30-07-2014, 04:04 PM | #1 |
Special Member
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44 |
एक दर्द ऐसा भी ....
एक धनी व्यक्ति की माँ अक्सर बीमार रहती थी।एक दर्द ऐसा भी ....
__________________
Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
30-07-2014, 09:48 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
सच कहा है कि अधिक पैसा भावनाओं को खा जाता है. इसके सामने रिश्ते फीके पड़ जाते हैं. एक मार्मिक लघुकथा पढ़वाने के लिये आपका धन्यवाद.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
31-07-2014, 10:15 AM | #3 |
Special Member
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
__________________
Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
31-07-2014, 10:16 AM | #4 |
Special Member
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
छोटे से गाँव में एक माँ - बाप और एक लड़की का गरीब परिवार रहता था .
वह बड़ी मुश्किल से एक समय के खाने का गुज़ारा कर पाते थे... सुबह के खाने के लिए शाम को सोचना पड़ता था और शाम का खाना सुबह के लिए ... एक दिन की बात है , लड़की की माँ खूब परेशान होकर अपने पति को बोली की एक तो हमारा एक समय का खाना पूरा नहीं होता और बेटी साँप की तरह बड़ी होती जा रही है .गरीबी की हालत में इसकी शादी केसे करेंगे ? बाप भी विचार में पड़ गया . दोनों ने दिल पर पत्थर रख कर एक फेसला किया की कल बेटी को मार कर गाड़ देंगे... दुसरे दिन का सूरज निकला , माँ ने लड़की को खूब लाड प्यार किया ,अच्छे से नहलाया , बार - बार उसका सर चूमने लगी . यह सब देख कर लड़की बोली : माँ मुझे कही दूर भेज रहे हो क्या ? वर्ना आज तक आपने मुझे ऐसे कभी प्यार नहीं किया , माँ केवल चुप रही और रोने लगी , तभी उसका बाप हाथ में फावड़ा और चाकू लेकर आया , माँ ने लड़की को सीने से लगाकर बाप के साथ रवाना कर दिया . रस्ते में चलते - चलते बाप के पैर में कांटा चुभ गया , बाप एक दम से नीचे बैठ गया , बेटी से देखा नहीं गया उसने तुरंत कांटा निकालकर फटी चुनरी का एक हिस्सा पैर पर बांध दिया . बाप बेटी दोनों एक जंगल में पहुचे बाप ने फावड़ा लेकर एक गड्ढा खोदने लगा बेटी सामने बेठे - बेठे देख रही थी , थोड़ी देर बाद गर्मी के कारण बाप को पसीना आने लगा . बेटी बाप के पास गयी और पसीना पोछने के लिए अपनी चुनरी दी... बाप ने न चाहते हुए भी धक्का दिया और बोला तू दूर जाकर बैठ । थोड़ी देर बाद जब बाप गड्ढा खोदते - खोदते थक गया , बेटी दूर से बैठे - बैठे देख रही थी, जब उसको लगा की पिताजी शायद थक गये तो पास आकर बोली पिताजी आप थक गये है . लाओ फावड़ा में खोद देती हु आप थोडा आराम कर लो . मुझसे आप की तकलीफ नहीं देखी जाती . यह सुनकर बाप ने अपनी बेटी को गले लगा लिया, उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े , उसका दिल पसीज गया , बाप बोला : बेटा मुझे माफ़ कर दे , यह गड्ढा में तेरे लिए ही खोद रहा था . और तू मेरी चिंता करती है , अब जो होगा सो होगा तू हमेशा मेरे कलेजा का टुकड़ा बन कर रहेगी में खूब मेहनत करूँगा और तेरी शादी धूम धाम से करूँगा... ========================== * सारांश :- बेटी तो भगवान् की अनमोल भेंट है , बेटा - बेटी दोनों समान है , उनका एक समान पालन करना हमारा फ़र्ज़ है....
__________________
Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
31-07-2014, 11:18 PM | #5 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
बेटी भी मूलतः नारी है और नारी तो करुणा का सागर है. बेटा माता-पिता के प्रति अपने दायित्वों से मुंह फेर सकता है लेकिन बेटी जीवन भर उनके लिये अपना प्यार बनाये रखती है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 01-08-2014 at 10:22 PM. |
01-08-2014, 03:11 PM | #6 |
Special Member
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
* स्वाति शैवालएक पेड़ की कहानी सुनें NDND अलविदा दोस्तों--परसों दूर एक जंगल से मेरी एक मित्र चिड़िया आई थी। बहुत दुखी थी। पहले वो मेरे ही पास खड़े हुए एक नीम के पेड़ पर परिवार सहित रहती थी लेकिन पिछले दिनों उस नीम सहित बाकी पेड़ भी 'सड़क दुर्घटना' के शिकार हो गए। तब वो चिड़िया परिवार और अन्य रिश्तेदारों सहित किसी और जंगल में रहने चली गई थी। मुझे बहुत बुरा लगता था उन सबके जाने के बाद का सूनापन। चिड़िया और उसके बच्चे थे तो रौनक बनी रहती थी। ठीक वैसे ही जैसे मनुष्यों के घर में भरा-पूरा परिवार होता है। लेकिन आजकल तो सुना है मनुष्यों के परिवार भी टूटने लगे हैं। खैर.. चिड़िया बता रही थी कि उसे भी वहाँ नई जगह भी अच्छा नहीं लगता लेकिन क्या करती जाना जरूरी था... कम से कम वहाँ पेड़ तो हैं लेकिन अब शायद वे जंगल भी मनुष्य के विकास के आड़े आ रहे हैं। चिड़िया इस बात से भी दुखी थी कि जंगलों की कम होती संख्या और सूखते तालाबों के कारण आजकल उसके विदेशी मित्र भी यहाँ आने से कतराते हैं। पता नहीं आने वाले समय में उनके लिए घर भी बचेगा या नहीं? उसने एक अच्छी खबर भी दी कि, मेरे जिन बीजों को पंछी दूसरी जगहों पर ले गए थे उनसे नई कोंपलें फूटी हैं और मैं अब दादा-नाना बन चुका हूँ। अभी हम बात ही कर रहे थे कि अचानक मेरे पेट में तेज़ दर्द उठा। मैं घबरा गया। दर्द असहनीय था। अभी तो उम्र भी ऐसी नहीं थी फिर ये दर्द? मैं समझ नहीं पाया, तभी वो चिड़िया कातर स्वर में चीख उठी। दर्द अब और तेज हो गया था और नीचे मेरे पैरों के पास से लोगों के चिल्लाने की आवाज़ भी आ रही थी। मैं समझा शायद लोग मेरी रक्षा के लिए इकट्ठा हुए हैं। अभी इतना सोचकर दिल को तसल्ली ही दी थी कि अचानक एक और तेज आवाज़ और लगा जैसे किसी ने मेरे पेट में किसी तीखी चीज़ से वार किया। मैंने दर्द की लहर को सहते हुए सिर झुकाकर देखा- ये तो कुछ इंसान थे जो आरी से मेरे तने को काटने की कोशिश में थे। लेकिन क्यों, मैं तो सड़क के नियमों का पालन करते हुए किनारे पर ही खड़ा था? NDND मेरा ध्यान पैरों की ओर गया। मेरी एक लंबी और चौड़ी जड़ नई बनने वाली सड़क की बाधा बन रही थी शायद। मैं चिल्लाकर कहना चाह रहा था जड़ों को ऐसे नष्ट मत करो। मुझे किसी और बड़ी जमीन पर ले चलो, मैं वहाँ अपनी जड़ें पसार लूँगा। मेरी हालत देखकर माँ भी रोने लगी थी लेकिन आरी का चलना अब भी नहीं रुका था। आखिरकार माँ ने कसकर पकड़े मेरे हाथ को ढीला छोड़ दिया और तेज़ आवाज़ के साथ मैं जमीन पर आ गिरा। अपनी अधमुँदी आँखों से मैं लोगों को अपनी शाखाएँ तोड़ते, पत्तियाँ नोचते और फल झपटते देख रहा था। हालाँकि माँ की ये सीख कानों में गूँज रही थी कि मरने के बाद भी लोगों के काम आना। इसलिए मैं अपने आँसू रोके हुए था लेकिन बस एक दुख हो रहा था.. जो लोग इतने सालों से मुझसे फल पा रहे थे, सूखी टहनियाँ ले रहे थे और पूज रहे थे उनकी आँखें भावहीन थीं। शायद मेरा दुख देखकर ही पथरा गई होंगी, सदमे के कारण.. कोई बात नहीं अलविदा दोस्तों.. ईश्वर करे कि दूर किसी नई जगह पर फलते-फूलते मेरे परिवार के बच्चों ने भी सबकी सेवा करने वाली सीख याद रखी होगी। माँ ने उन्हें भी यही सिखाया होगा। लेकिन डरता हूँ कि कहीं इंसानों का रूखापन देखकर वे गुस्से में न आ जाएँ। वैसे भी अब भावनाओं की हवाएँ और संवेदनाओं के बादल दिखना बंद हो गए हैं... आखिर वातावरण का असर तो उनपर पड़ेगा ही... !
__________________
Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
01-08-2014, 03:54 PM | #7 |
Special Member
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
कृपया प्रतिक्रिया व्यक्त करे ,धन्यवाद
__________________
Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
01-08-2014, 10:36 PM | #8 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
मनुष्य ने अपने प्राकृतिक पर्यावरण को पिछले एक सौ वर्षों में अपने झूठे विकास की दौड़ में इतना नुक्सान पहुँचाया है कि न सिर्फ उसका अपना अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है बल्कि घटते वन्य क्षेत्रों व कटते वृक्षों की वजह से जीव-जंतुओं तथा पशु-पक्षियों का जीवन भी कठिनाई में पड़ गया है. रफीक जी की कहानी में इन्हीं बातों को प्रतीक रूप में समझाया गया है. धन्यवाद.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
06-08-2014, 02:39 PM | #9 |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
janm se lekar maran tak jo vriksh hamara sath dete hain, hum unka vinash kiye ja rahe hain, jinke bin hum ji nahi sakte use ab prithvi se mita rahe hain .. ye bhul gaye hain ki in vriksho ke bina jivan kitna dubhar ho jayega .....nice thoughts and blog rafik bhai ji ... thanks.........
|
11-08-2014, 10:59 AM | #10 | |
Special Member
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44 |
Re: एक दर्द ऐसा भी ....
Quote:
__________________
Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
|
Bookmarks |
|
|