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Old 31-10-2010, 09:10 AM   #1
neha
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neha will become famous soon enough
Lightbulb शादी के बाद नौकरी

मुझे यह देखकर काफी हर्ष हो रहा है की इस फोरम पर हिंदी को उचित सम्मान दिया गया है| युवाओ के लिए भी अलग से मंच बनाया गया है.

तो इस युवा मंच पर में पहला थ्रेड बनाते हुआ एक ज्वलंत सामाजिक मुद्दे पर बहस आरम्भ करवाना चाहती हूँ..

मुद्दा है..

क्या आज की युवतियों को पुरूषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाता हुआ शादी के बाद नौकरी करनी चाहिए की नहीं? फोरम के सदस्यों का इस बारे में क्या ख्याल है? और अगर नौकरी करनी चाहिए तो वोह अपने घर परिवार की जिम्मेदारी कैसे निभाए?

इस विषय पर अपने विचार रखे|
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Old 31-10-2010, 12:39 PM   #2
munneraja
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यदि आज के युग में महंगाई और आवश्यकता को देखें तो महिलाओं को नौकरी करनी चाहिए.
बिना दोनों के कमाई के आज खर्चे निकलना और अच्छी जिन्दगी जीना दुश्वार होता जा रहा है.
यदि स्त्रियों की पढाई की तरफ ध्यान दिया जा रहा है तो उनकी पढाई को विशेष महत्व देते हुए उसको उपयोग में भी लेना चाहिए.

घरेलु काम काज में पुरुष भी महिलाओं का हाथ बंटाएं
मुझे ये कहने में कोई झिझक नहीं है कि मेरी पत्नी हाउस वाइफ होते हुए भी सुबह सब्जी आदि काटने का कार्य मैं कर देता हूँ, खाना भी कभी कभार बना देता हूँ.
और कभी कपडे भी धो दिया करता हूँ.
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Old 31-10-2010, 09:23 PM   #3
jalwa
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Originally Posted by neha View Post
मुझे यह देखकर काफी हर्ष हो रहा है की इस फोरम पर हिंदी को उचित सम्मान दिया गया है| युवाओ के लिए भी अलग से मंच बनाया गया है.

तो इस युवा मंच पर में पहला थ्रेड बनाते हुआ एक ज्वलंत सामाजिक मुद्दे पर बहस आरम्भ करवाना चाहती हूँ..

मुद्दा है..

क्या आज की युवतियों को पुरूषो के साथ कंधे से कन्धा मिलाता हुआ शादी के बाद नौकरी करनी चाहिए की नहीं? फोरम के सदस्यों का इस बारे में क्या ख्याल है? और अगर नौकरी करनी चाहिए तो वोह अपने घर परिवार की जिम्मेदारी कैसे निभाए?

इस विषय पर अपने विचार रखे|
नेहा जी, आपका फोरम के प्रति उत्साह देख कर मुझे अपार हर्ष हो रहा है.
मित्र, आपका या विषय आज के समाज के लिए एक बहुत चिंतन करने वाली बात है. आज के समाज में जहाँ स्त्री को एक और घर सँभालने की जिम्मेदारी होती है वहीँ दूसरी और पति के साथ घर चलने की भी. यहाँ देखा जाए तो यदि स्त्री घर चलने के साथ नौकरी भी करे तो उसकी जिम्मेदारी पति की अपेक्षा अधिक हो जाती है. फिर भी समाज वाले कई बार कामकाजी महिलाओं को गलत नजरिये से भी देखते हैं. जबकि उनको उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए.
मेरे ख्याल से महिलाओं को नौकरी करें या न करें ये उनकी स्वेच्छा पर छोड़ देना चाहिए.
धन्यवाद.
__________________

अच्छा वक्ता बनना है तो अच्छे श्रोता बनो,
अच्छा लेखक बनना है तो अच्छे पाठक बनो,
अच्छा गुरू बनना है तो अच्छे शिष्य बनो,
अच्छा राजा बनना है तो अच्छा नागरिक बनो
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Old 01-11-2010, 01:48 AM   #4
jai_bhardwaj
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विचारोत्तेजक प्रष्ठभूमि पर निर्मित इस सूत्र के लिए सूत्रधार का अभिनन्दन /

पढी लिखी लडकी
रोशनी घर की //

कन्याओं को शिक्षित करने के लिए सरकार द्वारा प्रचारित इस सरल 'स्लोगन' के नीचे की पंक्ति बहुत कुछ कह रही है / बस बात है तो इसके समझ पाने की /
रोशनी घर की
अर्थात जिस घर में वह रहे उस घर में प्रकाश की तरह रहे /
प्रकाश की आवश्यकता कब होती है ?
जब घर में अंधकार होता है /
कैसा अंधकार ?
अशिक्षा का अंधकार /
कुरीतियों का अंधकार /
पिछड़ेपन का अंधकार /
आर्थिक कमी का अंधकार /
सामाजिक तिरस्कार का अंधकार /
क्या यह सत्य नहीं है कि ऐसे ही बहुत से अंधकारों को नष्ट करने के लिए मात्र एक शिक्षित कन्या की आवश्यकता होती है ?
यदि विपन्नता के अंधकार को नष्ट करना है तो एक शिक्षित कन्या को घर से बाहर निकलकर अपनी प्रतिभा का उपयोग करना ही होगा / आज विश्व की सौ विशिष्ट महिलाओं में जब भारत की चार महिलाओं का नाम आता है तो यह देख कर गर्व होता है / किन्तु क्या यह गर्व की बात है ? नहीं / कदापि नहीं / गर्व तो तब होगा जब इन सौ महिलाओं में भारत की आधी महिलाओं का नाम हो /
यह सत्य है कि एक कामकाजी (मेरा तात्पर्य है देहरी से बाहर निकल कर नौकरी करने वाली) महिला के कन्धों पर कई बोझ आ जाते हैं जैसे कार्यालय में न केवल अधिकारी के कदमों पर कदम रखते हुए आगे पढ़ना है बल्कि आधीनास्थ और सह कर्मियों से बेहतर तालमेल भी बनाए रखना होता है ; गृह कार्यों की जिम्मेदारी भी उसी पर होती है ; बच्चों के अध्ययन से सम्बंधित क्रिया कलापों की जिम्मेदारी के साथ साथ पति की दैहिक संतुष्टि प्रदान करना भी उसकी जिम्मेदारी है /
आज समाज में पर्याप्त परिवर्तन हो चुके हैं / युवक स्वयं कामकाजी युवतियों से विवाह करना चाहते हैं ताकि उन्हें बेहतर आर्थिक प्रष्ठभूमि मिल सके और वे अपनी संतान को उचित संसाधन उपलब्ध करा सकें / युवक आज घरेलु कार्यों में भी सहयोग करते हैं / बच्चों के लिए भी समय देते हैं / उन्हें पता है कि एक कंधे पर अधिक बोझ डालने से जीवन सुखद नहीं रह सकता है / बाहर के झंझावातों से मुक्ति पाने का उत्तम स्थान है अपने परिवार के साथ हंसी खुशी कुछ पल बिताने वाला घर /
अंत में: मेरी राय में महिला यदि बाहर कार्य करती है तो उसके घर के लोग तत्संबंधित कार्यों को आपस में बाँट कर व्यवस्थित कर लेते हैं / हाँ, बच्चों के एकाकी रहने पर माता और पिता में से किसे उनके साथ रहना है यह नौकरी के प्रकार और आर्थिक उपलब्धता पर विचार करके दोनों को ही निर्णय लेना चाहिये / धन्यवाद /
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
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Old 01-11-2010, 06:47 PM   #5
ndhebar
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एक बेहद ज्वलंत विषय उठाने और उसपर सूत्र निर्माण करने हेतु सूत्रधार को बधाई

शादी के बाद नौकरी

आज के सन्दर्भ में बहुत कम लोग होंगे जो इसे गलत मानते होंगे, मेरी राय भी उनसे अलग नहीं है/ मेरे ख्याल से भी शादी के पहले हो या बाद महिलाओं को नौकरी करने में कोई परेशानी नहीं है/ पर असली परेशानी तब शुरू होती है जब बात बच्चों की आती है/ आज के सामाजिक परिवेश में संयुक्त परिवार बस कल्पना की बात रह गयी है और एकाकी परिवार जिसमें पति पत्नी और बच्चों के अलावा बस आया होती है/ उसमें दोनों का(पति और पत्नी) कामकाजी होना बच्चों की परवरिश पर असर डालता है और शहरी परिवेश में एक की कमाई से घर चलाना असंभव की हद तक मुश्किल होता है/ फिर सिलसिला शुरू होता है अंतहीन उथल पुथल, दौड़ भाग का जो आजीवन चलता रहता है/
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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Old 03-11-2010, 01:39 PM   #6
khalid
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इतने अच्छे सुत्र के लिए सुत्रधार को बधाई
लेकिन कुछ बातेँ भी हैँ जैसे अगर पति पत्नी को शादी के बाद नौकरी की इजाजत अगर दे देता हैँ तो उन्हेँ भी चाहिए की पति के इजाजत के बगैर किसी पराऐँ मर्द के साथ घुमने फिरने ना जाऐँ और अपने पति को इस बात का एहसास नहीँ होने दे की मैँ भी कमाती हुँ तभी तुम्हारा घर चलता हैँ अन्यथा तुम्हारे कमाई से घर का आधा खर्च भी नहीँ चलता
अगर आँफिस मेँ कोई दिक्कत हो तो अपने पति से भी सलाह जरुर लेँ
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Old 21-11-2010, 10:44 AM   #7
ABHAY
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Post Re: शादी के बाद नौकरी

हा हा हा आ पहले तो मैं पेट फार के हसना चाहता हू सूत्र या सूत्र धार पे नहीं उन लोगो पे जो शादी के बाद नौकरी ये शादी से पहले नौकरी करने पे लड़की को बुरी नजर से देखते है , कुछ हद तक मैं सही भी मानत हू इन लोगो को मगर देखा जाये तो आज के ज़माने में ये जरुरी है की पति और पत्नी दोनों काम करे तभी घर का खर्च सही से चल सकता है , मैं शादी सुदा तो नहीं हू और ण ही मुझे इसकी जानकारी है मगर एक बात जरुर कहना चाहता हू की ! इस देस में सबसे बरी परेशानी का कारन है , दहेज ,( समाज से जुरे कुछ अनपढ़ लोग और ण उनके पास नए ख्याल है और ण ही पुराने वो तो इन दोनों का मिक्स है इन लोगो से तो दूर ही रहना ठीक है) , अगर दहेज को हटा दिया जाये और उसके जगह पे लड़की को पढ़ा के नोकरी दे दी जाये वो भी शादी से पहले तो कोई भी लड़का वाला दहेज की रासी कम लेगा या नहीं भी ले सकता है ! मगर ये कभी नहीं होने वाला ! हमारे देस के कानून बनाने वाले ही कानून तोरते है सरकार अबतक छोटे लोगो को ही दहेज बढ़ावा देने का जिमेदार मानती है मगर है इसका उल्टा , यहाँ पे ये सोचा जाता है की बड़े लोग के बेटे को इतना दहेज मेला क्यों भाई तो वो बड़े लोग है , अगर हमें भी दहेज मिल जाये तो हम भी बड़े बन सकते है समाज के नजरो में ! ये सब बकबास है !
एक ही बात है आ दहेज को बढ़ावा देने में दो लोगो का ही हात है १. बड़े लोग (नेता , फिल्म स्टार और भी जो इस में आते है ) २. समाज (ये सबसे बड़ा दहेज का कारन है यहाँ लोग दहेज सिर्फ इसलिए लेते है की कोई भी हमें समाज में ण हसे , यहाँ तो ये चलता है की अगर परोसी का लड़का को १ लाख मिला तो अब हमें २ ये उससे भी ज्यादा मिलना चाहिए तभी हमारी इज्जत रहेगी हा हा हा हा आ आ सब के सब गधे है )
और आज यही कारण है की लड़कियों को इतना छुट मिलने के बाद भी वो नहीं पढ़ पा रही है ये उनके पिता उन्हें नहीं पढ़ा रहे है दहेज का रुपया जमा करे ये पढाये ! सबसे बड़ा मुद्दा यही है और जब लड़की पढेगी नहीं तो नोकरी खाक मिलेगी ! मेरे पास बहुतो जानकारी है पढ़े लिखे लोगो की और अनपढ़ लोगो की जो समाज को गन्दा और मजाक बना रहा है और कुछ पढ़े लिखे बुधू की सब का जिमेदार सरकार ही है और यहाँ का कानून ! इस लिए यहाँ पे बात करने से कुछ भी नहीं होने वाला अगर ये बात पुरे जोर शोर से उखारा जाये तो कुछ हो !
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Old 22-11-2010, 08:14 PM   #8
uncle
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uncle is on a distinguished road
Default Re: शादी के बाद नौकरी

लड़की के पढ़ी लिखी होने का मतलब सिवाय नौकरी के और कुछ नहीं है क्या? लड़की नौकरी करेगी तो घर में ज्यादा आमदनी होगी , ज्यादा खर्च करने की क्षमता होगी , ज्यादा आरामदायक जीवन जी सकेंगे , घर में ज्यादा साजो सामान होगा , परन्तु कभी सोचा है की बच्चों की देखभाल कौन करेगा , उन्हें संस्कार कौन देगा , उन्हें सही और गलत कौन बताएगा , क्योंकि माँ बाप के पास तो उनके लिए समय ही नहीं होता है या फिर अगर माँ बाप बच्चों की देख भाल करते है तो वे अपने कार्य पर पूरा ध्यान नहीं दे पते है , आप देख सकते है जो कामकाजी महिलाये है वे कितना समय कार्य को व् कितना समय घर को देती है बल्कि उन्हें दोहरी जिन्दगी जिनी पड़ती है तो इन सबकी जगह अगर वे सिर्फ अपने घर ही ध्यान दे व् पढ़ लिख कर अपने घर को ही बेहतर ढंग से चलायें तो घर परिवार भी खुश व् महिला भी अपना जो कार्य इश्वर ने उन्हें सोंपा है वे उसे बेहतर तरीके से कर सकती है
एक पहलु और भी है ( यह सिर्फ मेरा मत है ) महिला को नौकरी उसी शर्त में करनी चाहिए जब उसे अकेले घर चलाने के लिए मजबूर होना पड़े अर्थात जब पति न हो वर्ना एक महिला के नौकरी नहीं करने से एक जगह बचती है और वह एक लड़के को मिलती है तो उससे एक परिवार का पेट पलता है जबकि एक महिला का नौकरी करने से सिर्फ ( जहाँ पति पत्नी दोनों नौकरी करते है ) घर में मात्र सुख सुविधा बढती है उधर एक परिवार पलने से वंचित हो जाता है , हमारा देश अभी बहुत बेरोजगारी से जूझ रहा है ऐसे में सिर्फ जरुरत मंद महिलायों को ही नौकरी देनी चाहिए .
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Old 22-11-2010, 11:04 PM   #9
aksh
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Default Re: शादी के बाद नौकरी

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लड़की के पढ़ी लिखी होने का मतलब सिवाय नौकरी के और कुछ नहीं है क्या? लड़की नौकरी करेगी तो घर में ज्यादा आमदनी होगी , ज्यादा खर्च करने की क्षमता होगी , ज्यादा आरामदायक जीवन जी सकेंगे , घर में ज्यादा साजो सामान होगा , परन्तु कभी सोचा है की बच्चों की देखभाल कौन करेगा , उन्हें संस्कार कौन देगा , उन्हें सही और गलत कौन बताएगा , क्योंकि माँ बाप के पास तो उनके लिए समय ही नहीं होता है या फिर अगर माँ बाप बच्चों की देख भाल करते है तो वे अपने कार्य पर पूरा ध्यान नहीं दे पते है , आप देख सकते है जो कामकाजी महिलाये है वे कितना समय कार्य को व् कितना समय घर को देती है बल्कि उन्हें दोहरी जिन्दगी जिनी पड़ती है तो इन सबकी जगह अगर वे सिर्फ अपने घर ही ध्यान दे व् पढ़ लिख कर अपने घर को ही बेहतर ढंग से चलायें तो घर परिवार भी खुश व् महिला भी अपना जो कार्य इश्वर ने उन्हें सोंपा है वे उसे बेहतर तरीके से कर सकती है
एक पहलु और भी है ( यह सिर्फ मेरा मत है ) महिला को नौकरी उसी शर्त में करनी चाहिए जब उसे अकेले घर चलाने के लिए मजबूर होना पड़े अर्थात जब पति न हो वर्ना एक महिला के नौकरी नहीं करने से एक जगह बचती है और वह एक लड़के को मिलती है तो उससे एक परिवार का पेट पलता है जबकि एक महिला का नौकरी करने से सिर्फ ( जहाँ पति पत्नी दोनों नौकरी करते है ) घर में मात्र सुख सुविधा बढती है उधर एक परिवार पलने से वंचित हो जाता है , हमारा देश अभी बहुत बेरोजगारी से जूझ रहा है ऐसे में सिर्फ जरुरत मंद महिलायों को ही नौकरी देनी चाहिए .

लगभग यही विचार पिछले फोरम पर मैंने किसी सूत्र पर पेश किये थे. और यहाँ पर भी में इन विचारों का पूरी तरह से समर्थन करना चाहता हूँ. धन्यवाद.
__________________
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Old 29-11-2010, 04:30 PM   #10
kuram
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Default Re: शादी के बाद नौकरी

जरूर करनी चाहिए शादी के बाद अगर लडकिया नौकरी करती है तो बहुत अच्छा है मेरा मानना है इससे झगडे कम हो जायेंगे क्योंकि दिन भर की थकान के बाद पत्निया इस लायक नहीं रहेगी की पति के साथ लट्ठ बजा सके. और दूसरा पतिदेव का पर्स भी तीस तारीख तक सकारात्मक जवाब ही देगा. दोनों कमाएंगे तो कोई किसी का अहसान मंद नहीं होगा और थोड़ी आजादी भी रहेगी. और तो और आप में कुछ एब या लत है तो चोरी छुपे चालु रख सकते है नहीं तो बीवी को कोई काम तो रहेगा नहीं और सारे दिन सर्लक होम्स की तरह जासूसी करेगी. और सबसे ज्यादा फायदा तो ये होगा की आपको अलग से मौजे में पैसे छुपाकर नहीं रखने पड़ेंगे.
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