21-07-2014, 05:20 PM | #14 |
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Movie Review: पिज्जा 3D
बहुत सारी तकनीकी कमियों के बावजूद 'पिज्जा 3d' आपको मायूस नहीं करेगी। यह आपको डराएगी भी और एंटरटेन भी करेगी।
बॉलीवुड में कई हॉरर फिल्में आती हैं, जो डराने के नाम पर अपना मूल आधार ही छोड़कर खाली खून और घटिया आवााजों से हॉरर पैदा करने की कोशिशें करती हैं। इन फिल्मों में न तो तो ढंग की कहानी होती है और न दर्शक खुद को इनसे ठीक ढंग से जोड़ ही पाते हैं। खुशकिस्मती से 'पिज्जा 3d' ऐसे सारे मिथक तोड़ती है जो अब तक हमने बॉलीवुड की हॉरर फिल्मों को देखकर अपने दिमाग में बिठा लिए थे। 'पिज्जा 3d' हॉरर तो है ही, इसका मूल आधार है फिल्म की मजबूत कहानी। इस फिल्म को देखकर एकता कपूर और भट्ट कैंप के हॉरर ड्रामा रचने वाले फिल्मकारों को जरूर सबक लेना चाहिए कि फालतू की ओझा-बाबा गिरी से इतर भी लोगों को एक साफ-सुथरी हॉरर फिल्म परोसी जा सकती है, जो वास्तव में 'पिज्जा 3d' की तरह 'डिलीशियस' हो..! कहानी: फिल्म न्यूली मैरिड कपल कुणाल (अक्षय ओबेराय) और निक्की (पार्वती ओमनाकुट्टन) के इर्द-गिर्द घूमती है। कुणाल एक कंपनी में पिज्जा डिलिवरी ब्वॉय का काम करता है, जबकि निक्की एक स्ट्रगलिंग राइटर है। निक्की अक्सर अपने कंटेट में भुतहा किस्से-कहानियों को तवज्जो देती है। दोनों की जिंदगी छोटे-छोटे संघर्षों के बावजूद मजे में कट रही है। एक दिन पता लगता है कि निक्की गर्भवती है, लेकिन कुणाल का मानना है कि उनके हालात ऐसे नहीं हैं कि घर में एक और सदस्य का खर्चा वह दोनों उठा सकें। दोनों में इसी बात पर विवाद होता है, मगर जल्द ही दोनों इसे आपसी सहमति से सुलझा लेते हैं। दोनों अपने-अपने कामों में मशगूल हो जाते हैं कि तभी एक दिन कुणाल ऐसे बंगले में पिज्जा डिलीवर करने पहुंचता है, जहां अंदर जाते ही दरवाजे बंद हो जाते हैं। कुणाल घर से निकलने की कोशिश करता है, लेकिन वह नहीं निकल पाता। यही फिल्म का टर्निंग प्वाइंट है। इसके बाद कुणाल के साथ एक के बाद एक रोमांचित करने वाली घटनाएं घटने लगती हैं। सब कुछ कुणाल के लिए किसी पहेली से कम नहीं होता। इसके बाद की कहानी कुणाल के बंगले से बाहर निकलने और पहेलियों से पर्दा उठने की है। क्या कुणाल बंगले से बाहर निकलने में कामयाब हो पाता है? क्या बंगले में भूत हैं? भूत नहीं तो फिर दरवाजे कैसे खुद ब खुद बंद होने लगे? निक्की कुणाल की गैरमौजूदगी में क्या करेगी? इन्हीं तमाम सवालों के जवाब देते हुए फिल्म अपने अंत तक पहुंचती है। एक्टिंग: कुणाल की भूमिका में अक्षय का काम सराहने योग्य है। अक्षय के हाव-भाव खौफ तो पैदा करते ही हैं आपको रोमांचित भी करेंगे। पार्वती ओमनाकुट्टन के हिस्से जितने भी सीन आए वह अपनी भूमिका में जंची हैं। फिल्म के सह-कलाकार भी इसकी जान हैं, जिनके बारे में चर्चा करने से बेहतर है कि उन्हें फिल्म में अदाकारी करते हुए देखा जाए। ओवरऑल इस फिल्म में सभी किरदारों ने शानदार अभिनय किया है। डायरेक्शन: अक्षय अक्कानी का निर्देशन कुछ कमियों को यदि नजरअंदाज कर दिया जाए तो बढिय़ा है। उन्होंने घटिया साउंड और डरावने चेहरों को बस फ्रेम में इधर-उधर फेंकने से हॉरर पैदा करने के बजाय परिस्थितियों से खौफ पैदा करने की कोशिश की है, जो रोमांचित करता है। फिल्म की मजबूत पटकथा अक्षय को स्वतंत्रता देती है, जिससे उनका निर्देशन स्क्रीन पर साफ निखर कर सामने आता है। क्यों देखें: 'पिज्जा 3d' में तकनीकी रूप से मसलन एडिटिंग, एनिमेशन और कुछ अस्पष्ट सीन्स कमियों का अहसास जरूर करवाते हैं, लेकिन बावजूद इसके यह बॉलीवुड में बनने वाली हॉरर फिल्मों से बहुत उम्दा और शानदार है। इसमें कहानी, अदाकारी, मनोरंजन और रोमांच सब कुछ है। आप इस हफ्ते यह फिल्म देखेंगे, तो आपके पैसे वेस्ट तो नहीं जाएंगे। हां एक बात जरूर याद रखियेगा कि इसे 2d फॉर्मेट से 3d में बदला गया है, इसलिए 2d में ही देखें तो ज्यादा बेहतर होगा।
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