिनिट दिए। तिग्मांशु धुलिया भी वहां बैठे थे।
मैने बिना कुछ कहे अपने मैले थैले से झेरोक्ष कोपी रख दी।
"सर, बचपन से यह नोवेल पढ रहा हुं...ईसी कहानी पर फिल्म बनाना चाहता हुं।"

अनुराग को कई लोग मिलने आतें होंगे। हीरो-हीरोईन, एकस्ट्रा, डान्सर, आसिस्टन्ट्स डिरेक्टर वगैरह बनने की ख्वाहिश में। कई सो लोग। वह मुझमें दिलचस्पी क्युं लेते फिर?
"मेर पास पांच मिनिट है तुम्हारे लिए।" अनुराग ने सिगरेट का कश लेते हुए कहा था।
"मै सिर्फ दो मिनट लुंगा सर। " मैने उनकी दिलचस्पी जीतेने के लिए यह डाईलोग बोल गया। "मुझे जो कहना है मै पहले से ईस नोवल के कवर पर शोर्ट में लिख कर लाया हुं। अगर आप ही ईस पर से एक फिल्म बना लेंगे तो मज़ा आ जाएआ। "

ईस मजा शब्द पर अनुराग शायद भडका। "मैं मज़े करने के लिए फिल्में नहीं बनाता हुं दीप...या जो भी नाम है। "
"मै अपने मज़े की बात नहीं कर रहा था सर" मै धीमे से फुसफुसाया।
"क्या?" अनुराग फिर भडका।
"मै एक क्रिएटर के मज़े की बात कर रहा था। क्रिएटर जैसे सैसे अपनी रचना...."
"ठीक है ठीक है...तुम्हारे दो मिनिट खत्म हुए?" तिग्मांशु। उसे बाहर बैठे और भी लोग निपटाने थे।
"एक मिनट ही बाकी है।" मैने नजर अपनी कलाई घडी पर जमा दी।

"मेरे पास यह कहानी है। जैसे आप कोई मास्टर पीस बनाना चाहते हो, मै भी एक मास्टर पीस बनाना चाहता हुं। मुझे कोई अनुभव तो नहीं लेकिन अगर एक अच्छा कैमेरामेन और एक लाईटमैन दे दें....तो.....तो मैं ईस कुर्सी से भी एक्टींग करवा सकता हुं। "

"आगे बोलो। " अनुराग बोले, "खत्म करो अब।"

" देखिए यह कहानी मैं यहां छोड कर जाउंगा। ईस के कवर पर मैने लिखा है की अगर आपने यह नोवेल के पंद्रह-बीस पन्ने भी पढ लिए तो आप ईसे पुरी करने पर मजबुर हो जाएंगे। आप ढाई-तीन घंटे पढ कर पुरा के बाद आप सोचेंगे की ईस पर से फिल्म तो बननी ही चाहिए।" मेरी नजर अभी भी घडी पर थी।

"मेरे सिर्फ तीस सेकंड्स बाकी है...आपके वह तीन घंटे मै बचा सकता हुं, सिर्फ दस मिनिट ओर ले कर। मै शोर्ट में आपको कहानी सुना देता हुं" मैं घडी देख बोले जा रहा था।""

"दस, नौ, आठ..सात...जल्दी किजिए सर!!!" मै जाने के लिए थैला समेटने लगा।

"अच्छा सुना दो भई! कहानी सुना दो...दस मिनिट ओर सही। " अनुराग ने कह तो दिया लेकिन तिग्मांशु खफा सा नज़र आने लगा।

"ग्रेट!" मै जेब से एक चॉक निकाल कर टेबल बांई और एक सिक्के सा गोल बनाया.....यह है सत्यप्रकाश...

वे दोनो मेरी कहानी सुनने लगे। मेरे पास सिर्फ दस मिनिट थे।


(तो यह था मेरा दिवास्वप्न...आगे सच मैं मै आरोप की कहानी संक्षेप मैं बता रहा हुं!)
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 01-07-2015, 01:05 AM   #3
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १

सत्यप्रकाश बहुत खुश है क्युं की उनका बेटा नवीन पुरे राज्य में टॉप आया है। वह उसे उसी साबुन की कंपनी में लगाना चाहतें है जहां वे खुद सालों से काम करतें है। बहुत ही बडी कंपनी है। सत्यप्रकाश के पास गाडी है, अच्छा घर है। नवीन के अलावा उसके एक बहन मोहीनी भी है, जिसकी शादी आजकल में ही तय हुई है। उनकी पत्नी यशोदा भी बहुत खुश लग रहीं थी।

वे नवीन को ले कर के अपनी कंपनी में गए। जिसे अब बडे मालिक का बेटा राजपाल चला रहा था। वह बडे सलिके से उन्हें मना कर देता है, यह कह कर की सिफारीश से नौकरी देना उसके उसुलों के खिलाफ है। वें चाहे तो डाक अप्लाय करें। योग्य उमीदवार को जरुर जोब मिलेगी।

ईस पर निराश नवीन अपने पिता के साथ गाडी में घर लोट रहा था। रास्ते में कुछ काम होने के कारण वह गाडी से उतर गया। सत्यप्रकाश आगे निकल गए। नवीन युं ही जब चलता जा रहा था उसे एक खुबसुरत लडकी ने रोक लिया। किसी वहां दुर खडी एक गरीब औरत की मदद करने को कहा जिसे पैसों की जरुरत थी। कुछ ओर सहेलींया भी सब से मदद मांग रही थी। नवीन पांच रुपये दे कर चल पडता है ।

तभी कुछ लोगों ने उसे रास्ते में घेर लिया, थोडा मारा पीटा और गाडी में डाल कर ले जाने लगे। यह देख एक पुलिस जीप पीछे पडे। ईस पर नवीन खुद बुला के बडी मुश्केल से लिफ्ट मिली है! यह सब मेरे मित्र ही है और मेरे फर्स्ट आने की पार्टी मांग रहे थे, मै ईन दिनों गायब रहा ईस लिए मुझेमार रहे थे!

वे सभी सिनेमाघर पहुंचे। सभी मित्रों ने पी रखी थी सो नवीन टिकट लेने गया। वहां क्यू में वही लडकी जो पैसे जमा कर रही थी...खडी थी। वे सभी लडकीयां फिल्म देखने आई थी। उनकी बातों पर से नवीन जान जाता है की वे सब नाटक कर रहीं थी। वह जब उन पर गुस्सा होता है तो वह लडकी उल्टा नवीन को ही फंसा देती है। पब्लिक नवीन को मारने लगती है, नवीन भाग निकलता है।

दुसरी सुबह जब वह उठता है बाथरुम में नहा रहा होता है उसे वही आवाज सुनाई देती है। ईस बार वह अनाथआश्रम के नाम पर चंदा मांग रही थी। जब तक नवीन निलके वह जा चूकी थी। नवीन का गुस्सा ओर भी बढ जाता है।


Last edited by Deep_; 07-08-2016 at 10:26 AM.
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 01-07-2015, 01:06 AM   #4
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १

राजपाल विदेश में पढ लिख कर आया है। उसको उसके पिता समजाते है की कैसे सत्यप्रकाश पहेले से कंपनी से जुडे हुए है। कैसे सिर्फ दो लोगो ने ही साबुन की फैक्टरी लगाई और बिझनस बढाया।

------

नवीन को वह लडकी एक दुकान में मिल गई। जहां वह साडी खरीद रही थी लेकिन थोडे पैसे कम पड रहे थे। वह लडकी अपनी कडकी दुकानदार से छुपाना चाहती थी । नवीन ने एसे बात की के जैसे उसका पति हो और अपने पचास-सो रुपये जोड कर वस साडी खरीद ली। और खुद ही वह पैकेट उठा कर चलने लगा। वह लडकी मजबुरन पीछे चल पडी।

रोड पर आने तक वह शांत रही। फिर उसने नवीन को चिल्लाने की धमकी दी। नवीन ने कहा की वह द्कानवाला जानता है की हम पतिपत्नी है। तुम भी वहं पत्नी जैसी बातें कर रही थी। चिल्लाओ तुम, कोई फर्क नहीं पडेगा।

ईस तरफ फंसे जाने पर लडकी ने हार मान ली। सोरी कह दिया। नवीन ने उसे चाय पीने की शर्त पर साडी लौटाने का वादा किया।

दोनो रेस्टोरंट में बैठे थे। लडकीने अपना नाम बताया...कमलेश। (पहली और आखरी बार यह नाम नारी जाति के लिए पढा!) वह चाप भी नहीं पी रही थी और उदास भी थी। नवीन के पुछने पर बताया की कैसे उसके घर में प्रोब्लेम्स चल रहें है। सौतेली मां पैसे नहीं दे रही। फिल्म और खाने जैसे छोटी ईच्छाएं पुरी करने के लिए अगर वह यह सब कर ले तो कोन सी मुसीबत आ सकती है?

नवीन उसके आंसु देख कर पिघल जाता है। साडी लौटा देता है। फिर से मिलने को पुछने पर कमलेश मान जाती है।

---------
राजपाल के पिता अपनी तबियत को ले कर कंपनी में नहीं आ रहें है। क्युं की उसके सत्यप्रकाश के रहेते वह कंपनी में मनमानी नहीं कर सकता, वह किसी तरह सत्यप्रकाश को निकलवाना चाहता है।

ईस के लिए वह अपने मेनेजर कौशिक की मदद् लेता है। कुछ पांच हजार (नोवेल १९८० से पुरानी है।) वह सत्यप्रकाश के लिए निकालता है।

---------

मेनेजर कौशिक के घर राजपाल बैठा होता है। वह उसकी बेटी कमलेश से अत्यंत प्रभावित होता है। कौशिक ने शादी की लालच दे कर किसी तरह राजपाल का एक बंगलो अपनी बेटी के नाम करवा लेता है। फिर सभी उस बंगलो रहने के लिए जातें है। रास्ते में कुछ ज्वेलरी भी खरीदी जाती है। कमलेश भी बडी होशियारी से राजपाल को उल्लु बना रही होती है।

-------
उसी दिन बीच पर नवीन कमलेश की राह देख रहा होता है और कमलेश राजपाल के साथ वहां से निकलती है। नवीन को देख वह ठीठकती है लेकिन संभल कर निकल जाती है। नवीन को बुरा लगता है लेकिन क्या करे?!
-------
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 01-07-2015, 01:27 AM   #5
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १

कुछ अरसे बाद मोहीनी की शादी का अवसर आता है। शादी के दौरान पुलीस आ धमकती है । तलाशी में घर से वह पांच हजार पाए जातें है। जिसे शायद कौशिक ने रखें होंगे। ईस पर सत्यप्रकाश के समधी भडक उठतें है। वे शादी तोडना चाहतें है। ईस सीन बहुत अच्छी तरह लिखा गया है।

मोहीनी के फेरे तो पुरी हो ही चुके थे, सो उसका पति मोहीनी का पक्ष लेता है। सत्यप्रकाश के समधी के पास अब कोई ओर मोका नहीं है। वे मजबुरन दुल्हन ले तो जातें है लेकिन यह कह कर के वह अब वापस अपने पिता के घर कभी नहीं लौटेगी!

फिर सत्यप्रकाश को पुलिस ले जाती है, उसकी पत्नी यशोदा बेहोश हो कर गीर जाती है। नवीन उनको संभालता है।

यकायक पुरा हंसता खेलता परिवार जैसे की निराधार हो जाता है।

--------------

मां के सरकारी अस्पताल में भर्ती है। पिता पर कोर्ट में केस चल रहा है। नवीन अकेला पड़ जाता है। उसके पक्के यार दोस्त कोई भी साथ नहीं होता। सत्यप्रकाश को छह महिने की जेल हो जाती है। नवीन तुट जाता है। सत्यप्रकाश को बचाने के लिए, मां के अस्पताल के खर्चे निकालने के लिए वह अपना घर वगैरह बेच चुका होता है।

दो दिन जैसे तैसे बित जातें है । तीसरे दीन सत्यप्रकाश से जेल में मिलने पर वह बताते है की नौकरी की आस छोड कर बिझनस करना चाहिए। वह अपने साबुन का पुराना फौर्मुला नवीन को देतें है।

नवीन के पास अब कुछ भी नहीं था। छत तक नहीं थी। भुखाप्यासा वह दोस्तों से मदद मांगने जाता है। उसे सिर्फ उस बिझनस में बहुत छोटा दस-पंद्रह हजार का ईन्वेस्टमेन्ट चाहिए। लेकिन सभी उसे मना कर देतें है, या बहाना बना देतें है।

नल का पानी पी कर नवीन बीच पर बैठा होता है। निराशाओं में लिपटा हुआ। वहां अचानक कमलेश से उसका सामना है। वह उससे नजर बचा कर निकलना तो चाह्ता है लेकिन कमलेश उसे पहचान लेती है।

नवीन को कमलेश से नफरत तो हो ही चूकी होती है। वह मुंह फेर के चलना चाहता है लेकिन चक्कर खा कर बेहोश हो जाता है।

यह मानो कहानी का ईन्टरवल है। अब तक जो चला आ रहा है वह निराशा का भंवर जलद ही खत्म होगा!

(मेरी कहानी कहने की स्पीड थोडी कम है। अनुराग और तिग्मांशु ईस दौरान दो बार दस दस मिनट का टाईम बढ चुके है। उन्हे कहानी भा गई है!)

Last edited by Deep_; 01-07-2015 at 08:57 PM.
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 01-07-2015, 10:28 AM   #6
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १

कहानी बहुत रोचक है. आप स्पीड की चिंता बिलकुल न करें, दीप जी. मेरी reading speed भी इससे मिलती जुलती है. आप इत्मीनान से अपनी कहानी सुनायें. हमने अनुराग और तिग्मांशु की कुर्सी की सीट पर फेविकोल लगा दिया है. कोई दिक्कत नहीं है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 02-07-2015, 11:33 PM   #7
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १


जब नवीन को होश आता है, वह एक बड़े से बंगले में एक सोफे पर बंधा हुआ होता है। सामने की दिवार पर राजपाल की तसवीर देख कर नवीन को मालुम होता है की वह राजपाल का ही बंगला है। कमलेश यह जान कर की राजपाल नवीन का दुश्मन है, नवीन को धमकाती है की वह पुरी कहानी बताए वरना वह नवीन को पुलिस को सोंप देगी या राजपाल को बुला लेगी।

नवीन मजबुर अपनी सारी कहानी बताता है। कमलेश भी उसे अपनी सच्चाई बताती है की कैसे वह और उसके घरवालों ने राजपाल को झांसे में डाल कर यह बंगला हडप कर लिया है।

वह यह भी बताती है की अगर नवीन भी चालाक होता तो वह भी एसे ही किसी बंगले का मालिक होता। जिस हालात में अभी वह है वह हालात कभी न आते।

उस ने कहा की जब उसकी मां अस्पताल से छूटेगी तो उसे वह कहां ले जाएगा? उसके पिता के बारे में क्या बताएगा? उसकी बहन को वापस न मिल पाएगी तो क्या होगा? उसका निजी भविष्य क्या होगा?

ईन सब सवालों का नवीन के पास कोई जवाब न था। वह असमंजस मै गिर गया।

यहां कमलेश उसके सामने एक प्रस्ताव रखती है....

Last edited by Deep_; 07-08-2016 at 10:29 AM.
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 02-07-2015, 11:58 PM   #8
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १

कमलेश नवीन को उसके मां-बाप की सौगंध दे कर (सौगंध? यह शायद उस दौर पर फिल्मी प्रभाव होगा!) मनाती है की वह अब भागेगा नहीं और उसकी बात मानेगा तो वह अपना खोया हुआ सबकुछ वापस पा सकेगा!

नवीन को आश्चर्य हुआ लेकिन उसके सामने ओर कोई चारा न था। कमलेश ने उसे अपने पिता के कपडे दिए, नहाने को शेव करने को कहा। फिर उसको कुछ चाय-नाश्ता बना कर खिलाया।

फिर नवीन को उसने सौ रुपये दिए। उसने कहा की ईसी रुपयों से तुम अपना सब कुछ वापस पा सकोगे! बस उसे कमलेश का कहना मानना था।

कमलेश ने अपने पुराने फ्लेट की चाबी नवीन को दे दी जो फर्निश्ड था और वहां उसके पिता के कई कपडे भी हुआ करते थे।
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 02-07-2015, 11:58 PM   #9
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १

चाल १



दुसरे दिन नवीन उस रेस के मैदान में पहुंचा जहां उसके वैभवी मित्र रेस खेलने के लिए आते थे। वे नवीन को देख कर हक्का बक्का रह गए। किसी ने उसे परसों ही फटेहाल बीच पर देखा था...और आज यह रंगत?

नवीन एसे दिखाने लगा की वह उन मित्रों को पहेचानता ही नही। उसने दरअसल हर एक घोडे पर दस दस रुपये* का दांव लगाया था। रेस खत्म होने पर वह पैसे कलेक्ट करने एसे गया मानो बहुत बडी रकम जीता हो।



ईस पर नवीन के दोस्त भौंचक्के रह गए। रात को नवीन फ्लेट पर आया, कमलेश ने उसे किसी बैंक में पांच रुपए* से एकाउण्ट खोलने को कहा था। नवीन ने पासबुक दिखाई तो उस पर कमलेश ने थोडी सी प्रेक्टिस कर के पांच के पचास हजार लिख दिए। ईस से कोई फ्रोड नहीं करना था बल्के नवीन के दोस्तों को चकमा देना था।

नवीन का उस दीन सुट ले कर वह दुसरा सुट भी दे गई।



(* कहानी पुरानी है!)

Last edited by Deep_; 03-07-2015 at 12:07 AM.
Deep_ is offline   Reply With Quote
Old 03-07-2015, 12:03 AM   #10
Deep_
Moderator
 
Deep_'s Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39
Deep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond reputeDeep_ has a reputation beyond repute
Default Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १

चाल २



दुसरे दिन नवीन फाईव स्टार होटल में ब्रिफकेस लिए आराम से खाना खा रहा था। उसका सुदर्शन नाम का दोस्त वहां होता है। वह उसके असमंजस में आप आप....करके बात करने की शुरुआत करता है। नवीन उसे झाड देता है...यह आप आप क्या लगा रखी है? क्या मैं तेरा बाप लगता हुं?

ईस पर सुदर्शन हैरान हो जाता है। दो तीन-दिन पहले की गरीबी और अब यह कायापलट कैसे हो सकती है? नवीन उसे बताता है वह जब बीच पर था, उसे कुछ स्मग्लर्स मिल गए जिसने उससे हीरों की हेरफेर करवाई। बदले में दस हजार रुपए दिए। एसे ही वह तीन चार दिन काम कर के पचीस हजार रकम कमा गया। कल घोडे की रेस में वह ओर पचीस हजार जीत गया। ईस प्रकार उसके पास कुल पचास हजार रकम आ गई। यह कह कर अपनी पासबुक दिखाई।

पैसो के लालची सुदर्शन को यकीन हो गया की नवीन अब जल्द ही लखपति बननेवाला है। उसने हीरों मे ईन्वेस्ट करने की पैरवी की । नवीन ने पहले झुठमुठ नाटक किया फिर बाद में सुदर्शन से पचास हजार रुपए ले लिए!

शाम को फिर कमलेश आई वह नवीन के पास पचास हजार देख कर बहुत खुश हुई। फिर वह नवीन का उस दीन सुट ले कर दुसरा सुट दे कर गई।


Last edited by Deep_; 07-08-2016 at 10:34 AM.
Deep_ is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
आरोप, aarop, story


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 09:08 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.