23-12-2013, 09:53 PM | #1 |
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निर्दलियों का चुनाव घोषणा-पत्र
वैसे अभी तक का तजुरबा हमें यह बताता है कि चुनाव के समय तैयार किया जानेवाला घोषणा-पत्र एक ऐसा दस्तावेज होता है जिसमे कोई पार्टी ऐसे ऐसे वादे जनता के सामने करती है जिन्हें चुनाव जीतने के बाद लागू करना आवश्यक नहीं होता. एक निर्दलीय प्रत्याशी उक्त तजुरबे से प्रभावित हो कर अपना चुनाव घोषणा-पत्र तैयार करवा रहा है. कुछ क्लॉज़ तैयार हो चुके हैं, बाकी पर कार्य हो रहा है. देखिये उनके चुनाव घोषणा-पत्र में अब तक क्या क्या वादे किये गये हैं: 1. “हमारे यहां आम चुनाव आम तौर पर उस समय होते हैं जब आमों का सीज़न नहीं होता. आम आम के हल्ले में आम आदमी को आम के दर्शन तक नहीं होता. इससे उसके ऊपर क्या गुज़रती है, इसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है. मैं वादा करता हूँ कि चुनाव जीने के बाद मैं हर आम चुनाव सिर्फ और सिर्फ आम के मौसम में ही करवाऊंगा अन्यथा चुनाव होगा ही नहीं”. 2. “भारत एक कृषि प्रधान देश है. सरकारों द्वारा भूमि अधिग्रहण के ज़रिये निरंतर ज़मीनें लिए जाने से कृषि योग्य भूमि में निरंतर कमी आती जा रही है. मैं वादा करता हूँ कि चुनाव जीतने के बाद मैं हर प्रकार के भूमि अधिग्रहण पर प्रतिबन्ध लगवा दूंगा ताकि सड़कों, रेलवे और हवाई अड्डों के निर्माण जैसे निरर्थक कामों के लिए धन, बल तथा समय रूपी संसाधनों के दुरुपयाग को रोका जा सके. इससे और अधिक बैलों को रोजगार मिल सकेगा”. 3. “मैं विदेशी बैंकों में अपने परिवार वालों के नाम से कुछ खाते खुलवा दूंगा ताकि विपक्षी दलों को और मीडिया वालों काम मिल सके और जनता का मनोरंजन होता रहे”. 4. “मुझे रामजन्म भूमि और बावरी मस्जिद मामले में कोई बयान नहीं देना क्योंकि मुझे हिंदु और मुसलमान दोनों के वोट चाहिए”. 5. “वर्तमान समय में सरकार ने गरीबी की जांच करने के लिए एक गरीबी रेखा बना रखी है जिसके बारे में कोई निश्चित तौर पर कुछ नहीं जानता कि आखिर यह है क्या बला? मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि चुनाव जीतने के बाद मैं इस रेखा को ही हटवा दूंगा. फिर न गरीबी रेखा रहेगी न गरीबी”. |
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