06-11-2011, 06:21 PM | #1 |
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राम प्रसाद बिस्मिल की कवितायें
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06-11-2011, 06:22 PM | #2 |
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Re: राम प्रसाद बिस्मिल की कवितायें
सर फ़रोशी की तमन्ना
सर फ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है। करता नहीं क्यूं दूसरा कुछ बात चीत देखता हूं मैं जिसे वो चुप तिरी मेहफ़िल में है। ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है। वक़्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमाँ हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है। खींच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद आशिक़ों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है। यूं खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार बार क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है।
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06-11-2011, 06:23 PM | #3 |
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Re: राम प्रसाद बिस्मिल की कवितायें
ऐ मातृभूमि! तेरी जय हो
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कांतिमय हो अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो
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06-11-2011, 06:23 PM | #4 |
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Re: राम प्रसाद बिस्मिल की कवितायें
हे मातृभूमि
हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ । मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ ।। माथे पे तू हो चंदन, छाती पे तू हो माला ; जिह्वा पे गीत तू हो मेरा, तेरा ही नाम गाऊँ ।। जिससे सपूत उपजें, श्री राम-कृष्ण जैसे; उस धूल को मैं तेरी निज शीश पे चढ़ाऊँ ।। माई समुद्र जिसकी पद रज को नित्य धोकर; करता प्रणाम तुझको, मैं वे चरण दबाऊँ ।। सेवा में तेरी माता ! मैं भेदभाव तजकर; वह पुण्य नाम तेरा, प्रतिदिन सुनूँ सुनाऊँ ।। तेरे ही काम आऊँ, तेरा ही मंत्र गाऊँ। मन और देह तुझ पर बलिदान मैं जाऊँ ।।
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06-11-2011, 06:24 PM | #5 |
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Re: राम प्रसाद बिस्मिल की कवितायें
न चाहूं मान
न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना करुँ मैं कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखुँ हिन्दी चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से "बिस्मिल" तुम उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना
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06-11-2011, 06:24 PM | #6 |
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Re: राम प्रसाद बिस्मिल की कवितायें
कुछ अश*आर
इलाही ख़ैर वो हरदम नई बेदाद करते हैँ हमेँ तोहमत लगाते हैँ जो हम फरियाद करते हैँ ये कह कहकर बसर की उम्र हमने क़ैदे उल्फत मेँ वो अब आज़ाद करते हैँ वो अब आज़ाद करते हैँ सितम ऐसा नहीँ देखा जफ़ा ऐसी नहीँ देखी वो चुप रहने को कहते हैँ जो हम फरियाद करते हैँ
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06-11-2011, 08:17 PM | #7 | |
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Re: राम प्रसाद बिस्मिल की कवितायें
Quote:
इस महान रचनाकार की रचनाओँ से रू-ब-रू कराने के लिए तहेदिल से शुक्रिया |
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