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03-03-2013, 04:09 AM | #1 |
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अकेलापन
अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसमें लोग बहुत तीव्रता से खालीपन और एकान्त का अनुभव करते हैं
अकेलेपन की तुलना अक्सर खाली, अवांछित और महत्वहीन महसूस करने से की जाती है. अकेले व्यक्ति को मजबूत पारस्परिक संबंध बनाने में कठिनाई होती है.
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
03-03-2013, 04:13 AM | #2 |
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Re: अकेलापन
एकांत से विभेद
अकेलापन और अकेला होना एक समान नहीं है. बहुत से लोग अनेक बार परिस्थितियों के कारण या इच्छा से अकेले हो जाते हैं. अगर यह व्यक्ति के नियंत्रण में है तो अकेला होना एक सकारात्मक, सुखद और भावनात्मक रूप से तरोताज़ा करने वाला अनुभव हो सकता है. अकेला होने और अन्य लोगों से परे रहने की अवस्था एकांत है और अक्सर इसका अर्थ अपनी इच्छा से अकेले होना है
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03-03-2013, 04:15 AM | #3 |
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Re: अकेलापन
अवांछित एकांत का परिणाम अकेलापन है. अकेलापन अनुभव करने के लिए अकेले होने की आवश्यकता नहीं है इसे भीड़ भरे स्थानों में भी अनुभव किया जा सकता है. इसे पहचान, समझ, या दया का अभाव के रूप में वर्णित किया जा सकता है. अकेलेपन को अन्य व्यक्तियों से अलगाव की भावना के रूप में वर्णित किया जा सकता है, भले ही कोई शारीरिक रूप से दूसरों से अलग हो या नहीं. इसे प्यार या साहचर्य की तड़प के रूप में वर्णित किया जा सकता है जो अधूरी है लेकिन जो अप्राप्य है या किसी के जीवन में प्यार की कमी से पैदा हो और इसलिए अस्वीकृति, निराशा और आत्म सम्मान की कमी जैसी भावनाओं को जन्म दे.
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03-03-2013, 04:16 AM | #4 |
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Re: अकेलापन
अकेलेपन की भावना मौत या किसी प्रिय की मृत्यु होने पर भावनाओं के समान हो सकती है.
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03-03-2013, 04:19 AM | #5 |
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Re: अकेलापन
व्यक्तियों के रूप में उनके विकास में, मानव जन्म के समय ही अलगाव की प्रक्रिया हो जाती है जो वयस्कता की ओर बढ़ रही स्वतंत्रता के साथ जारी रहती है. वैसे तो, अकेला महसूस करना एक स्वस्थ भावना है और वास्तव में एक अवधि का एकांतवास करना लाभदायक भी हो सकता है.
तथापि अकेलेपन का अनुभव एक गहन स्तर पर असहनीय अलगाव की भावना से अभिभूत होना भी हो सकता है.
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03-03-2013, 04:21 AM | #6 |
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Re: अकेलापन
यह परित्याग, अस्वीकृति, निराशा, असुरक्षा, चिंता, नैराश्य, निकम्मापन, अर्थहीनता और आक्रोश की भावनाओं में फलीभूत हो सकता है.
अगर ये भावनाएं लंबे समय तक बनी रहें तो वे दुर्बल बना सकती हैं और प्रभावित व्यक्ति को स्वस्थ रिश्ते और जीवन शैली विकसित करने से रोकती हैं. अगर व्यक्ति को विश्वास हो जाए कि वह प्यार के अयोग्य है तो उसकी पीड़ा बढ़ जाती है और वह सामाजिक संपर्क से कतराने लगता है. आत्मसम्मान में कमी से अक्सर सामाजिक वियोग उत्पन्न होता है जिससे अकेलापन हो सकता हैं.
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04-03-2013, 07:32 AM | #7 |
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Re: अकेलापन
सत्य वचन
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
03-03-2013, 08:38 AM | #8 |
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Re: अकेलापन
एक अत्यंत गंभीर विषय पर आपने जन सामान्य एवं विशेषज्ञों के सन्दर्भ से जो जानकारी यहाँ प्रस्तुत की है उससे आपके अन्वेषक रूप के दर्शन होते हैं. दार्शनिक अकेलापन जहाँ व्यक्ति के विकास में अनादिकाल से सकारात्मक भूमिका में दिखाई देता है वहीँ सामाजिक अकेलापन वर्तमान युग की देन है जो धीरे धीरे मानसिक रुग्णता में रूपांतरित हो जाता है. इतने महत्वपूर्ण विषय को उठाने के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ और विषय से जुड़े हुए और उसे परिभाषित करने वाले चित्र देने के लिए आभार.
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03-03-2013, 08:35 PM | #9 |
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Re: अकेलापन
चित्रों से भरपूर एक रोचक जानकारी। हार्दिक धन्यवाद बन्धु।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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अकेलापन, तन्हाई, isolation, loneliness, solitude, tanhayi |
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