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Old 11-01-2013, 05:54 PM   #11
jai_bhardwaj
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लाल बहादुर शास्त्री जी की संक्षिप्त जीवन यात्रा





आज देश में हर तरफ भ्रष्टाचार का माहौल है. जहां देखो नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. देश को काफी लंबे समय से कोई ऐसा प्रतिनिधि (प्रधानमंत्री) नहीं मिला जिसका दामन पाक साफ हो. ऐसे हालात में देश के उन महानायकों की कल्पना दिल में शांति दिलाती है जिन्होंने अपने कर्मों से ऐसा आदर्श स्थापित किया है जिस पर चलना लगता है आज के नेताओं के लिए नामुमकिन है. और शायद यही वजह है कि आज के नेता उन महान लोगों को जल्दी याद नहीं करते जिनके आदर्शों पर चलना उनकी बस की बात नहीं. आज के नेता नेहरू और गांधी जी का नाम लेकर अपनी राजनीति तो चमका लेते हैं लेकिन उन नामों को कोई याद नहीं करता जिनकी भूमिका और जिनका कद किसी भी मायने में गांधी जी और नेहरू जी से कम नहीं था. आज देश के ऐसे ही सपूत लालबहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि है जिन्होंने अपनी सादगी और सच्चाई से देश के सामने एक नया आदर्श पैदा किया.
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
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Old 11-01-2013, 05:55 PM   #12
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लालबहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे और उन्होंने उन कठिन परिस्थितियों में देश का नेतृत्व किया जब विदेशी ताकतें और दुश्मन हम पर हावी होने की कोशिश कर रहे थे. जय जवान, जय किसान का नारा देकर उन्होंने भारतवर्ष को एक कर दिया.

लालबहादुर शास्त्री को लोग एक ऐसे नेता के रूप में याद करते हैं जिनकी छवि पर कभी कोई दाग नहीं लगा. जिन्होंने अपनी सादगी और सच्चाई से सबको अपना कायल बना लिया था. गांधीजी के जन्मदिन यानि 2 अक्टूबर को पैदा हुए लालबहादुर शास्त्री में भी लोग गांधीजी की झलक देखते थे. नाटा कद और सांवला रंग देख कई बार लोग उन्हें बेहद कमजोर मानने लगते थे लेकिन उन्होंने अपने इरादों से हमेशा जाहिर किया कि वह भी दृढ़-संकल्प और दृढ़-निश्चयी व्यक्तित्व के धनी हैं.

लाल बहादुर शास्त्री का जीवन
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश के बेहद निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था. इनका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था. शास्त्री जी के पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक गरीब शिक्षक थे जो बाद में भारत सरकार के राजस्व विभाग के क्लर्क के पद पर आसीन हुए. लाल बहादुर की शिक्षा हरीशचंद्र उच्च विद्यालय और काशी पीठ में ही हुई और यहीं स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि से सम्मानित किया गया. तत्पश्चात वह भारत सेवक संघ से जुड़ गए. यहीं से उनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत हुई. इनकी प्रतिभा और निष्ठा को देखते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात कांग्रेस पार्टी ने लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद का उत्तरदायित्व सौंप दिया.
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Old 11-01-2013, 05:59 PM   #13
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आजादी के बाद लाल बहादुर शास्त्री
आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में गोविंद वल्लभ पंत जब मुख्यमंत्री बने तो लाल बहादुर शास्त्री को उत्तर प्रदेश का गृहमंत्री बना दिया गया. नाटे कद व कोमल स्वभाव वाले शास्त्री को देखकर किसी को कल्पना भी नहीं थी कि वह कभी भारत के दूसरे सबसे सफल प्रधानमंत्री बनेंगे.

साल 1951 में लालबहादुर शास्त्री को बहुत ही महत्वपूर्ण “रेल मंत्रालय” का दायित्व मिला. वर्ष 1954 में इलाहाबाद में महाकुंभ मेला लगा. करीब 20 लाख तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था की गई. नेहरू जी ने खुद जायजा लिया ताकि कोई दुर्घटना न हो जाए.

दुर्भाग्यवश मौनी अमावस्या स्नान के दौरान बरसात होने के फलस्वरूप बांध पर फिसलन होने से प्रात: 8.00 बजे दुर्घटना हो ही गई. सरकारी आंकड़ों ने 357 मृत व 1280 को घायल बताया, परंतु ग्राम सेवादल कैंप जिसकी देखरेख मृदुला साराभाई व इंदिरा गांधी कर रही थीं, की गणना के अनुसार यह संख्या दोगुनी थी. दुर्घटना पर जांच कमीशन बैठा. उसने डेढ़ वर्ष बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और रेल अव्यवस्था को दोषी करार दिया. 1956 के मध्य में भी कुछ और रेल दुर्घटनाएं हो गईं. इसलिए नैतिकता के आधार पर शास्त्रीजी ने नैतिक दायित्व मानते हुए रेलमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया.
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Old 11-01-2013, 06:01 PM   #14
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लाल बहादुर शास्त्री का प्रधानमंत्री बनना
लेकिन उनकी साफ छवि के कारण उन्हें साल 1964 में देश का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया. जब लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता खाद्यान्न मूल्यों को बढ़ने से रोकना है. वह ऐसा करने में सफल भी रहे थे. उनका क्रियाकलाप सैद्धांतिक नहीं, बल्कि जनता के अनुकूल था.

हालांकि उनका शासन काल बेहद कठिन रहा. पुंजीपति देश पर हावी होना चाहते थे और दुश्मन देश हम पर आक्रमण करने की फिराक में थे.

1965 में अचानक पाकिस्तान ने भारत पर सायं 7.30 बजे हवाई हमला कर दिया. परंपरानुसार राष्ट्रपति ने आपात बैठक बुला ली जिसमें तीनों रक्षा अंगों के चीफ व मंत्रिमंडल सदस्य शामिल थे. लालबहादुर शास्त्री कुछ देर से पहुंचे. विचार-विमर्श हुआ. तीनों अंगों के प्रमुखों ने पूछा सर क्या हुक्म है? शास्त्री ने तुरंत कहा: “आप देश की रक्षा कीजिए और मुझे बताइए कि हमें क्या करना है?”

शास्त्रीजी ने इस युद्ध में पं. नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और जय जवान-जय किसान का नारा दिया. इससे भारत की जनता का मनोबल बढ़ा और सब एकजुट हो गए. इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी नहीं की थी.

साल 1966 में ही उन्हें भारत का पहला मरणोपरांत भारत रत्न का पुरस्कार भी मिला था जो इस बात को साबित करता है कि शास्त्री जी की सेवा अमूल्य है.
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लाल बहादुर शास्त्री का निधन


उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी, 1966 को उनकी मृत्यु हो गई. यह आज तक रहस्य बना हुआ है कि क्या वाकई शास्त्री जी की मौत हृदयाघात के कारण हुए थी या अपने गलत फैसले के कारण उन्होंने खुद को हानि पहुंचाई थी. कई लोग उनकी मौत की वजह जहर को भी मानते हैं.

भारत की आर्थिक समस्याओं को ठीक ढंग से ना निपटाने और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने की वजह उनकी काफी आलोचनाएं हुईं. लेकिन जम्मू कश्मीर के विवादित प्रांत पर पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ सख्त और दृढ़ व्यवहार अपनाने के लिए उन्हें काफी लोकप्रियता भी मिली.

आज राजनीति में जहां हर तरफ भ्रष्टाचार का बोलबाला है वहीं शास्त्री जी एक ऐसे उदाहरण थे जो बेहद सादगी पसंद और ईमानदार व्यक्तित्व के स्वामी थे. अपनी दूरदर्शिता की वजह से उन्होंने पाकिस्तान को गिड़गिडाने पर विवश कर दिया था.
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पहले तो इस शानदार सूत्र के लिए जय जी, आपका हार्दिक आभार।

लाल बहादुर शास्त्री की बड़ाई करना सूर्य को दिया दिखाने के समान होगा, इसलिए मैं इन बातो में नहीं जाना चाहता की शास्त्री ने ये किये शास्त्री जी ने वो किया।


बड़ा सवाल यह है की अगर तास्कंद समझौते के बाद उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती और वो 7-8 और जिंदा रहते तो आज का भारत कैसा होता, रामचंद्र गुहा ने इसपर काफी रिसर्च किया है उनका कहना है की अगर शास्त्री जी 7-8 साल और जिंदा रहते तो,
  • नेहरु के एक्सट्रीम समाजवाद को खत्म करके फ्री इकॉनमी वाली अर्थव्यवस्था (जो की बाद में 1991 में आई) उसी समय आ गयी होती और देश आज विकासशील नहीं विकसित होता।
  • इंदिरा गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बनती और देश की राजनीति में कभी परिवारवाद नहीं आता।
  • इंदिरा गाँधी एक कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर रिटायर करती और बाद में किसी राज्य की राज्यपाल बन जाती।
  • संजय गांधी मारुती कंपनी के सीईओ होते, राजीव गाँधी आज भी एयर इंडिया में पायलट होते, और दोनों भाई जिंदा होते।
  • सोनिया गाँधी एक गृहणी होती, और राहुल गाँधी किसी प्राइवेट कंपनी में एक औसत से मैनेजर होते।
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Old 11-01-2013, 06:58 PM   #17
jai_bhardwaj
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Originally Posted by abhisays View Post
पहले तो इस शानदार सूत्र के लिए जय जी, आपका हार्दिक आभार।

लाल बहादुर शास्त्री की बड़ाई करना सूर्य को दिया दिखाने के समान होगा, इसलिए मैं इन बातो में नहीं जाना चाहता की शास्त्री ने ये किये शास्त्री जी ने वो किया।


बड़ा सवाल यह है की अगर तास्कंद समझौते के बाद उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती और वो 7-8 और जिंदा रहते तो आज का भारत कैसा होता, रामचंद्र गुहा ने इसपर काफी रिसर्च किया है उनका कहना है की अगर शास्त्री जी 7-8 साल और जिंदा रहते तो,
  • नेहरु के एक्सट्रीम समाजवाद को खत्म करके फ्री इकॉनमी वाली अर्थव्यवस्था (जो की बाद में 1991 में आई) उसी समय आ गयी होती और देश आज विकासशील नहीं विकसित होता।
  • इंदिरा गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बनती और देश की राजनीति में कभी परिवारवाद नहीं आता।
  • इंदिरा गाँधी एक कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर रिटायर करती और बाद में किसी राज्य की राज्यपाल बन जाती।
  • संजय गांधी मारुती कंपनी के सीईओ होते, राजीव गाँधी आज भी एयर इंडिया में पायलट होते, और दोनों भाई जिंदा होते।
  • सोनिया गाँधी एक गृहणी होती, और राहुल गाँधी किसी प्राइवेट कंपनी में एक औसत से मैनेजर होते।


अभिषेक जी, आपने संभावित परिस्थियों बिलकुल सटीक विवरण प्रस्तुत किया है। गंभीरता से विचार करें तो न्यूनाधिक आज यही दृश्य होते यदि शास्त्री जी आज जीवित होते। एक सच यह भी है कि जो सामने है वही सच है जो संभाव्य था अथवा होगा ... वह हमारी कल्पना ही होसकती है। इस वैचार्यपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक अभिनन्दन बन्धु।
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