12-08-2014, 07:32 AM | #1 |
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न्यायिक सक्रियता और नया राष्ट्रीय गीत
(आलेख आभार: रविशंकर श्रीवास्तव) भाई ई समय बड़ा बलवान होत है. अउर नहीं तो क्या? अउर समय के हिसाब से अपनी पसंद भी बदल जाती है. अब ये ही देख लो - कुछ ही समय पहले हम सभी न्यायिक सक्रियता पर बड़ा खुश होते थे. न्यायाधीशों के और न्यायालयों के प्रशंसा के पुल के पुल बाँध देते थे. और आज स्थिति ये है कि न्यायिक अतिसक्रियता को हम सभी न्यायिक अश्लीलता, न्यायिक तालिबानिता और न्यायिक अनौचित्यता बताने में तुले पड़े हैं. आज हर आदमी हर ओर से न्यायालयों और न्यायाधीशों को गरिया रहा है. सरकार भी गरिया रही है और जनता भी. नेता भी और अनेता भी. भले ही न्यायालयों में हजारों लाखों केस सुनवाई के लिए, फैसलों के लिए निलंबित पड़े हों, जनहित याचिकाओं और स्वतः संज्ञान लिए प्रकरणों के निपटारों में तीव्रता को जनता ने हाथों हाथ लिया था. जेसिका लाल प्रकरण पर जैसे ही लोगों ने भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर थूकना चालू किया, न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर लोगों का न सिर्फ मुँह बंद किया बल्कि त्वरित फ़ैसला देकर कुछ प्रशंसा के बोल भी अपने लिए जुटाए थे. पर अब अचानक ये क्या हो गया कि न्यायालय और न्यायाधीश खुद जनता के कटघरे में खड़े दीखते हैं.
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12-08-2014, 07:42 AM | #2 |
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Re: न्यायिक सक्रियता और नया राष्ट्रीय गीत
शिल्पा-गेर प्रकरण थमा ही नहीं था कि मंदिरा बेदी के साड़ी पर छपे भारतीय झंडे का मामला सामने आ गया. यानी आप गर्व से भारतीय झंडे को अपने शरीर पर लपेट भी नहीं सकते. इससे भारतीय झंडा अपमानित हो जाता है, भारत अपमानित हो जाता है. अमरीकी जनता पामेला एंडरसन जैसी हसीनाओं को अमरीकी झंडे के स्टार और स्ट्राइप के बिकिनी पहने देख खुश होती है, गर्वित होती है अमरीका और अमरीकी झंडे का सम्मान होता है. परंतु भारतीय जनता मंदिरा की साड़ी में तिरंगा देख कलपने लगती है. भारत और भारतीयता को अपमानित होता देखती है. न्यायालय में केस लग जाता है.
^ इधर साड़ी विवाद आता है तो उधर हुसैन की संपत्ति जब्त करने का मामला आ जाता है. हुसैन अपनी कला बनाते कहीं और हैं, प्रदर्शित करते कहीं और हैं, मीडिया में आता कहीं और है, और हरिद्वार के न्यायालय में केस दर्ज होता है हिन्दू धर्म और देवी-देवताओं के अपमान का. राजेन्द्र यादव के शब्दों में - अगर हुसैन को नग्न देवी देवताओं को चित्रित करने का दंड मिलता है, तो हर शहर और हर गांव के पंडे पुजारियों और भक्तों को ये सज़ा मिलनी चाहिये जो सार्वजनिक रूप से शिवलिंग स्थापित करते हैं और उसकी पूजा-अर्चना करते हैं.
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12-08-2014, 07:44 AM | #3 |
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Re: न्यायिक सक्रियता और नया राष्ट्रीय गीत
कल को यकीनन चिट्ठाजगत् भी न्यायिक अश्लीलता के गिरफ़्त में आ जाएगा. इधर आप कुछ विवादित मुद्दों पर कुछ विवादित विचार लिख देंगे या छाप मारेंगे और उधर कोई उत्साही जनहित-याचिकाकर्ता भारतीय न्यायालय में कोई पीआईएल लगा देगा और कोई तालिबानी विचारधारा वाला न्यायाधीश आपकी गिरफ़्तारी का वारंट भेज देगा, आपको सज़ा दे देगा. भले ही आप टोरंटो में रह कर चिट्ठा लिख रहे हों, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता. आप भारतीय पुलिस और भारतीय न्याय व्यवस्था के भगोड़े घोषित कर दिए जाएंगे और भारत की आपकी पैतृक संपत्ति, यदि कोई हो तो कुर्क कर ली जाएगी.
तब तक इस भय में जीते रहने के अलावा और कोई चारा नहीं है, इसीलिए आइए इंडिया का नया राष्ट्रीय गीत गाकर इस भय को थोड़ा सा भगाने का प्रयत्न करें- इन इंडिया, एवरीवन केन पब्लिकली शिट एंड पिस, बट यू केननॉट किस **
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13-08-2014, 01:01 PM | #4 | |
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Re: न्यायिक सक्रियता और नया राष्ट्रीय गीत
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