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12-03-2011, 07:21 PM | #1 |
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Re: अदालत
मैंने तो खुद से बोला था
आपलोगों ने सुन कैसे लिया
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
12-03-2011, 07:24 PM | #2 |
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Re: अदालत
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12-03-2011, 07:25 PM | #3 |
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Re: अदालत
ऐसा किसने बोला था
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
12-03-2011, 07:29 PM | #4 |
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Re: अदालत
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12-03-2011, 07:35 PM | #5 |
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Re: अदालत
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
12-03-2011, 07:23 PM | #6 |
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Re: अदालत
मी लोर्ड आज का समय समाप्त होने वाला है
अब जल्दी से फैसला सुनाइये या फिर अगली तारीख दे दी जाय
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
12-03-2011, 07:27 PM | #7 |
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Re: अदालत
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17-03-2011, 03:27 PM | #8 |
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Re: अदालत
काला कोट आ गया
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
17-03-2011, 03:31 PM | #9 |
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Re: अदालत
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Gaurav kumar Gaurav |
17-03-2011, 03:40 PM | #10 |
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Re: अदालत
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( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
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