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24-12-2014, 09:29 PM | #1 |
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हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के स&
मित्रो थोड़ी देर बाद
क्रिसमस डे यानी २५ दिसम्बर आने वाला है मन में आया क्यूँ ना एक सूत्र सांता से सम्बंधित ही हो जाए सन १९८८८-८९ में कक्षा पांच में एक कहानी पढ़ी थी ... एक गरीब लड़की थी ...बुडीया दादी के साथ रहती थी .... हम गरीब क्यूँ है पूछने पर दादी कहती है ...आज रात फ़रिश्ता आयेगा... वहां एक अमीर आदमी था निकोलस वो उसके घर में उसका भगवान् पे विश्वास देख कर सोने की छड दाल जाता है ... येही आगे चल के संत निकोलस या संता क्लोज कहलाता है .... पेश ---ए----खिदमत है कुछ इकट्ठा की गयी जानकारी ......
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
24-12-2014, 09:32 PM | #2 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
सांता क्लॉज़
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24-12-2014, 09:34 PM | #3 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
क्रिसमस पर सांता क्लॉज क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रेम व मानवता का संदेश तो देता ही है साथ ही यह भी बताता है कि खुशियां बांटना ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। सांता क्लॉज़ द्वारा बच्चों को उपहार बांटना इसी बात का प्रतीक है। जब-जब सांता क्लॉज़ की बात चलती है, तो मन में एक ऐसे व्यक्ति की छवि उभरती है, जो दानशील है, दयालु है और सबके चेहरे पर खुशियां बिखेरने के लिए, ख़ासतौर पर नॉर्थ पोल से चलकर आता है। सांता केवल एक धर्म विशेष के नहीं बल्कि पूरी मानवता के जीवन्त प्रतीक है। सांता क्*लाज़ लाल व सफ़ेद ड्रेस पहने हुए, एक वृद्ध मोटा पौराणिक चरित्र है, जो रेन्डियर पर सवार होता है। सांता क्लॉज़ का नाम सभी बच्चे विशेष रूप से जानते हैं। हो..हो..हो.. कहते हुए लाल-सफेद कपड़ों में बड़ी-सी श्वेत दाढ़ी और बालों वाले, कंधे पर गिफ्ट्स से भरा बड़ा-सा बैग लटकाए, हाथों में क्रिसमस बेल लिए सांता क्लॉज़ बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। बच्चों के प्यारे सांता जिन्हें ‘‘संत निकोलस’’, क्रिस क्रींगल, क्रिसमस पिता भी कहा जाता है, जो केवल क्रिसमस वाले दिन ही आते हैं। इस दिन सांता क्*लॉज बच्चों को चॉकलेट्स, उपहार देकर बच्चों की मुस्कुराहट का कारण बन जाते हैं। तभी तो हर क्रिसमस बच्चे अपने सांता अंकल का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।
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24-12-2014, 09:37 PM | #4 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
सांता क्लॉज़ से जुड़ी मान्यता ऐसी मान्यता है कि साल भर सांता क्लोज़ और मिसिज क्लोज़ बच्चों के लिए, खिलौने, कुकी, केक, पाई, बिस्कुट, केंडी तैयार करवाते हैं। इसके बाद सेंटा क्लॉज़ उपहार को एक बड़ी सी झोली में भरकर वो क्रिसमस के पहले की रात यानी 24 दिसंबर को अपने 8 उड़ने वाले रेनडियर वाले स्लेज पर बैठकर किसी बर्फीले जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं। सांता के रेंडीयरों के नाम हैं, ‘‘रुडोल्फ़, डेशर, डांसर, प्रेन्सर, विक्सन, डेंडर, ब्लिटज़न, क्युपिड और कोमेट’’। सान्ता क्लोज़ ख़ास तौर से क्रिसमस के त्यौहार में बच्चों को खिलौने और तोहफे बांटने ही तो उत्तरी ध्रुव पर आते हैं बाकि का समय वे लेप लैन्ड, फीनलैन्ड में रहते हैं। बहुत बरसों पहले की बात है जब साँता क्लोज और उनके साथी और मददगार एल्फों की टोली ने जादू की झिलमिलाती धूल, रेंडीयरों पर डाली थी उसी के कारण रेंडीयरों को उडना आ गया। सिर्फ क्रिसमस की रात के लिये ही इस मैजिक डस्ट का उपयोग होता है और सान्ता क्लोज़ अपना सफर शुरू करे उसके बस कुछ लम्होँ पहले मैजिक डस्ट छिड़क कर, शाम को यात्रा का आरम्भ किया जाता है। और बस फुर्र से रेंडीयरों को उडना आ जाता है और वे क्रिसमस लाईट की स्पीड से उड़ते हैं, बहुत तेज। बच्चे जो उनका इन्तजार कर रहे होते हैं। हर बच्चा, दूध का गिलास और 3-4 बिस्कुट सांता के लिए घर के एक कमरे में रख देता है। जब बच्चे गहरी नींद में सो जाते हैं और परियां उन्हें परियों के देश में ले चलती हैं, उसी समय सांता जी की रेंडीयर से उडने वाली स्ले हर बच्चे के घर पहुँच कर तोहफा रख फिर अगले बच्चे के घर निकल लेती है।
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24-12-2014, 09:38 PM | #5 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
संत निकोलस संत निकोलस सांता क्लॉज़ शब्द की उत्पति डचसिंटर से हुई थी। सांता क्लॉज़ की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की। माना जाता है कि सांता का घर उत्तरी ध्रुव में है और वे उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। सांता का यह आधुनिक रूप 19वीं सदी से अस्तित्व में आया उसके पहले ये ऐसे नहीं थे। लगभग डेढ़ हज़ार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है। हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है फिर भी वर्तमान समय में सांता क्लॉज़ क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना क्रिसमस अधूरा सा लगता है। * संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी (300 ईसा पूर्व) में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। मोनैस्ट्री में पला-बढा निकोलस 17 वर्ष की आयु में पादरी बन गए। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में *एशिया माइनर के बिशप बने। निकोलस बहुत ही दयालु और परोपकारी थे। जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें। उन्हें बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार था। उन्हें गरीब और बेसहारा बच्चों को उपहार देना बहुत अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को उपहार देते थे। संत निकोलस को बच्चों से ख़ास लगाव था वे उन्हें बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से बच्चों को हमेशा उपहार दिया करते थे। यह बुजुर्ग ईसा का एक समर्पित अनुयाई था। वह ईसा जयंती के दिन किसी भी व्यक्ति को धन की कमी के कारण त्योहार मनाने से वंचित नहीं देखना चाहता था। इस कारण वह लाल रंग के विशेष वेशभूषा में (अपना चेहरा छुपा कर) ग़रीबों के घर जाकर खानपान की सामग्री एवं बच्चों के लिये खिलौने बांटा करता था। संत निकोलस अपने उपहार आधी रात को ही देते थे क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नज़र आना पसंद नहीं था। वे अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे। इसी कारण बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता। आज भी कई जगह ऐसा ही होता है अगर बच्चे जल्दी नहीं सोते तो उनके सांता अंकल उन्हें उपहार देने नहीं आते हैं। निकोलस धनी नहीं था, अत: उसके इस त्याग को देख कर लोग उसे 'संत निकोलस' (सेंट निकोलस) नाम से संबोधित करने लगे। उसकी मृत्यु के बाद उस तरह की वेशभूषा में लोगों को जरूरी सामग्री बांटना कई लोगों की आदत बन गई। ये सब संत निकोलस कहलाये जाते थे। कालांतर में सेंट निकोलस नाम बदल बदल कर 'सांता क्लॉज़' हो गया। कुल मिला कर कहा जाये तो 'सांता क्लॉज़' उसी बात को प्रदर्शित करता है जो ईसा का संदेश था कि हर किसी को अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना चाहिये।
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24-12-2014, 09:39 PM | #6 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
संत निकोलस की दरियादिल*ी की कहानी संत निकोलस की दानशीलता के बारे में कई तरह की कहानियां हैं। कहते हैं, तरह-तरह की चीजों को बैग में भर-भर कर वे खिडकियों से बाहर फेंक देते थे, जिसका लाभ उठाते थे वे लोग जो ग़रीब व असहाय थे। संत निकोलस की दरियादिल*ी की एक बहुत ही मशहूर कहानी है कि उन्होंने एक ग़र*ीब की मदद की। जिसके पास अपनी तीन बेटियों की शादी के लिए पैसे नहीं थे और मजबूरन वह उन्हें मजदूरी और देह व्यापार के दलदल में भेज रहा था। तब निकोलस ने चुपके से उसकी तीनों बेटियों की सूख रही जुराबों में सोने के सिक्कों की थैलियां रख दी और उन्हें लाचारी की ज़िंदगी से मुक्ति दिलाई। इन सिक्कों से ही उन लड़कियों की शादी अच्छे से हो गई। बस तभी से क्रिसमस की रात दुनियाभर के बच्चे इस उम्मीद के साथ अपने मोजे बाहर लटकाते हैं कि सुबह उनमें उनके लिए गिफ्ट्स होंगे। बच्चों का ऐसा मानना है कि संत निकोलस यानी सांता क्लॉज़ उन्हें बहुत सारे उपहार देंगे। दुनियाभर में इससे मिलती जुलती परम्पराएँ है। इसी प्रकार फ्रांस में चिमनी पर जूते लटकाने की प्रथा है। हॉलैंड में बच्चे सांता के रेंडियरर्स के लिए अपने जूते में गाजर भर कर रखते हैं। हंगरी में बच्चे खिड़की के नज़दीक अपने जूते रखने से पहले खूब चमकाते हैं ताकि सांता खुश होकर उन्हे उपहार दे। यानि की उपहार बाँटने वाले दूत को खुश कर उपहार पाने की यह परम्परा सारी दुनिया में प्रचलित है। इसी प्रचलन से उन्हें बच्चों का संत कहा जाने लगा। सांता क्लॉज़ की सद्भावना और दयालुता के किस्से लंबे अरसे तक कथा-कहानियों के रूप में चलते रहे। एक कथा के अनुसार उन्होंने कोंस्टेटाइन प्रथम के स्वप्न में आकर तीन सैनिक अधिकारियों को मृत्यु दंड से बचाया था। सत्रहवीं सदी तक इस दयालु का नाम संत निकोलस के स्थान पर सेंटा क्लॉज़ हो गया। यह नया नाम डेनमार्क वासियों की देन है।
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24-12-2014, 09:43 PM | #7 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
अमेरिका में क्रिसमस पर्व के उत्साह व उल्लास की तुलना भारत के दीपावली त्योहार से की जा सकती है। दीपावली के पर्व की शुरुआत एक तरह से नवरात्रि स्थापना के साथ ही हो जाती है व दशहरे के बाद यह उल्लास अपने चरम पर पहुंच जाता है। दीपावली पर लोगों का भारी मात्रा में खरीदारी करना एवं सभी मुख्य ब्रांडों द्वारा अपने ग्राहकों को डिस्काउंट (छूट) देना, एक प्रकार की परंपरा बन गई है। बड़ी मात्रा में बिक्री व भारी डिस्काउंट के कारण दीपावली की खरीदारी उपभोक्ताओं व बाजार, दोनों के लिए ही फायदे का सौदा है।
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24-12-2014, 09:44 PM | #8 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
अमेरिका में क्रिसमस के पर्व के दौरान आपको कुछ-कुछ इसी प्रकार का माहौल देखने को मिलेगा। छुट्टी के इस मौसम की उल्टी गिनती होलोवीन के समय से शुरू हो जाती है व थैंक्स गिविंग डे आते-आते अपने चरम पर पहुंच जाती है। लोग अपनी खरीदारी की लिस्ट तैयार रखते हैं व क्रिसमस आने का इंतजार करतें हैं।
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24-12-2014, 09:44 PM | #9 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
दिसंबर का महीना अमेरिका में बसे यहूदी समुदाय के लिए भी उत्सव का महीना रहता है। अमेरिका की कुल जनसंख्या का 2.6% हिस्सा बनाने वाला यहूदी समुदाय इस समय अपना-अपना 8 दिवसीय पारंपरिक ‘हनुका’ उत्सव मनाता हैं। रोशनी के पर्व के रूप में जाने जानेवाले इस त्योहार पर यह लोग लाटका से बना स्वादिष्ट पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं व चार-कोणीय ड्रिडेल वाले खेल का आनंद लेते हैं।
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24-12-2014, 09:49 PM | #10 |
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Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के
अपनी बहुमूल्य राय जरूर रखियेगा मित्रो
घंटो की मेहनत एक बाद एक उत्साहवर्धक टिप्पणी जोश बढ़ा जाती है ... धन्यवाद
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