28-12-2010, 01:00 PM | #21 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
शान्ति का दान दीजिए......... कृपया शांत रहिये........ जैसे शब्द कई जगह लिखे होते हैं..... कई बार सोचते थे की शांत ही तो हैं. पर ८-१० घंटे घर में बिलकुल एकांत में बैठने पर ये बात समझ आ जाती है. मोबाइल को स्विच ऑफ कर दीजिए...... लैंड लाइन फोन उठा कर रख दीजिए........... सौगंध खाइए ....... की किसी भी स्क्रीन के सामने नहीं बैठेंगे. खुद चाय भी मत बनाइये.......... किताबों को भी शेल्फ में रखी रहने दो.. शांति........ अनंत शान्ति............. सुई भी नहीं गिर रही.......... शमशान के पीछे की शांति से भी ज्यादा खतरनाक........ ज्यादा विभात्सव........ आजमाइए. |
28-12-2010, 01:01 PM | #22 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
खुद को आप कितना भी दार्शनिक समझें – पर ८-१० घंटे दिमाग कि दही करने को बहुत हैं. नहीं रह सकते. हम लोगों की जीवनचर्या........ बिलकुल बदल गयी है. सारा दिन कितने लोगों से घिरे रहते है. कई बार लगता है – नहीं एकांत चाहिए......... पर आज एकांत को हजम नहीं कर पा रहे.
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28-12-2010, 01:03 PM | #23 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
दिन के अंत में २ पैग अंदर जाते ही शांति – भक्ति में तब्दील हो जाती है. परमात्मा साक्षात् उपस्थित हो जाते हैं.
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण - कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम - राम राम हरे हरे” सूफी नृत्य....... तेज और तेज नहीं नहीं |
28-12-2010, 01:04 PM | #24 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
इस्कोन वाले गंजो जैसा नृत्य..........
तेज और तेज “हरे कृष्ण हरे कृष्ण - कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम - राम राम हरे हरे” |
28-12-2010, 01:05 PM | #25 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
आध-पौन घंटे – नहीं शायद एक घंटे............
“हरे कृष्ण हरे कृष्ण - कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम - राम राम हरे हरे” निढाल हो कर – फिर वही शान्ति......................... निश्छल ........ शांत........ वो तख़्त ही तो साक्षी है.............. |
28-12-2010, 01:05 PM | #26 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
दिवार पर लगे चित्र से डैडी देख रहे हैं.......................
कुपुत्र की हरकतों को... शान्ति..... और आंसुओं की वो अविरल धारा....... पता नहीं कब तक........... कब तक......... वही आंसू |
31-01-2011, 03:00 PM | #27 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
ज्योतिष एवं शिक्षा
एक सभ्य, सुसंस्कृत एवं जिम्मेदार नागरिक बनाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका हैं आर्थिक एवं प्रतिस्पर्धा के इस युग मंे उचित एवं सही माध्यम या विषय चयन कर अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं । कोई व्यक्ति कितनी शिक्षा प्राप्त करेगा या उसका पढाई के प्रति क्या रूझान हैं यह जन्म पत्रिका के माध्यम से जाना जा सकता हैं । अधिकांश अभिभावकों एवं विद्यार्थियों की चिंता यह रहती हें कि क्या पढा जाएं ताकि अच्छा केरियर निर्मित हो आज के युग को देखते हुए ज्योतिष के माध्यम से शिक्षा का चयन उपयोगी हो सकता हैं । इस युग में शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त विस्तृत हो गया हैं और बदलते हुए जीवन-मूल्यों के साथ-साथ शिक्षा के उद्धेश्य भी बदल गये हैं। शिक्षा व्यवसाय से जुड़ गई हैं और छात्र-छात्राएं व्यवसाय की तैयारी के रूप में ही इसे ग्रहण करते है। उनके लिए व्यवसायिक भविष्य को उज्ज्वल बनाने की दृष्टि से विषय का चयन करना अत्यन्त समस्यापूर्ण हो गया हैं। इसके अलावा शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश अथवा अच्छा व्यवसाय प्राप्त करने के लिए उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। अतः इस संदर्भ में अन्य तथ्यों को ध्यान में रखने के साथा-साथ असफलता एवं समय की बर्बादी से बचने के लिए ज्योतिष सिद्धान्तों के आधार पर लिया गया निष्कर्ष ही विषय एवं व्यवसाय के चयन में उपयोगी या लाभकारी सिद्ध हो सकता हैं। |
31-01-2011, 03:01 PM | #28 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
प्राचीन काल में शिक्षा का मुख्य उद्धेश्य ज्ञान प्राप्ति होता था । विद्यार्थी किसी योग्य विद्वान के निर्देशन में विभिन्न प्रकार की शिक्षा ग्रहण करते थे । इसके अतिरिक्त उसे शस्त्र संचालन एवं विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाता था । किन्तु वर्तमान समय मंे यह सभी प्रशिक्षण लगभग गौण हो गये । शिक्षा की महत्ता बढ़ने व प्रतिस्पर्धात्मक युग में सजग रहते हुए बालक के बोलने व समझने लगते ही माता-पिता शिक्षा के बारे में चिंतित हो जाते हैं । कुछ वर्षो बाद सबसे बड़ी समस्या यही होती हैं कि कौनसा विषय पढ़ंे जिससे भविष्य सुखमय हो। कैरियर निर्माण हेतु -
1 - सर्वप्रथम जातक के बचपन से ही उसकी कुण्डली विषय की पढाई व केरियर चयन में सहायक होती हैं । 2 - जातक की कुण्डली से तय करना चाहिए कि वह नौकरी करेगा या व्यवसाय । 3 - जातक की 20 से 40 वर्ष की उम्र के बीच की ग्रह दशा का सुक्ष्म अध्ययन कर यह देखना चाहिए की दशा किस प्रकार के कार्यक्षेत्र का संकेत दे रही हैं । 4 - आगामी गोचर या दशा कार्यक्षेत्र में तरक्की का संकेत दे रहा हैं या नहीं ? इसका भी परिक्षण कर लेना चाहिए । |
31-01-2011, 03:02 PM | #29 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
शिक्षा में महत्वाकांक्षा -
जन्म कुण्डली का नवम भाव धर्म त्रिकोण स्थान हैं जिसके स्वामी देव गुरू बृहस्पति हैं यह भाव शिक्षा में महत्वाकांक्षा व उच्च शिक्षा तथा उच्च शिक्षा किस स्तर की होगी को दर्शाते हैं यदि इसका सम्बन्ध पंचम भाव से हो जाए तो अच्छी शिक्षा तय करते हैं । शिक्षा का स्तर - जन्म कुण्डली का पंचम भाव बुद्धि, ज्ञान, कल्पना, अतिन्द्रिय ज्ञान, रचनात्मक कार्य, याददाश्त व पूर्व जन्म के संचित कर्म को दर्शाता हैं । यह शिक्षा के संकाय का स्तर तय करता हैं। शिक्षा किस प्रकार होगी - जन्म कुण्डली का चतुर्थ भाव मन का भाव हैं । यह इस बात का निर्धारण करता हैं कि आपकी मानसिक योग्यता किस प्रकार की शिक्षा में होगी । जब भी चतुर्थ भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में गया हो या नीच राशि, अस्त राशि, शत्रुराशि में बैठा हो व कारक ग्रह (चन्द्रमा) पीड़ित हो तो शिक्षा में मन नहीं लगता हैं । |
31-01-2011, 03:03 PM | #30 |
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Re: पेजर बाबा इसको लगा डाला तो लाइफ झींगालाला
शिक्षा का उपयोग -
जनम कुण्डली का द्वितीय भाव वाणी, धन संचय, व्यक्ति की मानसिक स्थिति को व्यक्त करता हैं तथा यह दर्शाता हैं कि शिक्षा आपने ग्रहण की हैं वह आपके लिए उपयोगी हैं या नहीं हैं। यदि इस भाव पर पाप ग्रह का प्रभाव हो तो व्यक्ति शिक्षा का उपयोग नहीं करता हैं । जातक को बचपन से किस विषय की पढाई करवानी चाहिए इस हेतु हम मुलतः निम्न चार पाठ्यक्रम (विषय) ले सकते हैं - गणित , जीव विज्ञान, कला और वाणिज्य - गणित - गणित के कारक ग्रह बुध का संबंध यदि जातक के लग्न, लग्नेश या लग्न नक्षत्र से होता हैं तो वह गणित में सफल होता हैं । यदि लग्न, लग्नेश या बुध बली एवं शुभ दृष्ट हो, तो उसके गणित में पारंगत होने की संभावना बढ़ जाती हैं । शनि एवं मंगल किसी भी प्रकार से संबंध बनाएं तो जातक मशीनरी कार्य में दक्ष होता हैं । इसके अतिरिक्त मंगल और राहु की युति, दशमस्थ बुध एवं सूर्य पर बली मंगली की दृष्टि, बली शनि एवं राहु का संबन्ध, चन्द्र व बुध का संबंध, दशमस्थ राहु एवं षष्ठस्थ यूरेनस आदि योग तकनीकी शिक्षा के कारक होते हैं । |
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