23-02-2012, 05:23 PM | #381 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने कार्पेन्ट्रिया की खाड़ी में समुद्री सांप की एक नई प्रजाति को ढूंढ निकाला है। आस्ट्रेलिया के निकट स्थित इस इलाके में पाये गये इन सापों के विकास में बारे में वैज्ञानिक अब जानकारी जुटायेंगे। अजीब तरह की केंचुली वाले इस सांप का नाम वैज्ञानिकों ने ‘हाइड्रोफिस डोलान्लडी’ रखा है। आम भाषा में इसे ‘रफ स्केल्ड सी स्नेक’ के नाम से जाना जायेगा। इस सांप को खोजने वाले दल का नेतृत्व करने वाले प्रो0 ब्रायन फ्राई ने कहा कि इसको अभी तक इसलिये नहीं खोज पाया गया क्योंकि यह खाड़ी के इलाके में रहता है जहां ठीक से सर्वेक्षण नहीं किया जाता है। उन्होंने बताया, ‘हमने एक ही रात में 200 ऐसे सांपों को देखा। वैसे आजकल समुद्री सांपो की संख्या निरंतर कम होती जा रही है।’ इस खोज को ‘जूटाक्सा’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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23-02-2012, 05:25 PM | #382 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
450 ग्राम की पथरी का सफल आपरेशन
नई दिल्ली। दिल्ली के एक निजी अस्पताल में एक व्यक्ति के मूत्राशय से आपरेशन कर 450 ग्राम वजन की पथरी निकाल कर उसे नयी जिन्दगी प्रदान की गयी। दिल्ली में आर जी स्टोन यूरोलाजी ओर लेप्रोस्कोपी हास्पिटल ने उत्तर प्रदेश में अकबरपुर (अंबेडकर नगर) के अमलेश कुमार का आपरेशन कर क्रिकेट के गेंद के आकार से भी बड़ी पथरी निकाली। दिल्ली में पलंबर का काम करने वाले अमलेश कुमार पिछले 20 वर्षों से अपने पेट के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव कर रहे थे । देशी-अंग्रेजी इलाज कराकर परेशान अमलेश आर जी स्टोन हास्पिटल गए, जहां वैसाइकल कैलकुलस पथरी की समस्या का पता चला । इसके बाद डाक्टरों ने इसका आपरेशन कर इसे सफलतापूर्वक निकाल दिया।
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23-02-2012, 05:26 PM | #383 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
मांसाहारी लोगों के लिये वैज्ञानिको ने बनाया मांसरहित उत्पाद
टोरंटो। वैज्ञानिकों ने सब्जियों पर आधारित दुनिया के पहले ऐसे उत्पाद को विकसित करने का दावा किया है जो मांसाहारी लोगों को जुबान और जेब दोनों ही तरीके से संतुष्ट कर सकेगा । शोधकर्ताओं ने कहा कि यह सफलता दुनियाभर में मांस की बढती मांग को पूरा करने में मदद कर सकता है । एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2050 तक मांस का उपभोग दोगुना हो सकता है । मुख्य शोधकर्ता पैट्रिक ब्राउन ने कहा कि अपनी तरह का यह पहला खाद्यान इस साल के अंत तक बाजार में आ जायेगा।
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23-02-2012, 05:27 PM | #384 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अनिद्रा नींद जीन का पता चला
लंदन। वैज्ञानिकों ने ‘अनिद्रा जीन’ का पता लगाने का दावा किया है । इससे अनिद्रा बीमारी के प्रभावी इलाज का मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है। न्यूयार्क के राकफेलर विश्वविद्यालय के एक दल ने कहा कि उसने मधुमक्खियों में एक आनुवांशिक उत्परिवर्तन की पहचान की है। उसने पाया कि जिन मधुमक्खियों में ऐसी स्थिति होती है वे सामान्य की तुलना में दो तिहाई कम सो पाती हैं और उनका जीवनकाल भी छोटा होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जीन मस्तिष्क कोशिकाओं से कुछ खास तरह के उस प्रोटीन को हटा देते हैं जो नींद लाने में मदद करती हैं। डेली मेल की खबर के मुताबिक यह अनुसंधान कहता है कि हालांकि जीवनशैली की दृष्टि से मधुमक्खियों और मानव में नाममात्र समानताएं हैं लेकिन नींद और जगने की यांत्रिकी संभवत: समान है। मुख्य अध्ययनकर्ता डॉ. निकोलस स्टार्वोपोलोस ने कहा, ‘नींद सभी जीवों में स्वाभाविक प्रवृत्ति हैं लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से इसकी अच्छी समझ विकसित नहीं हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘यह खोज हमें इस बारे में नये सुराग देती है कि आणविक स्तर पर कैसे नींद नियंत्रित होता है। यह नींद रोग को समझने तथा उसके इलाज में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।’
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23-02-2012, 05:28 PM | #385 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
हृदयाघात से क्षतिग्रस्त उत्तक की मरम्मत के लिए आया जैल
वाशिंगटन। अनुसंधानकर्ताओं ने एक ऐसा जैल तैयार करने का दावा किया है जिसका उपयोग हृदयाघात से क्षतिग्रस्त उत्तक की मरम्मत के लिए किया जा सकता है। ‘जर्नल आफ अमेरिकन कॉलेज आफ कार्डियोलोजी’ के नवीनतम अंक के अनुसार कारेन क्रिस्टमैन की अगुवाई में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय की एक टीम को अगले साल तक उस जेल पर प्रायोगिक परीक्षण की आशा है। क्रिस्टमैन ने कहा कि हाइड्रोजेल जैसा इलाज एक स्वागतयोग्य कदम है क्योंकि फिलहाल हृदय उत्तक को होने वाली क्षति की मरम्मत के लिए कोई स्थापित इलाज नहीं है। यह हाइड्रोजेल हृदय संयोजक उत्तक से बना है । इसके तहत हृदय पेशीय कोशिका की उपरी परत हटा दी जाती है, उसे फ्रीज में सुखा दिया जाता है और फिर पाउडर में बदल दिया जाता है। उसके बाद उसे तरल बना दिया जाता है।
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24-02-2012, 05:44 PM | #386 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
ट्विटर पर लंबा समय गुजारना ‘हानिकारक’: ट्विटर बॉस
वाशिंगटन। अधिक ट्विट की आदत से बाज आयें क्योंकि खुद ट्विटर के बॉस का कहना है कि घंटों ऐसा करते रहना नुकसानदेह हो सकता है। ट्विटर के सह संस्थापक और क्रिएटिव डायरेक्टर बिज स्टोन ने कहा है कि ट्विटर पर 50 करोड़ से ज्यादा यूजर घंटो तक ट्वीट करते रहते हैं यह स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि अपनी जिंदगी को भूलकर सिर्फ ट्वीट करते रहने वालों की तुलना में वह कम समय गुजारने वालों को पसंद करेंगे। ‘डेली टेलीग्राफ’ आनलाइन ने मांट्रियल में एक सम्मेलन में स्टोन द्वारा दिए गए बयान का जिक्र करते हुए यह कहा है। स्टोन ने कहा कि प्रशंसकों के साइट का प्रयोग करने की तुलना में वह चाहेंगे प्रशंसक वह सब करें जो वह चाहते हैं। यूजरों की शिकायत है कि 140 कैरेक्टर संदेश वाले इस साइट से लत लग जाती है और कुछ यूजर तो इस पर 12 घंटे तक लगातार बने रहते हैं। स्टोन ने कहा कि वह नहीं चाहते कि लोग लंबे समय तक ट्वीटर का प्रयोग करते रहें। वह चाहेंगे कि लोग या तो दूसरी बेबसाइट का प्रयोग करें या फिर लंबे समय तक ट्वीट न करें। हालांकि स्टोन ने यह भी कहा कि ट्विटर के 140 कैरेक्टर सीमा में बढोतरी को कोई इरादा नहीं है।
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24-02-2012, 05:44 PM | #387 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अब पता लगा उम्र के साथ क्यों मांसपेशिया हो जाती हैं कमजोर
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अब इस राज का खुलासा हो चुका है कि उम्र बीत जाने के बाद मांसपेशियों में कमजोरी क्यों आ जाती है। उनका मानना है कि ऐसा मांसपेशियों और तंत्रिकाओं के बीच जुड़ाव के खत्म हो जाने के कारण होता है। अंतराष्ट्रीय दल का कहना है कि इस खोज से उम्रदराज लोगों की मांसपेशियों में आ रही कमजोरी को कम करने और उनके स्वास्थ में बेहतरी लाने के लिये नये रास्ते खुलेंगे। ‘पीएलओएस वन’ जर्नल में छपे इस शोध में वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आपकी तंत्रिकायें मांसपेशियों से अलग होती जा रही हैं तो आपकी मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। उम्रदराज लोगों में मांसपेशियों के वजन में कमी आ जाने को ‘सैक्रोपीनिया’ के नाम से जाना जाता है। 60 साल की उम्र से अधिक तकरीबन हर व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि इस खोज से सैक्रोपीनिया को कम करने के उपाय मिलेंगे और मांसपेशियों को कमजोर होने से बचाया जा सकेगा।
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25-02-2012, 04:37 PM | #388 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
जान भी ले सकती हैं स्मृतिलोप की दवाएं
लंदन। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि मनोरोगियों को दी जाने वाली दवाएं स्मृतिलोप (डिमेंशिया) रोगी को दी जाएं, तो उससे जान को खतरा हो सकता है। यह वे दवाएं हैं, जो डेमेंशिया के रोगी को अधिक गुस्सा आने पर दी जाती हैं। इनसे रोगी को नींद आने लगती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल द्वारा किए गए शोध में बताया गया है कि ऐसी दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह शोध ‘ब्रिटिश मेडिकल जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बहुत खतरनाक माने जाने वाली रिसपेरिडोन से भी कुछ दवाओं का असर दोगुना है। इन दवाओं की अधिकम मात्रा में खुराक लेने से रोगी की मौत की संभावना बढ़ जाती है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ एंगिला के डॉ. क्रिस फॉक्स ने बीबीसी से कहा कि इस शोध से इन दवाओं की हानि के बारे में बहुत जानकारी मिल सकती है।
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25-02-2012, 04:38 PM | #389 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
... तो क्या आपकी होशियारी के लिये आपके जीन जिम्मेदार हैं
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने अब यह दावा किया है कि यदि कोई इंसान अधिक होशियार है, तो उसमें उसके अधिकतर जीन का कोई हाथ नहीं है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि बुद्धिमता और जीन संरचना में कोई अधिक संबंध नहीं है। अपने शोध में उन्होंने पाया कि जीन की संरचना बार बार दोबारा अपने को दोहराने में नाकाम रही। उन्होंने बताया कि सिर्फ एक जीन ही होशियारी पर प्रभाव डालती हुई मालूम होती है जिसका प्रभाव भी बहुत ही कम है। शोध दल के सदस्य क्रिस्टोफर चाबरिस ने बताया कि यह पता लगाना बहुत ही मुश्किल है कि कौन सी जीन बुद्धिमता पर असर डाल सकती है। हालांकि दल का मानना है कि 10 -15 सालों बाद ऐसी तकनीक विकसित की जा सकेगी जिससे ऐसा पता लगाया जा सके। चाबरिस ने कहा, हम यह नहीं कह रहे कि इस क्षेत्र में जिन वैज्ञानिकों ने पहले शोध किया है वे गलत थे। उनको पास जो तकनीकें थी, वे उनका इस्तेमाल कर रहे थे। इस समय ऐसा माना जाता था कि कुछ जीन विशेष रूप से प्रभाव डालती हैं। यह तार्किक निष्कर्ष थे। पर इन जीन का प्रभाव निष्कर्षों से भी बहुत ही कम होता है। इस शोध को ‘साइकोलोजिकल सांइस’ जर्नल में छापा जाएगा।
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28-02-2012, 06:09 PM | #390 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
महिलाओं में असीमित होता है अंडाणुओं का बनना
लंदन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि महिलाओं के गर्भाशय में असीमित समय तक अंडाणुओं का निर्माण होता रहता है और एक समय ऐसा आएगा जब उनके लिए अधिक उम्र में भी मां बनना संभव हो सकेगा। अमेरिका में मैसाचुसेट्स जनरल हास्पिटल की अगुवाई में वैज्ञानिकों के एक दल ने पाया है कि महिलाओं के गर्भाशय में स्टेम सेल होती हैं, जिनकी मदद से लैग में ‘‘अपने आप’’ अंडाणुओं का निर्माण किया जा सकता है। पहले ऐसा माना जाता रहा है कि महिलाओं में जन्म के समय ही तय हो जाता है कि उनके गर्भाशय में कितने अंडाणु होते हैं और ये रजोनिवृत्ति के चरण तक पहुंचते पहुंचते धीरे धीरे कम होना शुरू हो जाते हैं, लेकिन मुख्य शोधकर्ता डा जोनाथन टिली ने कहा है कि नया शोध इस पुरानी मान्यता को ध्वस्त करता है। सबसे पहले इस संबंध में 2004 में चूहों पर शोध किया गया था। नेचर जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने उन मानवीय स्टेम सेल की पहचान करने और उन्हें हासिल करने में सफलता हासिल की है जो अंडाणु में परिवर्तित होते हैं क्योंकि इन सभी में एक अनोखा प्रोटीन डीडीएक्सफोर होता है। जब इन्हें लैब में बनाया गया तो ये अपने आप अपरिपक्व अंडाणुओं में तब्दील हो गयीं। ये कोशिकाएं जीवंत मानवीय गर्भाशय उतकों के संपर्क में आने पर ‘‘परिपक्व’’ हो गयीं जिन्हें चूहों में रोपा गया था।
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