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07-01-2015, 05:36 PM | #1 |
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Re: जीवनोपयोगी संस्कृत के श्लोक - अर्थ
(श्री भगवानुवाच )
असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् | अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्येते || अर्थात् : ( श्री भगवान् बोले ) हे महाबाहो ! निःसंदेह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है लेकिन हे कुंतीपुत्र ! उसे अभ्यास और वैराग्य से वश में किया जा सकता है |
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
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जीवनोपयोगी, दिव्य संस्कृत, प्रेरक वचन, संस्कृत श्लोक, सुभाषित वचन, inspirational verses, jiwanopayogi, sanskrit shlokas, subhashitani |
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