05-04-2011, 09:37 AM | #1 |
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चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
Chanakya is traditionally identified as Kautilya or Vishnu Gupta, who authored the ancient Indian political treatise called Arthaśāstra. As such, he is considered as the pioneer of the field of economics and political science in India, and his work is thought of as an important precursor to Classical Economics. Chanakya's works predate Machiavelli's by about 1,800 years. His works were lost near the end of the Gupta dynasty and not rediscovered until 1915. क्रोध यमराज के समान है, उसके कारण मनुष्य मृत्यु की गोद में चला जाता है। तृष्णा वैतरणी नदी की तरह है जिसके कारण मनुष्य को सदैव कष्ट उठाने पड़ते हैं। विद्या कामधेनु के समान है । मनुष्य अगर भलीभांति शिक्षा प्राप्त करे को वह कहीं भी और कभी भी फल प्रदान कर सकती है।
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05-04-2011, 09:37 AM | #2 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
संतोष नन्दन वन के समान है। मनुष्य अगर अपने अन्दर उसे स्थापित करे तो उसे वैसे ही सुख मिलेगा जैसे नन्दन वन में मिलता है।
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05-04-2011, 09:43 AM | #3 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
लक्ष्मी, प्राण, जीवन, शरीर सब कुछ चलायमान है। केवल धर्म ही स्थिर है।
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05-04-2011, 09:43 AM | #4 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
एक गुणवान पुत्र सैंकड़ों मूर्ख पुत्रों से अच्छा है। एक ही चन्द्रमा अन्धकार को नष्ट कर देता है, किन्तु हजारों तारे ऐसा नहीं कर सकते।
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05-04-2011, 09:43 AM | #6 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य है कि पुत्र को अच्छी से अच्छी शिक्षा दे।
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05-04-2011, 09:44 AM | #8 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
दुष्टों तथा काँटों को या तो जूतों से कुचल दो या उनके रास्ते से ही हट जाओ।
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05-04-2011, 09:44 AM | #9 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
जिसके पास धन है, उसके अनेक मित्र, भाई बन्धु और रिश्तेदार होते हैं।
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05-04-2011, 09:44 AM | #10 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
अन्न, जल तथा सुभाषित ही पृथ्वी के तीन रत्न हैं। मूर्खों ने व्यर्थ ही पत्थर के टुकड़े को रत्न का नाम दिया है।
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