My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Hindi Forum > Blogs
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 04-11-2014, 01:23 AM   #1
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default ------------गुस्सा------------

दोस्तों,... कई बार हम देखते हैं की लोग हरपल सिर्फ गुस्से में रहते हैं , हँसना क्या होता है शायद ये उन्हें मालुम ही नही होता .. बिना वजह किसी को डाटना , किसी का अपमान करना बस ये ही उन्हें आता है , और दूजो पे गुस्सा करके उन्हें सुकून मिलता है पर इससे आपकी छाप तो दूजो पर बुरी पड़ेगी ही किन्तु इससे पहले आप खुद का नुक्सान अधिक करते हैं ....

रोजमर्रा की जिंदगी में हमें तमाम तरह की मीठी-कड़वी बातों से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में गुस्*सा आना स्*वाभाविक है। लेकिन गुस्*सा अगर लत का रूप ले ले तो इस पर विचार करना जरूरी है। बात-बात पर गुस्*सा करने से हमारी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। देखा गया है कि जो व्यक्ति गुस्सा नहीं करते, वो कम बीमार होते हैं।गुस्सा भी भावना का एक प्रकार है। लेकिन जब यह भावना व्यवहार और आदत में बदल जाती है, तो आप के साथ-साथ दूसरों पर इसका गंभीर असर पड़ने लगता है। इसके लिए जरूरी यह है कि अपने गुस्से की सही वजह को पहचाना जाए और उन पर नियंत्रण रखा जाए। अमूमन हमारे मन में सवाल होते हैं कि हम इससे किस तरह छुटकारा पाएं। लेकिन इससे पहले यह बात जानना जरूरी है कि गुस्से से छुटकारा keise पाएं। जिस व्यक्ति को गुस्सा ज्यादा आता है, उनमें ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, गंभीर रूप से पीठ में दर्द की शिकायत देखी गई है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को पेट की शिकायत भी हो सकती है।व्यक्ति की भावनाएं (सोच), विचार और आदत में अंतर्संबंध होता है। विचार, सोच को प्रभावित करते हैं और सोच से आदत बदलती है। दूसरे पहलू पर विचार करें तो आपकी आदतें भी विचार में और फिर विचार भावनाओं में परिवर्तन लाते हैं। इन तीनों में से किसी एक में भी बदलाव आने पर बड़ा बदलाव दिखाई देता है।


गुस्से पर नियंत्रण करने के लिए जरूरी है, अपने बारे में ठीक से जानें कि आपका अपने प्रति व्यवहार कैसा है। *अपनी समस्याओं से लड़ने की क्षमता बढ़ाएं और इस बात का पता लगाएं कि उक्त बात आपको वाकई गुस्सा दिलाने वाली थी। *अपने बदले व्यवहार से, जब आप गुस्से में हों, का आकलन करें और पता करें कि इससे आपको चाहने वाले लोग कितना आहत हुए होंगे। *इस बात का पता करें कि आपको किस बात पर गुस्सा आता है। गुस्से के समय इस बात पर ध्यान दें कि आपका शरीर, खास कर हाव-भाव और हाथ-पैरों की गतिविधि कैसी दिखती है। गुस्सा आने पर पानी पीएं। *अपना ध्यान दूसरी ओर केंद्रित करें। इस तरह की कई छोटी-छोटी बातों पर गौर करके आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं। गुस्से के दौरान किसी प्रकार की प्रतिक्रिया से बचना चाहिए। इससे लगभग सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं।हां, गुस्सा बना रहने पर इसे दूर करना जरूरी है। जिसकी बात आपको बुरी लगी है, संभव हो तो उसे सामान्य तरीके से अपनी नाराजगी के बारे में बता दें। यदि यह कर पाना ठीक नहीं लग रहा हो तो अपने किसी मित्र से इस बारे में बात करें। यहां इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपकी बात शिकायत में नहीं बदले .हंसने से तन-मन में उत्साह का संचार होता है और दिल से हंसना तो किसी दवा से कम नहीं। यह एक उत्तम टॉनिक का काम करती है। इसलिए आज जगह-जगह पर हास्य क्लब बनाए जा रहे हैं, ताकि भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव से मुक्ति मिले। क्या आप जानते हैं कि बातचीत करते समय हम जितनी ऑक्सीजन लेते हैं उससे छः गुना अधिक ऑक्सीजन हंसते समय लेते हैं। इस तरह शरीर को अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिल जाती है।



मनोवैज्ञानिक भी तनाव से ग्रसित व्यक्तियों को हंसते रहने की सलाह देते हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जब आप मुस्कराते हैं तो आपका मस्तिष्क अपने आप सोचने लगता है कि आप खुश हैं- यही प्रक्रिया पूरे शरीर में प्रवाहित करता है और आप सुकून महसूस करने लगते हैं। जब आप हंसना शुरू करते हैं तो शरीर में रक्त का संचार तीव्र होता है। तनाव में भी हंसने की क्षमता हो तो दुःख भी कुछ कम लगने लगता है। हंसने के लाभ भी बहुत होते हैं जैसे-* हंसते समय क्रोध नहीं आता। * हंसने से आत्मसंतोष के साथ सुखद अनुभूति होती है। * शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है। * हंसने से मन में उत्साह का संचार होता है। * ब्लड प्रेशर कम होता है। * हंसी मांसपेशियों में खिंचाव कम करती है।
------------------------------- हंसते-हंसते जीना सीखो----------------------
हंसने से तन-मन में उत्साह का संचार होता है और दिल से हंसना तो किसी दवा से कम नहीं। यह एक उत्तम टॉनिक का काम करती है। इसलिए आज जगह-जगह पर हास्य क्लब बनाए जा रहे हैं, ताकि भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव से मुक्ति मिले। क्या आप जानते हैं कि बातचीत करते समय हम जितनी ऑक्सीजन लेते हैं उससे छः गुना अधिक ऑक्सीजन हंसते समय लेते हैं। इस तरह शरीर को अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिल जाती है।


मनोवैज्ञानिक भी तनाव से ग्रसित व्यक्तियों को हंसते रहने की सलाह देते हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि जब आप मुस्कराते हैं तो आपका मस्तिष्क अपने आप सोचने लगता है कि आप खुश हैं- यही प्रक्रिया पूरे शरीर में प्रवाहित करता है और आप सुकून महसूस करने लगते हैं। जब आप हंसना शुरू करते हैं तो शरीर में रक्त का संचार तीव्र होता है। तनाव में भी हंसने की क्षमता हो तो दुःख भी कुछ कम लगने लगता है। हंसने के लाभ भी बहुत होते हैं जैसे-

* हंसते समय क्रोध नहीं आता।

* हंसने से आत्मसंतोष के साथ सुखद अनुभूति होती है।

* शरीर में नई स्फूर्ति का संचार होता है।

* हंसने से मन में उत्साह का संचार होता है।

* ब्लड प्रेशर कम होता है।

* हंसी मांसपेशियों में खिंचाव कम करती है।

पढ़ा न आपने अब आज से गुस्सा छोडिये और बस सिरफ़ और सिरफ़ हँसते रहिये.. अरे जीवन कितना छोटा है, कितना प्यारा है क्यूँ न इसे हंस के जिया जाय ?

कहिये आपकी क्या राय है?

Last edited by soni pushpa; 04-11-2014 at 01:34 AM.
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Old 04-11-2014, 03:07 PM   #2
Dr.Shree Vijay
Exclusive Member
 
Dr.Shree Vijay's Avatar
 
Join Date: Jul 2013
Location: Pune (Maharashtra)
Posts: 9,467
Rep Power: 116
Dr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond reputeDr.Shree Vijay has a reputation beyond repute
Default Re: ------------गुस्सा------------


प्रिय सोनी जी, इतने गंभीर विषय को आपने अति सहजता के साथ यहाँ प्रस्तुत किया उसके किये आपका हार्दिक धन्यवाद.........


__________________


*** Dr.Shri Vijay Ji ***

ऑनलाईन या ऑफलाइन हिंदी में लिखने के लिए क्लिक करे:

.........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :.........


Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread.



Dr.Shree Vijay is offline   Reply With Quote
Old 04-11-2014, 09:22 PM   #3
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default Re: ------------गुस्सा------------

[QUOTE=Dr.Shree Vijay;536972][b][size="3"][color="blue"]
प्रिय सोनी जी, इतने गंभीर विषय को आपने अति सहजता के साथ यहाँ प्रस्तुत किया उसके किये आपका हार्दिक धन्यवाद......

धन्यवाद , डॉ श्री विजय जी ,.. आपने अतिउत्तम शब्दों से इस ब्लॉग को सराहा है ....
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Old 05-11-2014, 08:32 AM   #4
ajaysagar
Member
 
Join Date: Oct 2014
Posts: 32
Rep Power: 0
ajaysagar will become famous soon enough
Default Re: ------------गुस्सा------------

सही बात है, कोई भी अपराध हॅंसते हँसते नहीं किया जा सकता है !
ajaysagar is offline   Reply With Quote
Old 05-11-2014, 11:43 AM   #5
Pavitra
Moderator
 
Pavitra's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Location: UP
Posts: 623
Rep Power: 31
Pavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond repute
Default Re: ------------गुस्सा------------

Soni Pushpa ji इतना अच्छा विषय यहाँ रखने के लिए शुक्रिया।

मेरा मानना है कि व्यक्ति का व्यवहार उसकी सोच पर निर्भर करता है। कुछ लोग जो अकारण गुस्सा करते हैं वास्तव में अगर हम देखें तो ऐसे लोग ज़्यादा भावुक होते हैं। या ऐसे समझ लें कि उनका अपनी भावनाओं पर काबू नहीं होता। हर छोटी - बड़ी बात वो ह्रदय से लगा लेते हैं। गुस्सा व्यक्ति का विवेक ख़त्म कर देता है , और व्यक्ति ये नहीं सोच पाता कि उसे किस बात पर कैसी प्रतिक्रिया देनी है।

हम दूसरों को वही दे सकते हैं जो हमारे पास होता है। जो चीज़ हमारे पास ही नहीं वो हम दूसरों को कैसे दे सकते हैं। अब जिन लोगों के पास हंसी (ख़ुशी) है ही नहीं वो दूसरों को भी ख़ुशी नहीं दे सकता।
जो व्यक्ति गुस्सा ही करना जानते हैं , वो खुद भी हमेशा गुस्से में रहते हैं और दूसरों को भी वही(गुस्सा) दे सकते हैं। इसलिए खुश रहिये , आप खुश रहेंगे तो दूसरों को भी ख़ुशी दे पाएंगे।
__________________
It's Nice to be Important but It's more Important to be Nice
Pavitra is offline   Reply With Quote
Old 05-11-2014, 03:28 PM   #6
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default Re: ------------गुस्सा------------

Quote:
Originally Posted by ajaysagar View Post
सही बात है, कोई भी अपराध हॅंसते हँसते नहीं किया जा सकता है !
बहुत बहुत धन्यवाद अजय सागर जी ... आपकी प्रतिक्रिया के लिए ........
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Old 05-11-2014, 03:36 PM   #7
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default Re: ------------गुस्सा------------

[QUOTE=Pavitra;537198]Soni Pushpa ji इतना अच्छा विषय यहाँ रखने के लिए शुक्रिया।

मेरा मानना है कि व्यक्ति का व्यवहार उसकी सोच पर निर्भर करता है। कुछ लोग जो अकारण गुस्सा करते हैं वास्तव में अगर हम देखें तो ऐसे लोग ज़्यादा भावुक होते हैं। या ऐसे समझ लें कि उनका अपनी भावनाओं पर काबू नहीं होता। हर छोटी - बड़ी बात वो ह्रदय से लगा लेते हैं। गुस्सा व्यक्ति का विवेक ख़त्म कर देता है , और व्यक्ति ये नहीं सोच पाता कि उसे किस बात पर कैसी प्रतिक्रिया देनी ह

सबसे पहले बहुत बहुत धन्यवाद पवित्रा जी ,... इस ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए ... जी आपकी बात से मई पूरी तरह से सहमत हूँ .. मेरे ख्याल से जब लोग अकारण गुस्सा करते हैं तब तब या तो उनके कोई मानसिक बीमारी पल रही होती है या फिर कोई समस्या इन्सान को सता रही होती है जरुरत होती है तो सिरफ़ उसे समझने की जब एइसे लोग गुस्सा करे तब की कोई एईसी वजह तो नही जो उसे गुस्सा करने को मजबूर कर रही है .
. दूजे ये की जब एइसे लोग गुस्से से ग्रसित हों तो उन्हें खुद पर कंट्रोल रखकर आगे समस्या का हल सोचना चहिये न की गुस्सा करना चहिये .

पवित्रा जी सही कहा आपने गुस्सा व्यक्ति का विवेक ख़त्म कर देता है और विवेक हिन् व्यक्ति किसी को पसंद नही होते .
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Old 05-11-2014, 10:43 PM   #8
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: ------------गुस्सा------------

सोनी जी, क्रोध या गुस्से जैसे विषय को चिंतन के लिए प्रस्तुत करने के लिए आपका धन्यवाद. इसमें आपने स्वयं ही इतना अच्छा निबंध लिखा है कि अन्य सदस्यों को अधिक लिखने की जरुरत ही नहीं पड़ी. आपने बड़ी व्यापकता से विषय के हर पहलु पर गौर किया है. आपने सही कहा कि यदि हम किसी ऐसी स्थिति मैं जो हममें क्रोध उत्पन्न करती है, अपनी प्रतिक्रिया तत्काल न दे कर कुछ क्षणों के लिए स्थगित कर दें तो इतनी ही देर में हमारा आतंरिक संतुलन वापिस आ जाता है और हम अप्रिय व कटु व्यवहार से बच जाते हैं.

क्रोध के दुष्परिणामों के बारे में जानना हो तो दूर जाने की ज़रुरत नहीं. रोज अखबारों में ऐसी बातें पढने को मिलती हैं. कुछ उदाहरण:

1. कुछ पियक्कड़ लोगो ने एक बच्चे से सिगरेट लाने के लिए कहा. बच्चे के इनकार करने पर उसे जान से मार दिया गया.
2. दिल्ली में कार पार्किंग को ले कर दो पडौसियों में झगड़ा हो गया. गुस्से में हथियार निकल आये जिसमें एक लड़के की जान चली गई.
3. तिहाड़ जेल में एक कैदी ने दूसरे कैदी को टूथपेस्ट नहीं दी तो दूसरे ने पहले कैदी की हत्या कर दी.
4. पति पत्नी में झगड़ा हुआ तो पति ने क्रोध में आ कर बच्चों समेत पत्नी की हत्या कर दी और खुद को पुलिस के हवाले कर दिया.

क्रोध सदा इतना वीभत्स तो नहीं होता, किन्तु यह सही है कि क्रोध में व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता क्षीण हो जाती है. इस पर अगर काबू पाया जा सकता है तो संयम से ही पाया जा सकता है. क्रोध और उसको लगाम लगाना दोनों में ही परवरिश का बहुत हाथ होता है. अच्छे संस्कार, दूसरों के प्रति सहिष्णुता, सहनशीलता, सहअस्तित्व जैसे गुण हमें घर से व शिक्षा (तथा शिक्षकों) से मिल सकते हैं. यह किसी भी सभ्य समाज के लिए अत्यावश्यक है.

इसी प्रकार माइथोलॉजी व इतिहास में भी ऐसे अनेकों प्रसंग मिल जायेंगे जहाँ क्रोध की वजह से बड़े बड़े साम्राज्य नष्ट हो गए.

आपने हँसी की जरुरत पर बल दिया है. यह बहुत सुन्दर विचार है. इसकी महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन मेरा इसमें रिजर्वेशन है. वह यह कि मैंने कुछ गुंडों व असामाजिक तत्वों को देखा है. वो भी बात बेबात पर हँसते रहेंगे लेकिन क्रोध में उत्तेजित होने पर वह लड़ाई-झगड़े और खून-खराबे पर उतर आते हैं. अतः सभी में अच्छे संस्कारों का होना बहुत जरुरी है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 06-11-2014, 12:12 AM   #9
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default Re: ------------गुस्सा------------

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रजनीश जी .... जी आपने सही कहा की संस्कार पहली जरुरत है .. किन्तु, कई बार हम देखते हैं की अछे भले घर के लोग भी अत्यधिक गुस्सा करते हैं. थोड़ी मुश्किल आई नही की पारा सातवे आसमान पर चला जाता है उनका , संस्कार को भी गुस्सा खा जाता है और एकपल का वो गुस्सा सारे अछे किये कामो पर पानी फेर देता है .... मैंने ये आपसे इसलिए कहा रजनीश जी क्यूंकि एइसे लोगो से पाला पड़ा है कभी हमारा . जिनका परिवार संस्कारी लोगो में गिना जाता है समाज के लिए भी बहुत अछे काम किये हैं उन्होंने मंदिरों में दान पुण्य का काम पूजा पाठ सब करते है वें,.. पर यदि उनके कहेकम को करने में किसी से जरा भूल हो जय तो वो नही देखते हैं की वें पब्लिक के बिच हैं या अकेले हैं आगबबुला होकरके सामने वाले का अपमान कर देते हैं ..इसलिए जब तक इन्सान खुद पर काबू न रखे तब तक गुस्से का हल बहुत कम समय के लिए निकलेगा .
और हाँ रजनीश जी आपकी बात से सहमत हूँ की हंसी हर समय ठीक नही कहने का आशय मेरा ये था की जीवन छोटा है हम कभी गुस्सा आये उसे पी कर हसकर उस बात बात को ही ताल दे और सामने वाले को ये जताएं की उसकी बात या कम से हमे गुस्सा आया ही नही तब बात सहज लगेगी बशर्ते की उस बात को हम मन में दबा कर न रखे नही तो दुश्मनी की भावना पनपे गी जो की गुस्से से भी अधिक खतरनाक होगी.

आपने बहुत अच्छे से गुस्से के बारे में आपने विचार यहाँ रखे रजनीश जी , इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार...
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Old 06-11-2014, 02:18 PM   #10
Pavitra
Moderator
 
Pavitra's Avatar
 
Join Date: Sep 2014
Location: UP
Posts: 623
Rep Power: 31
Pavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond reputePavitra has a reputation beyond repute
Smile Re: ------------गुस्सा------------

गुस्से पर काबू पाना आसान काम नहीं होता। और जहाँ तक संस्कारों की बात है तो अच्छे संस्कारों से हमारा विवेक जागृत होता है कि क्या सही है और क्या गलत। परन्तु ये संस्कार बचपन से ही सिखाये जाने चाहिए तभी ये असर कर सकते हैं।
परन्तु हर बार संस्कार प्रभावी नहीं हो पाते गुस्से के समय। क्यूंकि जब व्यक्ति को गुस्सा आता है तब वह अपनी सोचने समझने की शक्ति खो बैठता है। अब जब कुछ सोच ही नहीं पायेगा तब कैसे विचार कर सकेगा कि मैं जो कर रहा हूँ वो सही है कि नहीं ? असल में गुस्से पर काबू पाने का एक ही तरीका है वो है निरंतर अभ्यास। सबसे पहले गुस्से के कारणों का विश्लेषण हो कि किन बातों पर गुस्सा आता है ? फिर ये देखा जाए कि क्या हर बार मेरा एक ही Reaction होता है ऐसी परिस्थिति में या मैं जगह , लोग , आस-पास का वातावरण देख कर React करता हूँ। और फिर हर बार गुस्सा आने पर मुझे कैसे React करना है इसका अभ्यास किया जाए।

Meditation इसमें बहुत प्रभावी रहता है।

मेरा मानना है कि जब हम अपनी कमज़ोरियों से वाकिफ हो जाते हैं तो उन कमज़ोरियों से मुक्ति पाना आसान हो जाता है। तो अगर हमें ये पता हो कि हमें गुस्सा बहुत ज़्यादा आता है , और किन बातों पर गुस्सा आता है तो हम थोड़े से जागरूक होकर उस गुस्से पर आसानी से काबू पा सकते हैं। अगर अपनी बुरी आदतों के हम दास बन जायेंगे तो वो बुरी आदतें हमें Rule करने लगेंगी , और अगर हम अपनी आदतों को अपनी इच्छा का दास बना लें तो ज़िन्दगी ज़्यादा अच्छी हो जाएगी।

अब रही बात हंसी की। तो हंसी के बहुत से रूप होते हैं। बहुत बार हम दिल से ना हंस कर बस दिखावटी हंसी हंस सकते हैं। इसलिए हंसना उतना महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है सुखी रहना , आनंद में रहना। ख़ुशी तो हमें बहुत सी बाहरी चीज़ों से मिल जाती है पर सुख तो तभी मिलता है जब हम संतुष्ट , और ह्रदय से आनंद महसूस करते हैं।
__________________
It's Nice to be Important but It's more Important to be Nice

Last edited by Pavitra; 06-11-2014 at 09:34 PM.
Pavitra is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 11:59 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.