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Old 03-11-2010, 02:46 PM   #1
jalwa
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Default ह्रदय घात (लक्षण, उपचार और सावधानियां)

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हार्ट अटैक के लक्षणों की अनदेखी न करें। डाक्टरी मदद लेने से न हिचकिचाएं। तेजी से की गई कार्रवाई से कई जाने बच सकती हैं।
दोस्तों, अभिसेज के सभी सदस्यों की जानकारी के लिए मैं "हार्ट अटैक" के विषय में कुछ जरुरी जानकारियाँ शेयर कर रहा हूँ. आप सभी से निवेदन है की अपने विचार भी यहाँ जरुर रखें.
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Old 03-11-2010, 02:49 PM   #2
jalwa
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किसी हार्ट अटैक के दौरान रक्त वाहिका में कोई थक्का बन जाता है जो खून को दिल की मांसपेशियों तक पहुंचने से रोकता है। ऐसे में हृदय की वह मांसपेशी मरने लगती है। बिना इलाज के जितना ज्यादा समय बीतता है, नुकसान उतना ही बढ़ता जाता है। समय से इलाज होने से ये थक्का घुल जाता है और रक्त वाहिका खुलने से मांसपेशी फिर से ठीक हो जाती है।

हार्ट अटैक के लक्षण

1. छाती में बेचैनी
छाती के बीच में बेचैनी-दबाव, दर्द, जकड़न और भारीपन का अहसास होता है, ये अवस्था कुछ मिनट तक रह कर या तो गायब हो जाती है, या फिर लौट आती है। (अगर ये 30 मिनट तक जारी रहती है या सॉरबिटेट के इस्तेमाल से भी राहत नही मिलती है तो ये हार्ट अटैक का पुख्ता लक्षण हैं।)

2. छाती के अलावा शरीर के अन्य हिस्सों में भी बेचैनी
बेचैनी (दर्द या भारीपन) बाहों, कमर, गर्दन और जबड़े में भी महसूस हो सकती है। सीने में बेचैनी, बांहों, कंधों, जबड़े या गर्दन और कभी-कभी यहां से सीने तक भी पहुंच सकती है।

3. पेट के ऊपरी हिस्से में भराव, एसिडिटी और अपच के साथ दर्द की शिकायत कम होती है। इस दर्द में एंटासिड का असर नही होता, इन लक्षणों की अनदेखी नही करनी चाहिए और संभावित हार्ट अटैक के लिए इनकी जांच की जानी चाहिए।

4. सांस ठीक से न आना
छाती में दर्द शुरू होने से पहले सांस लेने में परेशानी भी हो सकती है, या दर्द इससे पहले भी शुरू हो सकता है।
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Old 03-11-2010, 02:51 PM   #3
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अन्य लक्षण
उपरोक्त लक्षणों के साथ-साथ उल्टी आने, पसीना छूटने या चक्कर आने की शिकायत भी हो सकती है। कभी-कभी बिना दर्द हुए सांस न आने या दम घुटने जैसे एकमात्र लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।

घर पर ही प्राथमिक चिकित्सा
मैडिकल सहायता मिलने से पहले ऐसे व्यक्ति को एस्पिरिन दी जा सकती है। एस्पिरिन से खून पतला हो जाता है और खून का थक्का घुल जाने से खून अवरूद्ध रक्तवाहिका से गुजर जाता है। सबसे अच्छा तो यह है कि एस्पिरिन की आधी गोली को चूरा करके इसे जबान के नीचे रख लिया जाए ताकि ये जल्दी से खून में घुल जाए। आधी गोली पानी में घोलकर दी जा सकती है, और अगर ये एस्पिरिन पानी में घुलनशील हो तो इसे आधा गिलास पानी में घोल कर पिलाया जा सकता है। (जिन लोगों को पेट का अल्सर हो, और जिन्हें एस्पिरिन से एलर्जी हो, उन्हें एस्पिरिन नही दी जानी चाहिए)

अब आगे क्या करें?
आप फौरन डाक्टर के पास जाएं। सबसे अच्छा ये होगा कि आप किसी ऐसे हस्पताल जाएं जहां ई सी जी और खून का टैस्ट किया जा सके।
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Old 03-11-2010, 03:11 PM   #4
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ह्रदय घात सम्बंधित भ्रांतियां.


किसी रात को या दिन का व्यस्त समय शुरू होने के पहले आपकी छाती में दर्द शुरू हुआ। कहीं हार्ट अटैक तो नहीं- इस सवाल से आतंकित आप भागे भागे अस्पताल पहुँचे। बस, अब आपके हाथ में कुछ नहीं रहा। डॉक्टर का ईमान, वह आपके दिल के साथ जो चाहे कर सकता है। छाती के दर्द के साथ अस्पताल पहुँचे मरीजों को आज कल कैप्टिव पेशेंट (चंगुल में फँसे मरीज) की संज्ञा दी जा रही है।

कई अध्ययनों से यह बात सामने आ चुकी है कि छाती में दर्द के कुल मामलों में से करीब 33 प्रतिशत ही हार्ट से जुड़े होते हैं। बाकी दर्द पेट या स्पाइन से जुड़े होते हैं लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के निजी अस्पतालों में छाती में दर्द के मामलों के रिकॉर्ड देखें तो उनमें लगभग शत-प्रतिशत को हार्ट से जुड़ा दर्द ही बताया गया मिलेगा।
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Old 03-11-2010, 04:56 PM   #5
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ध्यान देने योग्य बातें.
छाती में दर्द के बाद भयभीत होकर अस्पताल पहुँचे मरीजों पर बेवजह एंजियोप्लास्टी कर कुछ अस्पताल मालामाल हो रहे हैं। उन्होंने छाती के दर्द के मरीजों को फाँसने के लिए कई जगह अपने छोटे-छोटे चेस्ट पेन क्लिनिक खोल रखे हैं।आप वहाँ गए नहीं कि वहाँ बैठे अस्पताल के एजेंट आपको अस्पताल की इमरजेंसी में पहुँचा देंगे।

कई ऐसे टेस्ट हैं जिसके जरिए यह पता लगाया जा सकता है कि छाती का दर्द 'लो रिस्क' है या जानलेवा साबित हो सकता है लेकिन वे ऐसा नहीं करते। दवा से दिल के मरीजों का इलाज करने वाले कई विशेषज्ञ निजी बातचीत में यह स्वीकार करते हैं कि छाती के दर्द के भय का फायदा उठा कर कुछ डॉक्टर व अस्पताल दिल का मामला नहीं होने के बावजूद एंजियोप्लास्टी जैसी तकनीक का इस्तेमाल कर डालते हैं लेकिन वे खुल कर ऐसा कहने की जुर्रत नहीं करते क्योंकि एंजियोप्लास्टी आज कल किसी भी अस्पताल की कमाई का बहुत बड़ा जरिया बन गया है।
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Old 03-11-2010, 04:56 PM   #6
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विशेषज्ञों के अनुसार कई टेस्टों में एक टेस्ट ऐसा है, जिससे यह साफ हो जाता है कि छाती का दर्द हार्ट अटैक है या नहीं। 'ट्रोपोनिन आई' नामक एक ब्लड टेस्ट करने पर यह पता चल जाता है। अगर यह टेस्ट निगेटिव आता है तो यह निश्चित किया जा सकता है कि छाती के इस दर्द का हार्ट अटैक से कोई लेना-देना नहीं। लेकिन यह टेस्ट करने के बजाय डॉक्टर एंजियोग्राम कर देते हैं।

दिल की नली में ब्लॉक की जाँच इसी विधि से की जाती है। इस जाँच के बाद ही एंजियोप्लास्टी होती है। अब अधेड़ उम्र के किसी भी व्यक्ति की जाँच इस विधि से करें तो दिल की नली में कुछ न कुछ रुकावट तो मिल ही जाएगी। इसी को आधार बना कर जरूरत नहीं होने पर भी एंजियोप्लास्टी कर दी जाती है।

एक डॉक्टर ने कहा कि यही वजह है कि अनेक लोगों में एंजियोप्लास्टी के बाद भी छाती का दर्द नहीं रुकता है क्योंकि वह दर्द किसी और वजह से हो रहा होता है। दुनिया में रोज लाखों लोग छाती के दर्द से पीड़ित होते हैं लेकिन हर दर्द हार्ट अटैक का नहीं होता है। हाँ, सबके लिए यह एक डरावना दर्द जरूर है।
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Old 03-11-2010, 04:58 PM   #7
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'गोल्डन ओवर' के नाम पर दिल के डॉक्टर वह कर डालते हैं जिसकी जरूरत नहीं होती। हार्ट के डॉक्टर गोल्डन ओवर उस खास समय को कहते हैं जिसके भीतर इलाज किया जाए तो आदमी की जान बचाई जा सकती है। जाहिर है कोई भी अनभिज्ञ मरीज इस 'कीमती' वक्त को खोना नहीं चाहता।

चेस्ट पेन उन कुछ कारणों में से एक है जिसकी वजह से लोग इमरजेंसी चिकित्सीय मदद की गुहार लगाते हुए अस्पताल पहुँचते हैं। हर साल पूरी दुनिया में इमरजेंसी रूम के डॉक्टर छाती के दर्द के साथ बदहवास आए करोड़ों मरीजों का मुआयना करते हैं लेकिन इनमें करीब 33 प्रतिशत दर्द ही कार्डिएक यानी हाई रिस्क होते हैं।

कभी-कभी किसी डॉक्टर के लिए भी यह कहना कठिन हो जाता है कि चेस्ट पेन हो क्यों रहा है। वह जानलेवा हो सकता है या नहीं। कुछ टेस्ट ही इसे जानने का तरीका हो सकता है। छाती में दर्द फेफड़े, खाने की नली, पेट, मांसपेशी, हड्डी या त्वचा, एसिडिटी, गैस, किसी भी वजह से हो सकता है।

कभी-कभी न्यूमोनिया भी छाती में दर्द का कारण बनता है। कहने का यह मतलब कतई नहीं है कि छाती में दर्द हो तो उसे मामूली समझ कर उसकी अनदेखी करें। कभी-कभी जिसे हम पेट का दर्द समझते हैं, वह हार्ट अटैक का दर्द हो सकता है इसलिए छाती में दर्द का आकलन तो होना ही चाहिए लेकिन आप चौकस जरूर रहें। कहीं डॉक्टर बेवजह आपके दिल से छेड़छाड़ न कर दे।
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Old 04-11-2010, 12:51 PM   #8
malethia
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जलवा ऐसी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद................
जैसा की आपको मैं पहले भी बता चूका की मुझे बीपी की समस्या है,मैं प्रत्येक ६ माह में लिपिड प्रोफाइल भी करवाता हूँ जो की लगभग नोर्मल ही होती है.......................
लेकिन इसके बावजूद न तो मेरा छाती का दर्द कम होता है और ना ही बीपी ..............
मेरा बीपी हमेशा ९०/१३० रहता है,,,,,,,,,
इसका क्या कारण हो सकता है.................
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Old 04-11-2010, 11:50 PM   #9
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जलवा ऐसी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद................
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लेकिन इसके बावजूद न तो मेरा छाती का दर्द कम होता है और ना ही बीपी ..............
मेरा बीपी हमेशा ९०/१३० रहता है,,,,,,,,,
इसका क्या कारण हो सकता है.................
मलेठिया जी, सूत्र भ्रमण और इसमें अपने विचार रखने के लिए धन्यवाद. बड़े भाई, मेरे अल्पज्ञान के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर का कोई पुख्ता इलाज नहीं है. केवल रोकथाम ही है.जहाँ तक "लिपिड प्रोफाइल" (ब्लड टेस्ट) का प्रश्न है बहुत बार इसकी रिपोर्ट सही होने के बावजूद भी ब्लड प्रेशर तेज रहता है. इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरत है परहेज की. नमक आप बिलकुल छोड़ दें और उसके स्थान पर Lo-Na. लें. यह नमक से चार गुना अधिक नमकीन होता है (इसलिए कम डाला जाता है) और इसमें सोडियम की मात्रा बहुत कम होती है जिसके कारण यह हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए लाभदायक होता है. इसके निरंतर सेवन से यह बीमारी बढती नहीं है. इसके अतिरिक्त तला हुआ , मसालेदार और बाहर का भोजन आप बिलकुल न करें. अपने खानपान में संतुलन से ही इन परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है.
सीने में दर्द के लिए किसी अच्छे चेस्ट रोग विशेषग्य को दिखाएं . हो सके तो सुबह सैर करें. नंगे पाँव घास पर सैर करने से हाई ब्लड प्रेशर के बहुत से मरीजों को लाभ हुआ है. किसी भी सूरत में अपनी ब्लड प्रेशर की दवा लेना बंद न करें.
धन्यवाद.
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Old 24-09-2011, 09:09 PM   #10
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Originally Posted by malethia View Post
जलवा ऐसी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद................
जैसा की आपको मैं पहले भी बता चूका की मुझे बीपी की समस्या है,मैं प्रत्येक ६ माह में लिपिड प्रोफाइल भी करवाता हूँ जो की लगभग नोर्मल ही होती है.......................
लेकिन इसके बावजूद न तो मेरा छाती का दर्द कम होता है और ना ही बीपी ..............
मेरा बीपी हमेशा ९०/१३० रहता है,,,,,,,,,
इसका क्या कारण हो सकता है.................
आप अपने खान-पान में थोड़ा बदलाव कीजिए, कुछ मोटे अनाज जैसे बाजरा, रागी और चने के सत्तू को अपने एक सप्ताह के डायट में शामिल कीजिए, और थोड़ा ध्यान कीजिए....
मैं खुद बी०पी०, हाई कोलेस्टेरोल और डायबईटीज से ग्रस्त हूँ और करीब एक साल की मसक्कत के बाद अब जा कर सब को कुछ हद तक काबू में करना सीख पाया हूँ।
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