14-05-2017, 03:19 AM | #1 |
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मदर्स डे। ...मातृ दिवस
सुअवसर पर हम माँ के लिए जितना लिखे जितना कहेंउतना कम है .माँ जो सिर्फ अपने सन्तानो के लिए ही नहीं जीती , उसके लिए सिर्फ त्याग ही नहीं करती बल्कि उसकी एक बात को अक्सर हम बेध्यान कर देते हैं की यदि माँ न होती तो ये दुनिआ ही न होती माँ है तो ये दुनियाँ ये जग है जरा सोचिये यदि माँ न होती तो इस सृष्टि का चलना मुमकिन होता? कभी नहीं एक माँ एक शिशु को जन्म देती है उसे अपनी स्नेह सरिता में भिगोकर पालन पोषण करके बड़ा करती है अपने बच्चे को वो हरेक सुख देकर उसके दुःख को दूर रखती है यदि बच्चा बीमार हुआ तो माँ न रात देखती है न दिन देखती है न अपनी भूख देखती है वो पूर्ण रूपेण अपनी संतान की ख़ुशी में संतान के लिए खुद को न्योछावर कर देती है . आज की सन्तानो को कोई ज्ञान देने की आवश्यकता नहीं की वो माँ के लिए ये करे, वो करे ,उसका दिल न दुखाय उसे खुश रखे .क्योंकि आजकल बहुत बड़े _बड़े आख्यान पढ़ने को मिलते है (अब तो विज्ञानं की उन्नति ने हमें अपने हाथों में सारी दुनिआ नेट के माध्यम से दे दी है तो अब छोटे से छोटा त्यौहार बड़ा बन जाता है )पर सिर्फ फोन के व्हट्सप में और फेस बुक के पेज पर ,क्यूंकि jivan ki vystatata लोगो की इतनी बढ़ गई है की व्हाट्सप और फेस बुक तक सिमित रह गई है हर चीज़... क्यूंकि जो बेटा माँ के लिए व्हट्सप पर माँ की महानता के गुणगान के सन्देश और चित्र अपने मित्रों को भेज रहा होता है वो ही बेटा उसी समय माँ के बुलाने पर भी सोफे से या बिस्तर से उठकर अपनी माँ को एक ग्लास पानी तक नहीं दे सकता। अच्छी बात है की माँ के सम्मान के लिए ऐसे त्यौहार हमारे समाज में बने हैं किन्तु मेरा आप सबसे एक सवाल है क्या सच में एक दिन का ही स्नेह और बड़ी बड़ी बातें हैप्पी मदर्स डे की बधाइयाँ देकर हम माँ का क़र्ज़ उतार सकते हैं?अच्छी अच्छी कवितायेँ जब जब पढ़ती हूँ तब तब बहुत अच्छा लगता है पर काश हम आजीवन अपने माँ बाप के लिए समय निकाल सकते उनका सम्मान उनका ख्याल रखकर कर सकते, उनकी छोटी छोटी इच्छाओं को पूरा करके उन्हें जीवन की अगाध ख़ुशी दे सकते। मेरे ख्याल से माँ जितनी महान हस्ती है तो उनके सुख और ख़ुशी का ख्याल भी उतना ही विस्तृत होना चाहिए न ? हाँ संतान उन्हें क्या गिफ्ट देंगे उन्हें क्यूंकि उनका दिया अनमोल गिफ्ट जो हमें मानव बनाकर उन्होंने दिया है उसके बदले में तो भगवन भी उसे कुछ नहीं दे सकते। मदर्स डे जरूर मनाएं पर सिर्फ एक दिन की खुशिया न देकर आजीवन माँ को साथ ही पिताजी को खुशियां दें आपका भगवन भी आपसे खुश होगा क्यूंकि माँ की ममता पाने के लिए ईश्वर को भी बालक बनना पड़ा था जैसे की हम जानते हैं राम और कृष्णा के जन्म से पहले अपने असल स्वरुप में माँ ने उन्हें कहा की छोटे से बालक बन जाव तबं तब भगवन ने भी माँ का कहा मन और बालक बन रुदन किया तब जाकर सबको लगा की माँ जशोदा के लालो भयो और जब राम जी का जनम हुआ तब भी भगवन को अपना दिव्या स्वरुप त्यागकर बालक बनना पड़ा था और वो ममता की प्यास ईश्वर में भी थी तो हम तो साधारण मानवी हैं . अंत में माँ के चरणों में वंदन करते हुए कहूँगी खोकर तुमको जाना की अनमोल थीं तुम तरसेंगी नज़रें एक नज़र देखने को तुमको तुमने तो दे दिया अपने हिस्से का प्यार हमें जी भरकर पर हम तो न दे सके पलभर की खुशियां तुमको स्वार्थ से परे अब भी नहीं हमतो माँगते हैं आपका आशीर्वाद आज भी हम तो लिया ही तुमसे न दिया गया कुछ भी हमसे माफ़ करना गलतियां बालक जानके अब तो करते हैं वंदन करते हैं वंदन किसे कहें आपकी जुदाई से मिला कितना क्रंदन हमको |
16-05-2017, 06:45 PM | #2 |
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Re: मदर्स डे। ...मातृ दिवस
बहुत ज़बरदस्त रचना 'मदर्स डे' के संदर्भ में प्रस्तुत के गयी है. इसमें समाज और परिवार में माँ के योगदान व उसके द्वारा निभाए गए रोल को जहां आदरपूर्वक याद किया गया है वहीँ माता-पिता के प्रति बच्चों की उदासीनता का भी ज़िक्र किया गया है. ज़रूरत इस बात की है कि उन्हें पूरा आदर दिया जाए. और यह सिर्फ एक दिन का दिखावा न हो कर जीवन भर का कर्त्तव्य हो.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 16-05-2017 at 06:49 PM. |
19-05-2017, 10:12 PM | #3 | |
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Re: मदर्स डे। ...मातृ दिवस
Quote:
बहुत बहुत धन्यवाद भाई ,. यदि ऐसा हो की घर में माता पिता का सम्मान हर समय किया जाय तो कहीं कोई अशांति और कलह को जगह ही न मिले। |
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