12-01-2013, 07:42 PM | #11 |
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Re: स्वामी विवेकानन्द
भारत में कई ऐसे महापुरुष हुए जिन्होंने युवाओं के लिए कई कार्य किए और जो युवाओं के लिए एक अहम आदर्श हो सकते थे लेकिन भारतीय सरकार ने सिर्फ स्वामी विवेकानन्द जी को चुना इसके पीछे एक अहम कारण था. दरअसल एक बड़ा वर्ग मानता है कि स्वामी विवेकानन्द आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं. विशेषकर भारतीय युवकों के लिए स्वामी विवेकानन्द से बढ़कर दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता. विवेकानंद जी ने हमेशा युवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया और युवाओं को आगे आने के लिए आह्वान किया. स्वामी विवेकानंद के कथन स्वामी विवेकानंद जी का कहना था कि युवा किसी भी समाज और राष्ट्र के कर्णधार होते हैं और वहीं उसके भावी निर्माता हैं. उनका कहना था कि युवा शक्ति वह स्वरूप है जो नवसृजन के लिए हर जगह उभरनी चाहिए. भारत की युवा पीढ़ी को स्वामी विवेकानन्द से निःसृत होने वाले ज्ञान, प्रेरणा एवं तेज के स्रोत से लाभ उठाना चाहिए. भारत और युवा एक अनुमान के अनुसार भारत की कुल आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत की है जो इसके लिए एक वरदान है. लेकिन यहां सबसे बड़ी चुनौती इस युवा शक्ति के संपूर्ण और सुनियोजित दोहन की है. युवा का उलटा होता है वायु. युवा भी वायु की तरह ही जहां राह मिली वहीं के हो जाते हैं ऐसे में इस युवा शक्ति का सकारात्मक इस्तेमाल जरूरी है वरना इसका नकारात्मक इस्तेमाल विध्वंसात्मक बन जाता है.
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
12-01-2013, 07:43 PM | #12 |
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Re: स्वामी विवेकानन्द
आज भारत की युवा पीढ़ी बहुत अधिक परिश्रम कर रही है. पढ़ाई, कॅरियर और जीवन में आगे आने के लिए उसे अन्य देशों के युवाओं से अधिक स्ट्रगल करना पड़ता है. इसके पीछे कई वजहें हैं जिनमें अहम है शिक्षा व्यवस्था.
भारतीय शिक्षा व्यवस्था भारतीय शिक्षा व्यवस्था को सभी जानते हैं कि यहां मात्र शिक्षा के बल पर रोजगार मिलना कितना मुश्किल है. सरकार बच्चों को किताबी ज्ञान देने पर तो जोर देती है लेकिन व्यवाहारिक ज्ञान देने में हमेशा पीछे ही रहती है. सरकार को चाहिए कि युवाओं को ऐसी शिक्षा प्रदान की जाए जिससे वह आगे जाकर सुलभ रोजगार प्राप्त कर सकें. युवाओं को भटकाने वाले कारक इसके अलावा देश में युवाओं को गलत दिशा में ला जाने वाले कई कारक हैं जैसे नशाखोरी, अर्थहीन फिल्में आदि. इन सब के अलावा इस देश के युवाओं की प्रगति के सबसे बड़े अवरोधक राजनीतिज्ञ ही लगते हैं.
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12-01-2013, 07:44 PM | #13 |
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Re: स्वामी विवेकानन्द
मत ललकारिए इस ताकत को
याद कीजिए वह समय जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मताधिकार की सीमा 18 वर्ष करते हुए “इक्कीसवीं सदी युवाओं की” का आह्वान किया था. तब युवाओं में कितना जोश था लेकिन आज के राजनीतिज्ञ इस मंत्र को भूलकर सिर्फ युवाओं को वोट-बैंक मानने लगे हैं. वह भूल गए हैं कि अगर युवाओं ने अपनी असली ताकत को समझ लिया तो हालातों को 1974 के जेपी आंदोलन की तरह होते देर नही लगेगी. और इस बात को यूपीए सरकार भलीभांति समझती होगी जिसने साल 2011 और 2012 में युवाओं को ताकत को रामलीला मैदान और इंडिया गेट पर देखा है. हाल ही हुए दिल्ली गैंगरेप के बाद जिस तरह से भारतीय युवाओं ने एकता का परिचय दिया वह काबिलेतारीफ था. हां, इस आंदोलन को नेतृत्व की कमी और आक्रोश का एक गलत रूप कहा जा सकता है लेकिन इसने एक बार फिर साबित कर दिया कि युवा चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं. आज का युवा संक्रमण काल से गुजर रहा है. वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है और अपने बलबूते आगे तो बढ़ना चाहता है, पर परिस्थितियां और समाज उसको सहयोग नहीं कर पाते. आप चाहे राजनीति के क्षेत्र में देख लें या फिल्मों में हर जगह आपको स्ट्रगल करते युवा दिखेंगे जो कुछ समय बाद या तो हार मान लेते हैं या फिर गलत रास्तों को अपनाने पर मजबूर हो जाते हैं. अब समय आ गया है जब युवाओं की तरफ सरकार को पूरी तरह से ध्यान देना होगा और देश के भावी निर्माताओं को आगे आने का संपूर्ण मौका देना होगा.
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