30-11-2010, 08:14 PM | #11 |
Special Member
Join Date: Nov 2010
Location: ♕★ ★ ★ ★ ★♕
Posts: 2,316
Rep Power: 27 |
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
वैसे आपके नेक विचारों के लिए हैटस आफ… यदि कभी भी ऐसी बात जो फोरम के हित में न हो आप हमे या अभिषेक जी को बता सकते हो। व्यक्तित्व संदेश कर सकते हो। यह फोरम अश्लील बातों के लिए नहीं है। हाँ रोमांचक और रोमांटिक बातें जरूर से की जा सकती है वो भी मर्यादा में रह कर। आपका दोस्त युवराज |
30-11-2010, 08:47 PM | #12 |
Exclusive Member
|
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
फिर हमलोग बगीचे मे गए फिर उनके और सहेली सब भी आगई और वो लोग आम लीची और चामुन तोड कर हमदोनो दोस्त को खाने को दिया बहुत मजे किए हमलोगोँ ने
फिर हमदोनो दुसरे दिन घर जाने को तैयार हुऐ तो वो मुझे अकेले मेँ बुलाकर मुझे रुकने को बोलने लगी मैँने मना कर दिया लेकिन वो जिद करने लगी मैँ बोला एक शर्त मेँ रुक जाउँगा बोली क्या मैँ बोला फिल्म देखने जाना होगा कुछ सोचकर बोली घर वाले जाने नहीँ देगेँ मैँ बोला मनाने की कोशिश करुगाँ अगर मान गए तो बोली चलुगीँ जरुर फिर मैँ रुक गया और फिर हम बगीचे मे चले गए लेकिन वो शाम को टालकर दुसरे दिन के लिए बोलने लगी चलने के लिए मैँ मजबुर होगया था दिल के हाथो लेकिन घर तो जाना था हमलोग चार दिन रुक गए वहाँ पर क्रमसः
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
30-11-2010, 09:21 PM | #13 |
Exclusive Member
|
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
फिर हम गाँव आगए गाँव आने के बाद लगता था कुछ खो गया हैँ
दिल नहीँ लगने लगा फिर मैँने एक रास्ता निकाला अगर ट्रेन से जाता तो एक दिन मेँ आना जाना नामुमकिन था अगर मैँ साईकिल के द्वारा जाता तो तीन साढे तीन घंटा मेँ आना जाना हो जाता एक झलक देख कर मैँ आसानी से वापिस हो जाता फिर तो मैँ एक दिन दो दिन मेँ आने जाने लगा अगर कोई पुछता तो बता देता नानी के यहाँ जा रहा हुँ गर्मी के दिन मेँ इतना साईकिल चलाना आखिर कुछ तो होना था तो जख्म हो गए रात को आँसु निकल जाते थे दर्द के वजह से लेकिन मैँ नहीँ रुका आता जाता रहा फिर मुझे एक दो महीना बाद अपने खाला के यहाँ चला गया फिर उसके बाद उनकी शादी हो गई मेरे गाँव मेँ लेकिन इस बीच मेँ मैँ एक बार भी उनसे कहा नहीँ की मैँ क्योँ आता हुँ उनके यहाँ क्रमसः
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
30-11-2010, 09:37 PM | #14 |
Special Member
Join Date: Nov 2010
Location: ♕★ ★ ★ ★ ★♕
Posts: 2,316
Rep Power: 27 |
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
आपने तो प्राण ही फूँक दिये खालिद भाई जी…
|
01-12-2010, 06:20 AM | #15 |
Exclusive Member
|
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
दो या तीन महीने बाद उनकी शादी हो जाती हैँ
शादी का सुनकर मेरा दिल और नहीँ लगता था दिल करता था मैँ दौड कर चला जाउँ लेकिन मजबुरी थी मैँ जा नही सकता था खैर दो महीना बाद मैँ घर तो चला गया पता चला वो मैके गई हुई हैँ मैँ उनके परिवार वाले को कहता रहा लेकर आजाओ कुछ दिन बाद वो आगई फिर मैँ सुबह से लेकर शाम तक उसी के घर के आसपास रहने लगा दिन भर मैँ उसे कुछ ना कुछ खिलाता पिलाता रहता उसे अच्छी अच्छी बातेँ करता उसे हँसाता रहता कभी कभी सबसे छुपाकर गिफ्ट भी देता रहता था कभी कोई काम से जाना होता तो मैँ एक घंटे का काम को आधे घंटे मेँ खत्म करके घर वापिस हो जाता था उस दौरान मैँ कभी भी पुरी फिल्म नहीँ देख पाया जब भी देखता उसकी याद आने लगती और मैँ दोस्तोँ को भी छोडकर वापिस आजाता कुछ बातोँ मे हमदोनो के मन मुटाव भी हो जाता था और मैँ सोचता क्या मैँ अच्छा कर रहा हुँ एक शादीशुदा से प्यार करता हुँ नहीँ अब मैँ उसके घर के तरफ नहीँ जाउँगा लेकिन मेरा सब इरादा उसके बुलाने पर या मुस्कुराने पर गायब हो जाता था फिर हमदोनो वैसे हो जाते थे लेकिन अभी तक ना मैँने कहा ना उसने कहाँ कि प्यार करता हुँ शायद एक दुसरे के आँखो मेँ देखकर हम महसुस करने लगे थे जैसा अक्सर होता हैँ हमदोनो ने भले हीँ नहीँ कहाँ लेकिन गाँव की औरतेँ आपस मेँ बातेँ करने लगी थी हमारे बारे मेँ तब कुछ आदमीयोँ को भी पता लग गया अपनी पत्नी से और आखिर मेँ उसके घरवाले के साथ मेरे घर वालोँ को भी पता चल गया क्रमसः
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
01-12-2010, 06:28 AM | #16 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34 |
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
क्या बात है खालिद भाई आपने तो प्यार की सीमा ही तोर दी
|
01-12-2010, 08:01 AM | #17 |
Exclusive Member
|
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
फिर चालु हो गया पाबंदी का दौर मुझे मेरे घरवाले मना करने लगे और उधर उसके
एक दुसरे से बात बंद मुलाकात बंद हम दिन मेँ कोई ना कोई टाईम ऐसा निकालते थे की एक दुसरे को देख लेते हैँ कोई कब तक हमारे पिछे लगा रहता काम भी तो करना होता था मेरे पास तो उसको देखने के अलावा कुछ नहीँ था फिर भी कोई ना कोई बहाना बना कर उस बेचारी की पिटाई हो जाती थी मुझे कोई कुछ इसलिए नहीँ बोलता था कि मुझे कोई देखता नहीँ था इस तरह कई दिन ऐसा भी होता था हमदोनो खाना नहीँ खाते थे मेरी माँ थक जाती थी बोलते बोलते भुख लगे तभी तो खाना खाता जब उसे मार परती तो वो घर से बाहर नहीँ निकलती और मैँ अफसोस के वजह से खाना पीना छोड देता था वैसे कुछ लोग मुझे बुरा कहेँगे लेकिन यह दौड ऐसा था लाख कोशिश करके भी हमदोनो खुद को रोक नहीँ सकते थे दिल कहता था उसके बगैर रुका नहीँ जाता दिमाग कहता थे रुक जा गलत हैँ लेकिन जीत हमेशा दिल की होती थी तब मेरे घर वालोँने फैसला कर के मुझे गाँव से दुर खाला के यहाँ भेज दिया मैँ भी इन सब वजह से बचने के लिए वहीँ रहने लगा साल मेँ एक बार आता और कुछ दिन गुजार कर वापिस चला जाता इसी दौरान हमदोनो ने प्यार का इजहार किया था एक वक्त तो ऐसा आया बेचारी का घर टुटने वाला था उसके पिताजी आकर मेरे पिताजी से बोले आपके बेटे के कारण मेरी बेटी का घर उजडने वाला हैँ मेरे पिताजी बोले अगर ऐसा होता हैँ तो मैँ आपकी बेटी को अपने घर का बहु बनाने को तैयार हुँ फिर कुछ महीने बाद वो एक बेटा का माँ बनी क्रमसः
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
01-12-2010, 11:47 AM | #18 |
Exclusive Member
|
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
उसे लडका होने का एक फायदा हुआ
अब पहरा थोडा कम हो गया लेकिन खत्म नहीँ हुँआ हमलोग का प्यार चलता रहा फिर तीन साल बाद उसे एक और बेटा हुआ तो पहरा बिल्कुल खत्म हो गया आज भी हम बातेँ करते हैँ सब शायद भुल गए लेकिन हम दोनो आज भी नहीँ भुले हैँ कभी शायद भुलना पाउँ तो यह था मेरा पहला प्यार या बचपन वाला प्यार
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
01-12-2010, 11:49 AM | #19 |
Exclusive Member
|
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
अभय भाई पता नहीँ यार सीमा टुटा या नहीँ लेकिन दिल जरुर टुटा
हा हा हा
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
01-12-2010, 05:44 PM | #20 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34 |
Re: ღ॰॰॰ღ पहली मोहब्बत ღ॰॰॰ღ
रातो को जब भी मैं सोता हू पता नहीं क्यो फिर उसी का चेहरा सामने आता है नींद में ही मुलाकात होती है और नींद में ही बात होती है मगर उही सुबह हो जाती है दिल की बात अधूरी रह जाती है हिमत करके सोचा की आज कह दुगा अपनी दिल की बात उस अंजनी लड़की से वो मिली तो सपने में मगर फिर मैं कुछ बोल नहीं पाया मगर दोस्तों ये क्या हो गया था आज उसी ने कह डाली मेरी दिल की बात मैंने कहा ये चित चोर तुने तो आज मुझे पागल कर दिया ये दिले हाल मैं भी तुमसे प्यार करता हू मगर आज तक अपनी दिल की बात दबा के रखी थी अपने दिल में लो आज मै कहता हू गुले गुलजार तू ही है मेरे सपनो की जाने बहार वो हस्ती रही मैं देखता रहा ! पता नहीं किस कमीने ने कर दी मेरे सिने पे बार आके मुझे जगा दिया नींद से और बोला भाई चलो घूमने आज है इतबार !कहानी अभी जरी है दोस्तों
|
Bookmarks |
|
|