20-01-2021, 06:24 PM | #1 |
Diligent Member
|
कामचोर का बाप (कुण्डलिया छंद)
■■■■■■■■■■■■■■■■ कहता है हर शास्त्र यह, सुन लो हे इंसान। मत जाना तुम भूलकर, जहाँ मिले अपमान। जहाँ मिले अपमान, कि वो घर कैसे छोड़े। बिना किये जब काम, सदा वह रोटी तोड़े। इसीलिए हर रोज़, चार बातें है सहता। कामचोर का बाप, उसे हर कोई कहता।। पाता है सम्मान यह, इसका उसको नाज। कामचोर का बाप है, सुस्ती का सरताज। सुस्ती का सरताज, अगर खाना भी खाता। ना धोये वह हाँथ, नहीं मंजन अपनाता। सड़ते हैं जब दाँत, जोर से है चिल्लाता। डर जाते हैं लोग, दर्द वह इतना पाता।। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 19/01/2021 ■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 22-01-2021 at 07:22 AM. |
Bookmarks |
|
|