01-01-2012, 12:27 PM | #101 | |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
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और आझादी के बाद २-३ टर्म को छोड कर बाकी का समय तो कोंग्रेस का ही राज था.और बीचमे जितनी गैर कोंग्रेसी सरकारे बनी भी तो जोड़ तोड़ कर बनी कमजोर थी तो उनके लिये यह काम मुमकिन नहीं था. |
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01-01-2012, 01:15 PM | #102 | |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
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जो भी नीतेश कुमार कर रहे हैं....वैसा ही एक मुख्यमंत्री को करना चाहिए....अर्थात वो सिर्फ नोर्मल मोड में सरकार चला रहे हैं...यदि इनसे पिछले मुख्यमंत्री ने ये सब पिछले पन्द्रह सालों में किया होता तो इन नीतेश कुमार जी को अच्छी सरकार चलाने का श्रेय पाने के लिए कम से काम दोगुना करके दिखाना पड़ता.. मैं बिहार की जनता को बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने इस बात को पहचान लिया कि जात पात और हंसी ठट्ठे से प्रदेश का भला नहीं होने वाला है....और उन्होंने सता परिवर्तन किया...अब मैं उत्तर प्रदेश और बिहार की तुलनात्मक स्थित पेश करना चाहता हूँ...जो कि इस बात को रेखांकित करने के लिए है कि कुशासन में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जी ने सारी सीमाएं तोड़ दी थीं... १. पूरे बिहार में राज्य सड़क परिवहन की एक भी बस परिचालन में नहीं थी.....सिर्फ नेताओं, उनके चेलों, पुलिसियों और छुटभैये और बड़े गुंडों की बसें और अन्य वाहन ही जनता को उपलब्ध थे..... ( उत्तर प्रदेश में ऐसा किसी के भी शासन में नहीं हुआ....) २. पूरे राज्य में कोई भी ऐसा विश्विद्यालय अथवा राज्य शिक्षा परिषद नहीं था जो समय रहते अपना सत्र पूरा कर पा रहा था...नतीजा बिहार का युवक अपनी शिक्षा पूरी करते करते ही अधेड़ उम्र का हो चलता था और अपने आप को कम्पटीशन में कहीं पर भी नहीं पाता था...नातीजा हताशा, बेरोजगारी और गरीबी..... ( उत्तर प्रदेश में कहीं पर भी ऐसा उदाहरण नहीं है...) ३.शिक्षा विभाग में इस कदर बेहाली थी कि अध्यापकों को साल साल भर से ज्यादा तक तनख्याह की भी व्यवस्था नहीं हो पाती थी....तो ऐसे में पढाई के बारे में तो भूल ही जाना बेहतर था...... ( उत्तर प्रदेश में ऐसा कभी भी नहीं था....) मैंने यहाँ पर उत्तर प्रदेश का उदाहरण इसलिए नहीं दिया है कि उत्तर प्रदेश बहुत ही अच्छा और कुशल नेतृत्व वाला राज्य है...पर वहाँ पर इतनी अकुशल और नकारा सरकारों के बावजूद कोई भी सरकार इस तरह की नहीं आयी जिसने प्रदेश को इस तरह गर्त में धकेल दिया हो...जैसा कि बिहार में हुआ.... इस उदाहरण के द्वारा मैं सिर्फ ये जानना चाहता हूँ...कि अन्ना जी ने या किसी अन्य हस्ती ने उनके खिलाफ कोई आंदोलन क्यों नहीं चलाया....??? क्यों उनको पद्रह साल तक प्रदेश की जनता की भावना से खिलवाड़ करने का मौक़ा मिलता रहा...??? क्या ये जनता की कमी नहीं है कि उसने जागने में पन्द्रह साल का समय लिया....??? या ये जगाने वाले अन्ना जैसे लोगों की कमी थी...जो कुछ मंत्रिओं को बर्खाश्त करवा कर ही खुश थे....उनको बिहार की तरफ देखने की कभी सुध ही नहीं आयी....??? क्या ये उन विपक्षी दलों की हार नहीं थी....जो बिहार को इस दानव के चंगुल से नहीं छुडा सके...जिसने वहाँ पर सब कुछ ही तहस नहस कर दिया था...??? क्यों दो मुख्य दल अपने राजनीतिक मतभेदों को बुला कर प्रदेश की जनता को न्याय दिलवाने के लिए एक ना हो सके....??? क्यों वहाँ पर उनके खिलाफ मिल कर चुनाव नहीं लड़ा जा सका...?? क्योंकि सभी दलों को अपनी अपनी रोटियां अलग अलग ही सेकनी हैं....??? ऐसे आदमी को आज भी वहाँ की जनता ने अपना प्रतिनिधि चुन कर संसद में भेज रखा है तो ये कौन सी अन्ना जी की जीत है....??? अन्ना और उनकी टीम कभी उनके राज्य में उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करने क्यों नहीं उतरी....??? क्या पन्द्रह साल के उस शासन से बुरी कोई चीज इस देश में हो सकती है....?? अगर नहीं तो फिर क्यों वो आज भी बिहार से सांसद हैं...??? उनके खिलाफ तो बिहार के लाखों करोड़ों लोगों के भविष्य पर दिन दहाड़े डाका डालने के लिए चौराहे पर मुकदमा चलना चाहिए था....?? मेरे कहने का मतलब वही है...कि आज बिहार में उसी राजनीति के जरिये परिवर्तन हुआ है...तो देश में भी राजनीति के जरिये ही परिवर्तन होगा....कम से कम खुली लूट तो रुकनी ही चाहिए....और ये परिवर्तन तभी आएगा जब अन्ना अपनी सोच को थोडा आगे ले जाकर राजनीति में अच्छे लोगों का आना प्रशस्त करेंगे....क्योंकि राजनीति ही देश के सरकार चलाने का एक मात्र माध्यम है....
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Last edited by aksh; 01-01-2012 at 01:30 PM. |
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01-01-2012, 05:49 PM | #103 | |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
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आपने कहा की ‘ विदेशो में भी नेता/राजकारणी बहुत भ्रस्टाचार करते है.और लेवल b,c,d कर्मचारियों को अच्छी पगार दे के चुप कर दिया गया है.‘ पर सवाल है भ्रस्टाचार के लेवल का है ? क्या अमेरिका या किसी यूरोपीय देश में अस्पताल में भर्ती होने के लिए घुस देना पड़ता है ? क्या अपना खुद का वेतन या पेंशन पाने के लिए कोई घुस देता है ? क्या कोई अपने उचित या कानूनी कार्य करवाने के लिए पैसे देने पडतें हैं ? नहीं न ! लेकिन भारत में ऐसा है | वहाँ के राजनीतिज्ञ और ब्यूरोक्रेट वही पर भ्रष्टाचार करते हैं जहां पर कोई अनुचित या गैर कानूनी काम करवाना हो ...जैसे स्मगलिंग ,ट्रेफेकिंग, माग्रेशन आदि आदि | ये भ्रष्टाचार की उच्चतम सीमा नहीं होती |ऐसा हर सोसाइटी में मिलता रहा है | दूसरी बात आपने कही जिससे में पूरी तरह असहमत हूँ “ अगर हर एक इंसान ऐसा सोचेगा की एक के बदलने से क्या होगा तो आप को बता दू की जब नदी की पर्वत से समंदर की सफर सुरु होती है तब एक छोटे से बूंद से ही होती है जो आगे बढ़कर महा सागर बन जाता है....और उसी महासागर में मानवीय या कुदरती छेदछाड से उत्पन्न होती है सुनामी ...अभी आप सोचो एक बूंद में कितनी ताकत है.” उपरोक्त बात समस्या हल करने वाली व्यवहारिक बात की श्रेणी में नहीं आ पाएगी क्यूंकि हरेक इंसान नैतिक , सामाजिक ,स्तर पर एकसमान नहीं होता तो जाहिर है की सोच भी अलग अलग होगी ..अब हम राम राज्य की कल्पना करके समाज में लोगों को ऐसे ही नैतिक बनने के लिए छोड़ देंगें तो क्या आपको लगता है की कभी राम राज्य स्थापित हो सकता है ? गांधी जी ने कहा था की हम सारे लोग शुद्ध हो जाएँ तो भ्रष्टाचार स्वतः खत्म हो जाएगा तो क्या सारे लोग शुद्ध हो गए ? तब वैसे में न तो संविधान बनाने की जरुरत पड़ती न की किसी क़ानून बनाने की ! क्या उस स्थिति में एक एक बूंद से समंदर बन सकता है जब तापमान बहुत ज्यादा हो और बूंद एक जगह जमा होने के पहले ही भाप बनकर उड़ जाता हो ? एक व्यक्ति नैतिक हो जाता है ...दुसरा भी हो जाता है ...तीसरा भी ...और चौथा नहीं होता है तो क्या उस स्थिति में तीनों मिलकर उसे दंड नहीं देंगे ?? अगर वो अपराधिक प्रवृति का इंसान हुआ तो क्या वो बिना दंड दिए सुधर सकता है ? यही दंड कानून की आवश्यकता को बतलाता है | आपने कहा की “ अगर खुद में कुछ करने की चाह है तो रास्ते अपने आप बनते जाते है लेकिन सुरुआत खुद को करनी होती है....रास्ता खुद सामने से नहीं आएगा.” तो मै पूछना चाहूँगा की यदि आप घुस नहीं लेते हैं और आप से बड़े अधिकारी अप्रत्यक्ष रूप से घुस की मांग करतें हैं और न देने पर मानसिक प्रताडना दी जाती है तो ऐसे में क्या करेंगे ? तब जबकि आपकी नौकरी आपके जीवन के लिए महत्वपूर्ण हो और उससे आपका परिवार का भरण पोषण चल रहा हो | सख्त कानून का अर्थ है क़ानून का डर होना ...ताकि लोग गलत काम करने से पहले अच्छी तरह सोचा करें |
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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01-01-2012, 06:03 PM | #104 |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
अनिल जी
लोकतंत्र में जनता को केंदीय स्थान प्राप्त है और वही जनता सरकार चुनती है | पर असलियत यह है की भारत में शासन जनता के प्रतिनिधि नहीं बल्कि एक विकसित ब्यूरोक्रेट शासन करता है और उनका प्रभाव इन चुने गए प्रतिनिधियों पर बहुत ज्यादा होता है | देश की सिस्टम को चलाने में इस बयूरोक्रेटिक संघ की अहम भूमिका होती है | चाहे वो आर्थिक मामले हो या सामाजिक ...निति निर्धारण का कार्य यही करता है | जनता का प्रतिनिधि तो बस अपनी जेब भरने में लगा रहता है | नितीश कुमार ने इस ब्यूरोक्रेट पर लगाम कसी ,दवाब डाला ..इसीलिए वहाँ पर विकास कार्य देखने को मिलतें हैं | देश के इस संघ को तोड़ने के लिए लोकपाल एक कारगर हथियार है |
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02-01-2012, 06:10 AM | #105 |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
आपने सही कहा सबकी अपनी अपनी सोचा है...
मैंने जो लिखा है वह सब कुछ मै मेरे जीवन में कर चूका हू और करता भी हूँ,मुझे सफलता भी मिली है...हां यह जरुर है की इसकी वजह से मै बहुत कुछ खो भी चुका हूँ...लेकिन उसका मुझे कोई गम नहीं है क्यूंकि पैदा हुआ था तब भी नंगा था और मरने के बाद लकड़ी के ढेर पर सोऊंगा तभी भी नंगा ही हूँगा तो बाकि सब चीजों की चिंता क्यूँ ???? और आज भी दुनिया में कहीं भी जाता हूँ मै कानून और व्यवस्था के दायरे में रहकर अपने तरीके से ही जीता हू और उसी तरीके से काम भी करता हूँ और करवाता भी हू....क्यूँ की मै जो भी करता हूँ मेरे शरीर के सुख के लिये नहीं आत्मा के सुख के लिये करता हू...और मै यह मानता हू की मेरी सफलता या निस्फलता के सिर्फ मै और मै जिम्मेदार हू.... |
02-01-2012, 03:39 PM | #106 | |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
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नीतेश जी ने अपनी ताकत का सही इस्तेमाल किया है तो वहाँ पर उसका परिणाम दिख रहा है...और वहाँ पर जंगल राज के बजाय एक सरकार का राज दिखाई और सुनाई दे रहा है...और ये सब उन्होंने बिना किसी लोकपाल के ही किया है..... अगर बिना लोकपाल के बिहार मैं सरकार अच्छा कार्य कर सकती है तो फिर लोकपाल की आवश्यकता केंद्र में क्यों है...??? क्या आज हमारे वर्तमान कानूनों में भ्रष्टाचार करने की छूट है....??? क्या आज भ्रष्टाचारी के खिलाफ कोई क़ानून नहीं है...??? हमारे देश में वर्तमान क़ानून व्यवस्था को चुस्त दुरस्त करने और उसे सक्षम बनाने की जरूरत है और इसके लिए किसी लोकपाल की जरूरत मुझे नहीं दिखाई देती...!! इसके लिए एक उदाहरण देना चाहता हूँ.....एक आदमी ने अपने लिए एक मंजिल मकान बनबाया पर गर्मी के दिन होने की बजह से छत बहुत गरम हो जाती थी...किसी ने सलाह दी कि इसके ऊपर एक मंजिल और बनवा लो नीचे ठंडक रहने लगेगी....और उसने एक मंजिल और बनवा ली...फिर कुछ दिन बाद उसे लगा कि ऊपर की मंजिल तो खाली ही रहती है तो एक दिन उसने ऊपर की मंजिल पर भी रहना शुरू कर दिया....कुछ दिन बाद उसने महसूस किया कि ऊपर की मंजिल भी धूप की वजह से काफी गरम हो जाती है और उसने एक मंजिल और बनवा ली....धीरे धीरे उसने चार मंजिल बनवा ली पर ऊपर की मंजिल पर गर्मी लगती ही रही..... यही हाल हमारे देश में क़ानून का हो रहा है....एक एक बाद एक परतें...क़ानून की बनती जा रही हैं...पर समस्या वहीँ की वहीँ है.....हमें अपने देश की जरूरतें...समझनी होंगी...और वर्तमान में बने क़ानून को ही चुस्त दुरस्त करना होगा ताकि देश को भ्रष्टाचार ही नहीं बल्कि अन्याय, गरीबी और अशिक्षा से कुपोषण से निजात दिलाई जा सके.... पर बुनयादी बातें ना ध्यान में रखते हुए एक लोकपाल इस देश में आता है तो यही सब कुछ होगा कि लोग एक दुसरे को ये कहते हुए मिलेंगे...." लोकपाल में अपना एक आदमी लगा हुआ है...कोई काम है तो बताना....!! " अंग्रेजी में एक कहावत है... " power currupts......and absolute power currupts absolutely..."
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02-01-2012, 03:53 PM | #107 |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
अनुज रणवीर मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि उसी वातावरण में एक मुख्यमंत्री सिस्टमेटिक तरीके से बिहार को गर्त में ले जाता रहा और उसी वातावरण में एक अन्य मुख्यमंत्री ने उसी प्रदेश में इतना अच्छा कार्य करके दिखा दिया क्या ये चमत्कार लोकपाल की वजह से हुआ या राजनितिक दृढ इच्छा शक्ति की वजह से....???
लोकपाल उस प्रदेश की जनता को उसी मुख्यमंत्री को देश की लोक सभा में भेजने से नहीं रोक सकता....!! ये कार्य जनता को खुद ही करना होगा....अगर अच्छी सरकार चाहिए तो १५ साल तक लूट पाट करने वाले व्यक्ति को संसद में चुन कर क्यों भेज रही है जनता....??? इसके लिए कौन जिम्मेदार है...??? लड़ाई इस चीज के लिए होनी चाहिए....केम्पेनिंग इन लोगों के खिलाफ होनी चाहिए....ताकि ऐसे लोग चुन कर ना आ सकें...और अगर आ भी जाएँ....तो इतने अच्छे लोगों की संख्या होनी चाहिए कि ऐसे भ्रष्ट और गलत लोग कुछ भी करने के काबिल ना रहें.... अन्ना को पहले राजनितिक सुधारों की बात करनी चाहिए....उसके बाद संसद में अपने जैसे अच्छे लोगों को चुन कर जाने का रास्ता साफ़ करवाना चाहिए....फिर कहीं जाकर किसी क़ानून की बात करनी चाहिए....क्योंकि क़ानून सड़कों पर नहीं बनते....और जहाँ पर बनते हैं वहाँ पर वो जाना नहीं चाहते....और ना गलत लोगों को जाने से रोकना चाहते...तो फिर कैसे सुधार होगा...????
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03-01-2012, 08:34 AM | #108 |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
अनिल जी
आपने बहुत ही सुन्दर बात कही की ‘’ कानून ’’ होने से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ‘‘ कानून का पालन होना ’’ यदि राजनितिक दृढ इच्छाशक्ति हो तो लोकपाल जैसे कानून की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी | परन्तु ये भी देखना जरुरी है एक लोकतंत्र के संक्रमण काल में भारत की राजनीति में मजबूत इच्छाशक्ति वाले लोगों की भारी कमी है | मै दो राज्यों की बात करता हूँ बिहार और झारखण्ड | बंटवारे के बाद बिहार में संसाधनों की कमी के बावजूद विकास तेजी से हुआ वहीँ झारखंड में भ्रष्टाचार और लूट खसोट मौजूद रहा | दोनों में अंतर ये रहा की बिहार में शासन एक कुशल व्यक्ति के हाथ में था और झारखंड में अयोग्य लोगों के | वहाँ कोई भी ऐसा विभाग नहीं है जहां पर नेताओं और अफसरों ने लूट खसोट न मचाई हो , यहाँ तक की न्यायपालिका पर भी सवाल उठ रहें हैं जिसका गठन विभाजन के बाद हुआ है | अब सवाल ये उठता है की यदि झारखंड में सारी राजनैतिक पार्टी ही भ्रष्ट है तो आम जनता किसे सत्ता पर बैठाए ? क्या ऐसी स्थिति में एक ऐसे कानून की आवश्यकता नहीं है जहां पर आम पब्लिक सवाल कर सके ? दूसरी बात ये कहना चाहूँगा की ऐसा नहीं है की बिहार में भ्रष्टाचार नहीं है ..आज भी ठेकेदारी चलती है ..आज भी ब्यूरोक्रेट में घुस का बोलबाला है ..आज भी सार्वजनिक क्षेत्र में लूट खसोट है ...आज भी जनता दरबार के नाम पर लोगों को ठगा जाता है .. बस अंतर ये है की पहले से थोडा कम हुआ है | आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की नितीश कुमार भी कुछ मामलों में असहाय होतें हैं और उन्हें भी चुपचाप रहना पड़ता है | हाँ लेकिन संरचनात्मक और आधारभूत विकास को पब्लिक के सामने दिखाने का भी प्रयास करतें हैं | अब केन्द्र की बात की जाए | भारत में वर्तमान में कई पार्टियां सक्रिय है जो देश के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है | प्रत्येक पार्टी से चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों का हित उनके क्षेत्र से जुडा होना चाहिए ताकि लगे की सच में वो उस क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं ,पर वास्तविकता में उनका हित खुद का और खुद की पार्टी से जुडा होता है ताकि किसी तरह वे सता में बने रहें | ऐसे में आम जनता मजबूर हो जाती है ये सोचने के लिए की कहीं हमने गलत आदमी को तो नहीं चुना | एक बार चुन लेने के बाद फिर वो पांच साल के बाद ही उसे पुनः वोट देने पर विचार कर सकती है ..आखिर तब तक के लिए कोई तो हथियार होना चाहिए जिसमे वो अपने प्रतिनिधि से कड़े सवाल कर सके | जब एक डर उन सांसदों में बैठ जाएगा की लोकपाल जैसे काननों के द्वारा पुब्लिक हमारे कार्यों की समीक्षा कर सकती है तो कुछ तो गलत काम करने से बचेंगे | अच्छे लोगों को चुनने में अक्सर जनता बेवक़ूफ़ बन जाती है , क्यूंकि भारत की जनता अभी तक न तो राजनितिक रूप से जागरूक है और न ही विकसित , तो ऐसे में ये मानना की हम खुद ही अछे लोग चुनकर संसद में क्यूँ नहीं भेजते.... बेमानी हो जाएगा | अब ब्यूरोक्रेट की बात करता हूँ | मेरे कई करीबी मित्र ias , ips और एलाइड सेवा में मौजूद हैं | जो कोलेज के दिनों में कुछ अच्छे काम करने के लिए संकल्प लेते थे | अब वो पैसे कमाने का कोई भी मौक़ा नहीं चुकते ..स्वम खुलकर गलत तरीके से पैसे कमाने की बात स्वीकारी है | कई बार तो ये कहतें है की यदि हमने ऐसा नहीं किया तो कार्य करना दूभर हो जाएगा क्यूंकि पूरा तंत्र एक दूसरे से जुडा है जिसमे भ्रष्टाचार व्याप्त है | क्लास २ के अफसरों को हर हालत में उनकी बात माननी पड़ती है , चाहे या न चाहें | अक्सर मै भी सोचने लग जाता हूँ की कहीं मै ही गलत नहीं सोचता ..पर बाद में खुद को देखने पर कोई दुःख नहीं होता | आप सोच सकतें हैं की जब नए लोग जो ये सोचकर ज्वाइन करतें हैं की कुछ अच्छा काम करेंगे वे खुद इसमें लिप्त हो जातें हैं तो किस लेवल पर भ्रष्टाचार होगा | अधिकतर सांसदों और मंत्रियों के pa ( पर्सनल और ओफिसिअल ) , बड़े बड़े आयोगों के प्रमुख , संस्थानों के प्रमुख , सार्वजानिक क्षेत्र के प्रमुख , आर्थिक और सामाजिक सलाहकार ,आदि आदि सब यही आईएस और एलाइड ग्रुप के होतें हैं | ये जनप्रतिनिधियों के काफी करीब होतें हैं और निति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | यहाँ तक की इन मंत्रियों के भाषण भी वही तैयार करतें हैं | इनका जबरदस्त प्रभाव होता है | अब यहाँ पर ये सोचना बहुत जरुरी है की क्या सभी जनप्रतिनिधि नितीश कुमार की तरह सशक्त इच्छाशक्ति वाले होतें हैं ? शायद नहीं ? ऐसे में उनकी ही चलती है | और वे भी देश को लूटने का मौक़ा नहीं चुकते | आपको मालूम ही होगा की ‘’मनरेगा” प्रोग्राम को कानून का दर्जा क्यूँ दिया गया ? लोगों को क्यूँ १०० दिन के रोजगार की गारंटी दी गयी ..और पूरा न होने पर इसके लिए दंड का प्रावधान भी किया गया | यही प्रोग्राम आज तक का देश का सर्वाधिक सफल प्रग्राम बन सका ...हालांकि कुछ राज्यों में इसमें भी व्यापक भ्रष्टाचार पाए गए , पर अधिकतर राज्यों में ये अन्य रोजगार प्रोग्रामों से ज्यादा सफल हो सका | क्या इसका श्रेय इस बात को नहीं दिया जाए की इसे कानून बनाकर लागू किया गया इसलिए सफल हो सका ? कुल मिलाकर यही कह सकतें है की जागरूकता और जनप्रतिनिधि के चुनाव में परिपक्वता आ जाने के पूर्व लोकपाल जैसे कानूनों की सख्त आवश्यकता है ..जब सामाजिक और राजनैतिक संरचना विकसित हो जायेगी तो हमें स्वं लोकपाल जैसे कानून की आवश्यकता महसूस नहीं होगी |
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03-01-2012, 10:33 AM | #109 | |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
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हमारे इतने बड़े देश में जहां पर एक हजार के आस पास मंत्री हैं...कुछ गिने चुने मंत्री ही ईमान दार हैं....तो फिर लोकपाल ईमानदार ही रहेगा और इन बाकी मंत्रियों की तरह काम नहीं करेगा इस बात की क्या गारंटी हैं....?? मेरे विचार से हमें सबसे पहले यही चीज सुनिश्चित करनी होगी...कि ज्यादा से ज्यादा ईमानदार छवि के लोग राजनीति में आ सकें...ऐसा माहौल बनाने की कोशिश करनी होगी.... जनता को अपने आप को राजनितिक सामाजिक और आर्थिक रूप से सुद्रढ़ बनाना होगा और अपने अंदर इतनी हिम्मत लानी होगी कि बदलाव के प्रवाह को अपने कन्धों पर ढो सके...
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03-01-2012, 10:14 PM | #110 | |
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Re: आइए भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं
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धन्यवाद. |
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